Wednesday, 26 February 2014

janmashtami-कृष्ण-जन्माष्टमी कहानी कृष्ण जन्म की


मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया जमुना के तट पे विराजे हैं
मोर मुकुट पर कानों में कुण्डल कर में मुरलिया  साजे है
मानव जीवन सबसे सुंदर और सर्वोत्तम होता है. मानव जीवन की खुशियों का कुछ ऐसा जलवा है कि भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय-समय पर धरती पर आते हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने भी समय-समय पर मानव रूप लेकर इस धरती के सुखों को भोगा है. भगवान विष्णु का ही एक रूप कृष्ण जी का भी है जिन्हें लीलाधर और लीलाओं का देवता माना जाता है. Read: Krishna and Radha

Janmashtami - Festivals of IndiaKrishna Janmashtami
कृष्ण को लोग रास रसिया, लीलाधर, देवकी नंदन, गिरिधर जैसे हजारों नाम से जानते हैं. कृष्ण भगवान द्वारा बताई गई गीता को हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ और पथ प्रदर्शक के रूप में माना जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) कृष्ण जी के ही जन्मदिवस के रूप में प्रसिद्ध है.

When is Janmashtami 2012
मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है. इस साल जन्माष्टमी (Janmashtami) 10 अगस्त को है.

Birth Of Krishnaकृष्ण जन्मकथा
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व श्रीवसुदेव के पुत्र रूप में हुआ था. कंस ने अपनी मृत्यु के भय से अपनी बहन देवकी और वसुदेवको कारागार में कैद किया हुआ था. कृष्ण जी जन्म के समय घनघोर वर्षा हो रही थी. चारो तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था. भगवान के निर्देशानुसार कुष्ण जी को रात में ही मथुरा के कारागार से गोकुल में नंद बाबा के घर ले जाया गया.

नन्द जी की पत्नी यशोदा को एक कन्या हुई थी. वासुदेव श्रीकृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को अपने साथ ले गए. कंस ने उस कन्या को वासुदेव और देवकी की संतान समझ पटककर मार डालना चाहा लेकिन वह इस कार्य में असफल ही रहा. दैवयोग से वह कन्या जीवित बच गई. इसके बाद श्रीकृष्ण का लालन–पालन यशोदा व नन्द ने किया. जब श्रीकृष्ण जी बड़े हुए तो उन्होंने कंस का वध कर अपने माता-पिता को उसकी कैद से मुक्त कराया.

जन्माष्टमी में हांडी फोड़
श्रीकृष्ण जी का जन्म मात्र एक पूजा अर्चना का विषय नहीं बल्कि एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस उत्सव में भगवान के श्रीविग्रह पर कपूर, हल्दी, दही, घी, तेल, केसर तथा जल आदि चढ़ाने के बाद लोग बडे हर्षोल्लास के साथ इन वस्तुओं का परस्पर विलेपन और सेवन करते हैं. कई स्थानों पर हांडी में दूध-दही भरकर, उसे काफी ऊंचाई पर टांगा जाता है. युवकों की टोलियां उसे फोडकर इनाम लूटने की होड़ में बहुत बढ-चढकर इस उत्सव में भाग लेती हैं. वस्तुत: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत केवल उपवास का दिवस नहीं, बल्कि यह दिन महोत्सव के साथ जुड़कर व्रतोत्सव बन जाता है.

अंक ज्योतिष से विवाह (Marriage and Numerology)



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अंकशास्त्र में मुख्य रूप से नामांक (Name Number), मूलांक (Root Number) और भाग्यांक (Destiny Number) इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फलादेश किया जाता है. विवाह के संदर्भ में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच सम्बन्ध को देखा जाता है.

अंक ज्योतिष (Numerology) भविष्य जानने की एक विधा है. अंक ज्योतिष से ज्योतिष की अन्य विधाओं की तरह भविष्य और सभी प्रकार के ज्योंतिषीय प्रश्नों का उत्तर ज्ञात किया जा सकता है. विवाह जैसे महत्वपूर्ण विषय में भी अंक ज्योतिष और उसके उपाय काफी मददगार साबित होते हैं.

अंक ज्योंतिष अपने नाम के अनुसार अंक पर आधारित है. अंक शास्त्र के अनुसार सृष्टि के सभी गोचर और अगोचर तत्वों अपना एक निश्चत अंक होता है. अंकों के बीच जब ताल मेल नहीं होता है तब वे अशुभ या विपरीत परिणाम देते हैं. अंकशास्त्र में मुख्य रूप से नामांक, मूलांक और भाग्यांक इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फलादेश किया जाता है. विवाह के संदर्भ में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच सम्बन्ध को देखा जाता है. अगर वर और वधू के अंक आपस में मेल खाते हैं तो विवाह हो सकता है. अगर अंक मेल नहीं खाते हैं तो इसका उपाय करना होता है ताकि अंकों के मध्य मधुर सम्बन्ध स्थापित हो सके.

वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) एवं उसके समानांतर चलने वाली ज्योतिष विधाओं में वर वधु के वैवाहिक जीवन का आंकलन करने के लिए जिस प्रकार से कुण्डली से गुण मिलाया जाता ठीक उसी प्रकार अंकशास्त्र में अंकों को मिलाकर (Numerology Marriage compatibility) वर वधू के वैवाहिक जीवन का आंकलन किया जाता है.

अंकशास्त्र से वर वधू का गुण मिलान (Matching for marriage through Numerology)
अंकशास्त्र में वर एवं वधू के वैवाहिक गुण मिलान के लिए, अंकशास्त्र के प्रमुख तीन अंकों में से नामांक ज्ञात किया जाता है. नामांक ज्ञात करने के लिए दोनों के नामों को अंग्रेजी के अलग अलग लिखा जाता है. नाम लिखने के बाद सभी अक्षरों के अंकों को जोड़ा जाता है जिससे नामांक ज्ञात होता है. ध्यान रखने योग्य तथ्य यह है कि अगर मूलक 9 से अधिक हो तो योग से प्राप्त संख्या को दो भागों में बांटकर पुन: योग किया जाता है. इस प्रकार जो अंक आता है वह नामांक होता है. उदाहरण से योग 32 आने पर 3+2=5. वर का अंक 5 हो और कन्या का अंक 8 तो दोनों के बीच सहयोगात्मक सम्बन्ध रहेगा, अंकशास्त्र का यह नियम है.

वर वधू के नामांक का फल (Matching by Name Number)
अंकशास्त्र के नियम के अनुसार अगर वर का नामांक 1 है और वधू का नामांक भी एक है तो दोनों में समान भावना एवं प्रतिस्पर्धा रहेगी जिससे पारिवारिक जीवन में कलह की स्थिति होगी. कन्या का नामांक 2 होने पर किसी कारण से दोनों के बीच तनाव की स्थिति बनी रहती है. वर 1 नामांक का हो और कन्या तीन नामांक की तो उत्तम रहता है दोनों के बीच प्रेम और परस्पर सहयोगात्मक सम्बन्ध रहता है. कन्या 4 नामंक की होने पर पति पत्नी के बीच अकारण विवाद होता रहता है और जिससे गृहस्थी में अशांति रहती है. पंचम नामंक की कन्या के साथ गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है. सप्तम और नवम नामाक की कन्या भी 1 नामांक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है जबकि षष्टम और अष्टम नामांक की कन्या और 1 नमांक का वर होने पर वैवाहिक जीवन के सुख में कमी आती है.

वर का नामांक 2 हो और कन्या 1 व 7 नामांक की हो तब वैवाहिक जीवन के सुख में बाधा आती है. 2 नामांक का वर इन दो नामांक की कन्या के अलावा अन्य नामांक वाली कन्या के साथ विवाह करता है तो वैवाहिक जीवन आनन्दमय और सुखमय रहता है. तीन नामांक की कन्या हो और वर 2 नामांक का तो जीवन सुखी होता है परंतु सुख दुख धूप छांव की तरह होता है. वर 3 नामांक का हो और कन्या तीन, चार अथवा पांच नामांक की हो तब अंकशास्त्र के अनुसार वैवाहिक जीवन उत्तम नहीं रहता है. नामांक तीन का वर और 7 की कन्या होने पर वैवाहिक जीवन में सुख दु:ख लगा रहता है. अन्य नामांक की कन्या का विवाह 3 नामांक के पुरूष से होता है तो पति पत्नी सुखी और आनन्दित रहते हैं.

4 अंक का पुरूष हो और कन्या 2, 4, 5 अंक की हो तब गृहस्थ जीवन उत्तम रहता है. चतुर्थ वर और षष्टम या अष्टम कन्या होने पर वैवाहिक जीवन में अधिक परेशानी नहीं आती है. 4 अंक के वर की शादी इन अंकों के अलावा अन्य अंक की कन्या से होने पर गृहस्थ जीवन में परेशानी आती है. 5 नामांक के वर के लिए 1, 2, 5, 6, 8 नामांक की कन्या उत्तम रहती है. चतुर्थ और सप्तम नामांक की कन्या से साथ गृहस्थ जीवन मिला जुला रहता है जबकि अन्य नामांक की कन्या होने पर गृहस्थ सुख में कमी आती है. षष्टम नामांक के वर के लिए 1एवं 6 अंक की कन्या से विवाह उत्तम होता है. 3, 5, 7, 8 एवं 9 नामांक की कन्या के साथ गृहस्थ जीवन सामान्य रहता है और 2 एवं चार नामांक की कन्या के साथ उत्तम वैवाहिक जीवन नहीं रह पाता.

वर का नामांक 7 होने पर कन्या अगर 1, 3, 6, नामांक की होती है तो पति पत्नी के बीच प्रेम और सहयोगात्मक सम्बन्ध होता है. कन्या अगर 5, 8 अथवा 9 नामंक की होती है तब वैवाहिक जीवन में थोड़ी बहुत परेशानियां आती है परंतु सब सामान्य रहता है. अन्य नामांक की कन्या होने पर पति पत्नी के बीच प्रेम और सहयोगात्मक सम्बन्ध नहीं रह पाता है. आठ नामांक का वर 5, 6 अथवा 7 नामांक की कन्या के साथ विवाह करता है तो दोनों सुखी होते हैं. 2 अथवा 3 नामांक की कन्या से विवाह करता है तो वैवाहिक जीवन सामान्य बना रहता है जबकि अन्य नामांक की कन्या से विवाह करता है तो परेशानी आती है. 9 नामांक के वर के लिए 1, 2, 3, 6 एवं 9 नामांक की कन्या उत्तम होती है जबकि 5 एवं 7 नामांक की कन्या सामान्य होती है. 9 नामांक के वर के लिए 4 और 8 नामांक की कन्या से विवाह करना अंकशास्त्र की दृष्टि से शुभ नही होता है.

Note-यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है वह मेरी अपनी नहीं है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें।मैं हर इंसान के लिए ज्योतिष के ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ग को बनाए रख रहा हूँ।

हमारा भाग्यांक


भाग्यांक 1 वाले होते हैं जिम्मेदार
मूलांक 1 वाले होते हैं 'तर्कशाली'

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?

भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक=1

भाग्यांक 1: यदि आपका भाग्यांक 1 है तो, इसका मतलब आप सूर्य ग्रह से प्रभावित है। आप-अपने परिवार के कर्ता-धर्ता होंगे तथा सभी जिम्मेदारियां आपको ही निभानी पड़ेगी। आपको जीवन में कभी-कभी बहुत लाभ भी हो सकता है तथा अचानक हानि होने की भी सम्भावना रहती है। धन की बचत करने में आप सफल रहेंगे। आपको अनेक प्रकार से धन कमाने के अवसर प्राप्त होंगे। भाग्यांक 1 वाले व्यक्तियों को एक बात अवश्य ध्यान रखनी चाहिए कि कोई भी कार्य प्रेम-पूर्वक करें। आदेशात्मक प्रवृत्ति से किया गया कार्य बिगड़ सकता है। यदि आप व्यवसाय करना चाहते है तो साझेदारी कदापि न करें अन्यथा बाद में पछताना पड़ सकता है।

कैरियर- राजनीति, चिकित्सा क्षेत्र, सैन्य विभाग, हडडी रोग के डाक्टर, प्रशासनिक सेवा, विदुत विभाग, होटल मैनेजमेन्ट, रेलवे विभाग, डाक विभाग आदि क्षेत्रों में आप-अपना कैरियर बना सकते है।

व्यवसाय- आभूषण खरीदना-बेचना, रत्न बेचना, विदुत उपकरण, मेडिकल स्टोर, जनरल स्टोर, कपड़े का कार्य, वाहनों का क्रय-विक्रय, पुस्तक भण्डार, अनाजों का खरीदना-बेचना आदि प्रकार के व्यवसाय आपके लिये अनुकून साबित होंगे।

भाग्यशाली वर्ष- आपके जीवन में जब-जब दो, एक, और चार के अंको का योग आयेगा या फिर ये अंक आमने-सामने आयेंगे तो वह वर्ष आपके लिये अनुकूल साबित होंगे। जैसे- 19वां, 20वां, 22वां,24वां,31वां, 37वां, 40वां, 44वां, 46वां वर्ष आदि आपके लिये परिवर्तन कारी रहेंगे।

अनुकूल नगर- दिल्ली, सूरत, बम्बई, कलकत्ता, उदयपुर, जयपुर, जयपुर, अजमेर, गोवाहाटी, ग्वालियर, कोल्हापुर और गाजियाबाद नगर आपके लिये शुभ रहेंगे।

अनुकूल राष्ट्र- भारत, वर्मा, अरब, शिकागो, हांगकांग, इग्लैण्ड,नीदरलैण्ड, नाइजीरिया और नेपाल देश आपके लिये लाभकारी रहेंगे।

घर का मुख्य द्वार- भाग्यांक 1 वाले जातक यदि अपने घर का मुख्य द्वार पूर्व, पूर्व-उत्तर,( ईशान कोण ) या फिर उत्तर दिशा में रखें तो इनके परिवार में सुख शान्ति व आर्थिक समृद्धि बनी रहेगी।
भाग्यांक 2 वाले होते हैं कंजूस 

मूलांक 2 वाले होते हैं 'सॉफ्ट-सॉफ्ट'

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक 2- जिन जातकों का भाग्यांक 2 है उन व्यक्तियों पर चन्द्र ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। उनका मन व दिमाग शान्त रहता है। ये अपने कार्य को लेकर संवेदनशील तो होते है,परन्तु बहुत दिनों तक इनका किसी कार्य में मन नहीं लगता है। यह इनका नकारात्मक पक्ष है जिसके कारण इन्हे कई बार अपना व्यवसाय बदलना पड़ता है।

आपका स्वभाव उधार लेना है, भाग्यांक 2 वाले जातक उधार बहुत अधिक लेते है, परन्तु देने में काफी ढीले रहते है। आपको अपनी इस आदत में सुधार करने की आवश्यकता है। वैसे इस अंक वाले लोग कंजूस होते है, परन्तु अच्छे मौकों पर दिल खोलकर खर्च भी करते है। यदि आप कोई व्यवसाय या कहीं पर धन निवेश करना चाहते है तो अपनी पत्नी को साझेदार अवश्य बनायें।

कैरियर- अध्यापक, पत्रकार, एकाउण्टेन्ट, समुद्र यात्रा, शुगरमिल, कृषि विभाग, संगीत, अभिनय, दन्त चिकित्सा, जल सेना, फैसप डिजाइनिंग, माडलिंग आदि क्षेत्रों में आप-अपना कैरियर बना सकते है।

व्यवसाय- सौन्दर्य प्रसाधन, पेट्रोल पम्प, कोल्ड्र डिंक, पानी, संगीत एकाडिमी, होटल, रेस्टोरेन्ट, मिटटी का कार्य, ठेकेदारी, किसी भी क्षेत्र में दलाली, कैरोनीन आयल, प्रकाशन, दूध की डेरी आदि व्यवसाय इस अंक वाले लोग अपना सकते है।

भाग्शाली वर्ष- भाग्यांक 2 वाले व्यक्तियों के लिये अंक 2 व 7 विशेष रूप से प्रभावशाली रहते है। जब-जब इन अंको का योग आयेगा या फिर ये अंक आमने-सामने आयेंगे तो,वह वर्ष आपके लिये लाभकारी प्रतीत होंगे। 20वें व 28वें वर्ष तक की अवस्था तक आपको धन कमाने के अवसर मिलने लगेंगे।25वें व 27वें वर्ष आपके लिये परिवर्तनकारी रहेंगे। 29वें व 31 वें वर्ष में आपके लिये काफी उतार-चढ़ाव वाली स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

अनुकूल नगर- दिल्ली, देहरादून, कलकत्ता, अहमदाबाद, अहमद नगर, बंगलौर, कर्नाटक, लखनऊ, नोएडा आदि शहर आपके लिये
सफलतादायक सिद्ध होंगे।

अनुकूल राष्ट्र- श्री लंका, तिब्बत, फ्रांस, जर्मनी, लन्दन, वियना, अमेरिका, पुर्तगाल, इथोपिया, चीन आदि देश आपके लिये शुभ रहेंगे।

घर का मुख्य द्वार- जिन जातकों का भाग्यांक 2 है। वह लोग अपने घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा, पश्चिम दिशा या फिर उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) में रखें तो आपके परिवार में प्रगृतिशीलता व सुख समृद्धि बनी रहेगी।

भाग्यांक 3 वाले होते हैं राजसी
मूलांक 3 वाले होते हैं 'घमंडी'

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?

भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक 3
भाग्यांक 3 वाले व्यक्ति कों का जीवन गुरू ग्रह से प्रभावित रहता है। यह व्यक्ति बहुत निर्णायक, धार्मिक, सात्विक, दार्शनिक, रसायन व
भौतिक शास्त्री व एक शोधकर्ता होते है। वैसे ये लोग बहुत कम राजसी व तामसी प्रकृति के होते है। इसलिए ऐसे जातक मूलतः शान्त प्रकृति के होते है। आप-अपनी प्रवृत्तियों के अनुसार किसी के विरूद्ध होने से डरते नहीं है, आप-अपने विचारों से अपना स्थान स्वंय निर्धारित कर लेंगे।

आप में दया के भाव कूट-कूट के भरे होंगे, इसलिए आप किसी के दुःख को देख नहीं पायेंगे। यदि आप सामाजिक कार्यो में हिस्सा लेंगे तो आप सफलता के चरम तक भी पहॅुच सकते है। कभी-कभी आप धन अर्जित करने के लिये इतना बेताब हो जाते है कि अनैतिक कार्य करने में भी हिचकिचायेंगे नहीं। यदि आप किसी उच्च पद पर आसीन हो जायें तो रिश्वत लेंने में काफी सावधानी बरतें अन्यथा मुसीबत में फॅस सकते है।

कैरियर- अध्यापन कार्य, लेखन कार्य, पुलिस की नौकरी, वकालत, जज, क्लर्क, सचिव, नेवी की नौकरी, कान, नाक के डाक्टर, एम.बी.ए आदि क्षेत्रों में अपना कैरियर सुनिश्चित कर सकते है।

व्यवसाय- सम्पादन कार्य, थोक विक्रेता, पूजन भण्डार, पान की दुकान, मिठाई की दुकान, इत्र का कार्य, फिल्म मेकर, भूमि का क्रय व विक्रय, आभूषण के विक्रेता, पीली वस्तुओं का व्यापार, वक्ता, नेता, शिक्षा और शेयर आदि का व्यवसाय आप अपना सकते है।

भाग्यशाली वर्ष- आपके जीवन में जब-जब 3, 1, 6, 9, इन अंको का योग आयेगा या फिर ये आमने-सामने आयेंगे, तो वह वर्ष आपके लिए विशेष लाभकारी रहेंगे।

अनुकूल नगर- रायपुर, रावलपिण्डी, रामपुर, रंगून, राउरकेला, बड़ौदा, अहमदाबाद, फैजाबाद, हरियाणा, कलकत्ता और पंजाब आदि नगर आपके लिये शुभ रहेंगे।

अनुकूल देश- नेपाल, हालैण्ड, इंगलैण्ड, डेनमार्क, न्यूयार्क, आस्ट्रेलिया, कम्बोडिया, न्यूजीलैण्ड, बर्लिन, कनाडा आदि देश आपके लिए लाभकारी रहेंगे।

घर का मुख्य द्वार- भाग्यांक 3 वाले व्यक्ति यदि अपने गृह का मुख्य द्वार दक्षिण, पश्चिम या पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में रखें तो आपके परिवार के लिए विशेष लाभकारी रहेगा।

परिवर्तनशील होते हैं भाग्यांक 4 वाले

मूलांक 4 वाले होते हैं 'मस्त-मौला'

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?

भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।
उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक 4

भाग्यांक चार वाले व्यक्तियों के विचार परिवर्तनशील होते है। यदि ऐसा व्यक्ति किसी धर्म का प्रचारक हो गया तो जल्द ही वह अपने विचारों से समाज को एक नई दिशा दिखाने में कामयाब होगा। आप किसी भी क्षेत्र में जायें, परन्तु अपने अथक परिश्रम से सफलता प्राप्त ही कर लेंगे। यदि आप राजनीति में जायेंगे तो आप एक पार्टी में स्थिर न रहकर, दूसरी पार्टी में चले जायेंगे।

आप तर्क करने में काफी कुशल होंगे इसलिए वाद-विवाद करके आप दूसरों पर अपना अधिकार जमा लेंगे। आपको क्रोध जल्दी आता है, परन्तु समाप्त भी जल्दी ही हो जाता है। इसी कारण कुछ लोग आपके शत्रु बन जाते है। आपकी जरूरते तो अवश्य पूर्ण होगी परन्तु ख्वाहिसे पूरी करने के लिए काफी इन्तजार करना पड़ेगा। आप किसी की भी निन्दा न करें व प्रत्येक के गुणों की प्रशंसा करें। आप अपने बुढ़ापे के लिए धन का संचय अवश्य करें अन्यथा कष्टकारी रहेगा। यात्रा के दौरान आप किसी पर विश्वास न करें अन्यथा हानि हो सकती है।

कैरियर- ज्योतिष का कार्य, प्रोफेसर, वास्तुकला, उपदेशक, रेलवे की नौकरी, हवाई सेवा, मोटर चालक, इलेक्ट्रानिक मीडिया, दूर संचार विभाग, डिजाइनर, इन्जीनियरिंग, पी.डब्लू.डी में नौकरी, होटल में मैनेजर, डाक विभाग आदि में आप-अपना कैरियर बना सकते है।

व्यवसाय- ईंट का भठठा, सीमेन्ट व बालू का कार्य, बुटीक का कार्य, शराब, स्पिरिट, तेल व इत्र का व्यवसाय, पेन्टिंग का कार्य, रेलवे की ठेकेदारी, कागज का कार्य, बिल्डिंग का निर्माण, धार्मिक स्थलों पर गाइड का कार्य, फास्टफूड आदि का व्यापार आपके लिए फायदेमन्द रहेगा।

भागयशाली वर्ष- भाग्यांक चार वाले व्यक्तियों के जीवन में जब-जब 4, 2, 1, 7 इन अंको का योग आयेगा या फिर ये अंक आमने-सामने आयेंगे तो वह वर्ष आपके लिए अनुकूल रहेंगे। 30 वर्ष से 40 वर्ष की अवस्था तक आपको धन के मामले में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आपके लिए 22वां , 28वां , 31वां , 40वां , 43वां, 47वां व 71 वां वर्ष शुभ रहेंगे।

अनुकूल नगर- बम्बई, चेन्नई, कानपुर, भूपाल, इन्दौर, बिजनौर, गोरखपुर, मुरादाबाद, हरिद्वार, ये शहर आपके लिए शुभ रहेंगे।

अनुकूल देश- इटली, जापान, इण्डोनेशिया, वाशिंगटन, बांग्लादेश, जर्मनी आदि देश आपके लिए शुभ रहेंगे।

घर का मुख्य द्वार- भाग्यांक चार वाले जातक यदि अपने घर का मुख्य द्वार पूर्व या पूर्व-दक्षिण (आग्नेय कोण) के कार्नर पर रखें तो आपको लाभकारी परिणाम मिलेंगे।


बुद्धिमान होते हैं भाग्यांक 5 वाले

मूलांक 5 वाले होते हैं 'बुद्धिमान'

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?

भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक5- आपकी बुद्धि का मुकाबला शायद ही कोई कर पायेगा, इसलिए आप किसी भी प्रश्न को सुलझााने में कामयाब होंगे। आपके पास कई प्रकार की मानसिक शक्तियां होंगी, जो आपके स्वभाव को रहस्यमयी बना देगी। आप-अपने पैर कई जगह पसारने की कोशिश करेंगे परन्तु एक ही कार्य पर मन लगाये तो बेहतर होगा।

आपका मन घूमने-फिरने में ज्यादा लगेगा तथा प्रत्येक वाहन में बैठने की आपकी प्रबल इच्छा होगी। आप कोई भी बात जल्दी कहकर भूल जाते है, उसके बाद दूसरे पर रौब झाड़ते है। आप-अपने मित्रों से बहुत प्रेम करेंगे तथा अपनी शक्ति से अधिक मदद करने के लिए भी तत्पर रहेंगे। आप-अपनी मधुर वाणी से सबको मोह लेते है, यह आपकी अदभुत क्षमता है। आप-अपने शरीर का बहुत ज्यादा ख्याल रखेंगे इसलिए आप प्रौढ़ावस्था में भी जवान जैसे लगेंगे। आप-अपने शरीर से अधिक से अधिक काम लेने के बावजूद भी स्फूर्तिवान बने रहेंगे।

आप-अपना सम्बन्ध समाज के उच्च लोंगो से बनायें रखें जो भविष्य में लाभकारी प्रतीत होगा। आप अनेक विषयों की जानकरी रखते है, यह अच्छी बात है परन्तु अपना मत दूसरों पर थोपने का प्रयास न करें। आप अत्यधिक चिन्ता न करें अन्यथा मानसिक बीमारी हो सकती है।


कैरियर- पर्यटन विभाग, टेलीफोन विभाग, बीमा क्षेत्र, बैंकिग क्षेत्र, गृह मन्त्रालय, गणित के अध्यापक, पोस्टमैन, सिंचाई विभाग, संगीत का क्षेत्र, एंकरिंग, राजनीति का क्षेत्र, खेल और मार्केटिंग से सम्बन्धित कैरियर का चुनाव कर सकते है।


व्यवसाय- तम्बाकू, पान मसाला, कत्था, किमाम, पुस्तक के थोक विक्रेता, दूर संचार विभाग की ठेकेदारी, रेलवे के पार्टो का कारखाना, चूडि़यों का व्यापार, कपड़े का व्यापार, हरी वस्तुओं का व्यापार तथा फर्नीचर आदि का व्यवसाय आपके लिए लाभप्रद रहेगा।

भाग्यशाली वर्ष- भाग्यांक5 वाले जातकों के जीवन में जब-जब 5, 3, 7,और 2 इन अंको का योग आयेगा या फिर ये अंक आमने-सामने आयेंगे तो वह वर्ष आपके लिए अनुकूल रहेंगे।

जैसे- 14वां, 23वां, 25वां, 37वां, 41वां, 43वां, 50वां, व 56वां वर्ष आपके लिए बेहद अनुकूल रहेंगे।

अनुकूल नगर- लखनऊ, नोएडा, अहमदाबाद, नई दिल्ली, मुम्बई, गोवा, केरल, कलकत्ता, भुवनेश्वर आदि शहर आपके के लिए शुभ रहेंगे।

अनुकूल देश- सिंगापुर, स्पेन, साउदी अरब, कोरिया, आयरलैण्ड, अमेरिका आदि देश आपके लिए लाभप्रद रहेंगे।

घर का मुख्य द्वार- आप-अपने घर का मुख्य द्वार यदि उत्तर या पूर्व-उत्तर(ईशान कोण) में रखें तो आपके परिवार में खुशहाली व आर्थिक सम्पन्नता बनी रहेगी।


सुंदरता प्रेमी होते हैं भाग्यांक 6 वाले

मूलांक 6 वाले होते हैं 'शौकीन मिजाज'
भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?
भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।
उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1
भाग्यांक 6- इन जातकों का जीवन शुक्र ग्रह से प्रभावित रहता है। शुक्र ग्रह सौन्दर्य का प्रतीक माना जाता है। आपमें एक विशेष प्रकार की आकर्षण शक्ति होगी, इसलिए लोग आपसे जल्दी प्रभावित हो जाते है। सुन्दर कलात्मक संगीत व साहित्य से आपको विशेष लगाव रहता रहेगा। आप कोई भी कार्य समय से करने में विश्वास रखते है इसलिए आपको आलसी लोग पसन्द नहीं आते है। आपको कुरूपता पसन्द नहीं है इसलिए आप कुरूप लोगों से ज्यादा नजदीकियां नहीं बढ़ाते है।
प्रत्येक पर विश्वास न करें या फिर करें भी तो पहले उसका परीक्षण अवश्य कर लें। मोटापा ज्यादा होने की सम्भावना है, इसलिए आपको-अपने खान-पान पर विशेष सावधानी बरतनें की आवश्यकता है। आप प्रतिवाद की भावना में कभी न फॅसे अन्यथा अपने लक्ष्य ये भटक सकते है। आप-अपनी गल्तियों को सही साबित करने का प्रयास करते हैं, इस आदत में सुधार लाने का प्रयास करें। दूसरो के अनुभवों से लाभ उठाने की आदत डालें। चटपटे व स्वादिष्ट व्यंजनों के प्रति आपका विशेष लगाव रहता है, परन्तु इससे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है।
कैरियर- परिवहन विभाग, पर्यटन विभाग, रेसलिंग, टीवी शो, थियेटर, भूर्गभ विभाग, उद्यान विभाग, समाज कल्याण, सचिवालय विभाग आदि में आप-अपना कैरियर निर्धारित कर सकतें है।
व्यवसाय- रेस्टोरेन्ट, शिल्प कार्य, साहित्य, फिल्म विज्ञापन, परिवहन विभाग की ठेकेदारी, वस्त्रों का व्यापार, हीरे का बिजनेस, सौन्दर्य प्रसाधनों का कार्य, सफेद वस्तुओं का कार्य, खनिज कार्य, पेन्टिंग, निर्माण कार्य, आदि से सम्बन्धित व्यवसाय आपके लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।
भाग्यशाली वर्ष- भाग्यांक 6 वाले व्यक्तियों के जीवन में जब-जब 6, 9, 3 व 2 इन अंको का योग आयेगा तो वह वर्ष आपके लिए अनुकूल रहेंगे। जैसे- 21वां , 24वां , 30वां , 33वां , 39वां , 42वां , 46वां , 54वां , 56वां , ये वर्ष आपके लिए अच्छे रहेंगे।
अनुकूल नगर- मुरादाबाद, पंजाब, चण्डीगढ़, गाजियाबाद, बिजनौर, नालन्दा, जयपुर, अम्बेडकर नगर आदि शहर आपके लिए शुभ रहेंगे।
अनुकूल देश- कनाडा, जापान, कराची, बर्लिन, साउथ अफ्रीका, कोलम्बिया, रूस आदि देश आपके लिए आपके लिए अच्छे रहेंगे।
घर का मुख्यद्वार- भाग्यांक 6 वाले जातक यदि अपने घर का मुख्यद्वार पश्चिम या फिर पूर्व-उत्तर(ईशान कोण) में रखें तो परिवार व कैरियर के लिए बेहद अनुकूल रहेगा।


रहस्यमयी होते हैं भाग्यांक 7 वाले

मूलांक 7 वाले होते हैं ' तुनक मिजाज'

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?

भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक 7- ये जातक कुशल तार्किक, स्पष्टवादी व अधिक वार्तालाप करने वाले होते है। ऐसे जातक रहस्यात्मक क्रियाओं को लिए होते है। ये अपना अलग अस्तित्व बनाने के प्रयास में लगातार मेहनत करते-रहते है। अतः इस अंक के चरित्र को समझने में काफी कठिनता आती है। ये जातक स्वतंत्रता के बारें में विशेष रूचि रखते है। आप समाजिक व आर्थिक रूप से अपने उपर ही निर्भर रहेंगे। आपके जीवन में एक बात दिखाई देगी, यदि कोई परम्परा आप पर हावी होगी तो उसे तोड़ने में आप देरी नहीं करेंगे।

कभी-कभी आप-अपना नियंत्रण खो बैठेंगे, और परिणाम को सोंचे बगैर कार्य कार्य करने लगते है। यह स्थिति आपके लिए हितकर नहीं है। आपका जीवन जल की क्रियाओं से दुर्घटनाजनित हो सकता है, अतः सावधानी बरतें। आपकी सबसे बड़ी खासियत है, कि आप बहुत कर्मशील, स्फूर्तिवान तथा आकर्षण से युक्त होंगे। आपकी भावुकता तथा दिमाग में उठने वाला बीज कुछ भी करा सकता है।

आप जो भी अपने जीवन में करेंगे बड़ी सुचारता से करेंगे। आपकी प्रकृति बहुत गहरी होगी और आप सोचने के बाद ही उस कार्य को करेंगे। आप वही कार्य करेंगे जिसमें आपको लाभ होगा।

कैरियर- योग शिक्षक, एग्रीकल्चर विभाग, तैराकी, पत्रकारिता, बीमा कम्पनी, सर्जरी चिकित्सा, गुप्तचर विभाग आदि में आप-अपना कैरियर बना सकते है।

व्यवसाय- बागवानी का कार्य, कृषि कार्य, तरल पदार्थो का व्यापार, आयुर्वेदिक दवाओं का व्यापार, बिजली की दुकान, मोटर पार्टस आदि से सम्बन्धित आप व्यवसाय करेंगे तो लाभप्रद साबित होगा।

भाग्यशाली वर्ष- आपके जीवन में जब-जब 7, 2, 4 इन अंको का येग आयेगा या फिर ये अंक आमने-सामने आयेंगे तो वह वर्ष आपके लिए शुभ रहेंगे। जैसे- 16वां , 25वां, 27वां, 31वां, 34वां, 43वां, 52वां, 56वां, व 70 वां ये वर्ष आपके लिए अनुकूल रहेंगे।

अनुकूल नगर- कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट, बंगलौर, गुजरात, नैनीताल, देहरादून, टनकपुर आदि शहर आपके लिए शुभ रहेंगे।

अनकूल देश- केपटाउन, कोलम्बो, बैंकाक, स्वीडन, मास्को, कनाडा आदि देश आपके लिए शुभ रहेंगे।

घर का मुख्यद्वार-इन जातकों के घर का मुख्यद्वार यदि पश्चिम या फिर पूर्व-दक्षिण(आग्नेय कोण ) में हो तो इनके परिवार की प्रगति और खुशहाली बरकरार रहेगी।

संघर्षमयी होते हैं भाग्यांक 8 वाले

मूलांक 8 वाले होते हैं 'मेहनती'

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?

भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक 8- ऐसे व्यक्तियों का जीवन शनि ग्रह से प्रभावित रहता है। आपका पूरा जीवन संघर्ष में व्यतीत होता है। आप साहसी है, अतः आप प्रत्येक खतरों को अपने साहस के बल पर नष्ट कर देंगे। आप किसी भी कार्य को बड़ी लगन से करते है परन्तु जैसे ही सफलता आपको मिल जाती है, वैसे ही आपका कार्यो के प्रति रूझान कम पड़ जाता है।

आप गम्भीर विचारों के स्वामी होंगे जिसके कारण लोग आपको सम्मान देंगे। आपको छोटा कार्य या छोटा पद पसन्द नहीं आयेगा। आप निर्भय, स्पष्टवादी व लग्नशील होंगे इसलिए आप-अपनी इच्छा पूरी करने के लिए बड़े से बड़ा त्याग भी करने को तैयार रहेंगे। आप भाग्यवादी होंगे परन्तु जीवन में अनेक कठिन कार्यो को कर दिखायेंगे। आपके जीवन में परिवर्तन की हवा बहेगी परन्तु आप सकारात्मक व सजग रहें।

आप कम बोलने में ज्यादा विश्वास करेंगे। जरूरत से ज्यादा किसी पर विश्वास करना आपके लिए घातक सिद्ध हो सकता है। आपके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आयेंगे परन्तु आप धैर्य न खोंये यही सफलता का सूत्र है। किसी दुर्घटना के भय से आपका मन चिन्तित रहेगा।

कैरियर- इन्जीनियरिंग, वैज्ञानिक खोज, ज्योतिष का कार्य, कर्मकाण्ड, वकालत, न्यायाधीश, खनिज विभाग, सेना में नौकरी, तकनीकी कार्य, कृषि कार्य, हार्स राइडिंग, पनडुब्बी, राजनीति आदि क्षेत्र में आप-अपना कैरियर चुन सकते है।

व्यवसाय- काली वस्तुओं का व्यापार जैसे- तिलहन, काले तिल आदि, ट्रांसपोर्ट का कार्य, मुर्गी पालन, लकड़ी का कार्य, बिजली का कार्य, लोहे का कार्य, शिल्प कला का कार्य, कृषि कार्य, वाहन की ऐजेन्सी, मोटर पाटर््स आदि के व्यवसाय आपके लिए अनुकूल रहेंगे।

भाग्यशाली वर्ष- आपके जीवन में जब-जब 8, 4, 7, 2, इन अंको का योग आयेगा या फिर ये अंक आमने-सामने आयेंगे तो वह वर्ष आपके लिए अनुकूल रहेंगे। जैसे- 16वां , 17वां, 26वां, 31वां, 35वां, 38वां, 44वां, 53वां, 58वां, 70वां, ये वर्ष आपके लिए अच्छे रहेंगे।

अनुकूल नगर- मेरठ, लखनऊ, फिरोजाबाद, कानपुर, इलाहाबाद, जॅहागीराबाद, सूरत, नासिक, ये शहर आपके लिए अनुकूल रहेंगे।

अनुकूल देश- उत्तरी अमरीका, चीन, बांगलादेश, स्वीडन, आस्ट्रिया, साउदी अरब ये देश आपके लिए अनुकूल रहेंगे।

घर का मुख्यद्वार- ये लोग यदि अपने घर का मुख्यद्वार पूर्व-द(आग्नेय कोण) या फिर दक्षिण-पश्चिम(नैऋत्य कोण) में रखें तो अनुकूल परिणाम मिलेंगे।

बहादुर होते हैं भाग्यांक 9 वाले

भाग्यांक द्वारा जानें अपना व्यवसाय व कैरियर- अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है। आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आप-अपना व्यवसाय व कैरियर निर्धारित कर सके। अब सवाल यह आता है कि भाग्यांक जाना कैसे जाय?

भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म मास और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।

उदाहरणः माना किसी जातक का जन्म 26 नवम्बर 1980 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है।
जन्म तारीख, जन्म मास और जन्म वर्ष= भाग्यांक
जन्म तारीख, 26=2+6=8
जन्म मास, 11=1+1=2
जन्म वर्ष, 1980=1+9+8+0=18=1+8=9
तो इस प्रकार इस जातक का भाग्यांक=
8+2+9=19=1+9=10=1+0=1

भाग्यांक 9- भाग्यांक नौ वाले जातकों के जीवन का प्रतिनिधित्व मंगल ग्रह करता है। इन व्यक्तियों में नेतृत्व करने का तथा संगठन करने का विशेष गुण विद्यमान होता है। ऐसे व्यक्तियों का जन्म साधारण कुल में होते हुए भी ऐ लोग अपनी मेहनत के बल पर उच्च मुकाम हासिल कर लेते है। आप कभी आने वाले संकटो से घबराते नहीं ओर साहस से कार्य कर उन संकटो को दूर कर देते है।

आपको क्रोध जल्दी आता है, इसलिए कई बार नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। आप स्वतंत्र विचार के होंगे, इसलिए किसी के अधीन कार्य करना पसन्द नहीं करेंगे। आप वह कार्य करना पसन्द करेंगे जिसमें कठिनाईयां हो तथा कुछ अलग तरह के कार्य हो। आप देखने में तो कठोर होंगे परनतु अन्दर से उतने उदार भाव के होंगे। आप बहुत ही प्रतिभाशाली होंगे व आपके समक्ष कोई भी व्यक्ति बोलने का साहस नहीं करेगा, परन्तु पीठ पीछे लोग आपकी आलोचना करेंगे।

आपकी लेखन शैली सुन्दर होगी। आपके पास कुछ न हो परन्तु फिर भी आप शान-शौकत से ही रहना पसन्द करेंगे। आप इधर की बात उधर न करें और न ही ऐसे लोगों को अपने पास बैठायें।

कैरियर- प्रशासनिक सेवा, बीटेक, गुप्तचर विभाग, आर्मी, आरकिटेक्ट, भूगर्भ विभाग, फोटोग्राफी, समाज कल्याण, भूमि का क्रय-विक्रय, सचिवालय विभाग चिकित्सा क्षेत्र, आदि से सम्बन्धित आप-अपना कैरियर निर्धारित कर सकते है।

व्यवसाय- सर्जरी का सामान, कोर्ट-कचहरी, ठेकेदारी, मेडिकल की दुकान, धर्म उपदेशक, औषधि निर्माण कारखाना, आदि से सम्बन्धित आप व्यवसाय करेंगे तो आपको लाभ मिलेगा।

भाग्यशाली वर्ष- 9, 6, 3 और 5 इन अंको का जब-जब योग आयेगा या फिर ये अंक आमने-सामने आयेंगे तो वह वर्ष आपके लिए लाभकारी प्रतीत होंगे। जैसे- 18वां, 27वां, 30वां, 36वां, 45वां, 54वां, 59वां, 69वां, ये वर्ष आपके लिए अनुकूल रहेंगे।

अनुकूल नगर- उड़ीसा, भुवनेश्वर, चण्डीगढ़, सिकन्दराबाद, पुणे, गोवा, जयपुर, अजमेर, पिथौरागढ़ आदि शहर आपके लाभकारी प्रतीत होंगे।

घर का मुख्यद्वार- आप यदि अपने घर का मुख्यद्वार दक्षिण या फिर दक्षिण-पश्चिम(नैऋत्य कोण) में रखें तो आपके परिवार में सुख शान्ति व समृद्धि बनी रहेगी।

कुण्डली में राजयोग - Rajayoga in Your Kundali

ज्योतिषशास्त्र में कई शुभ योगों का जिक्र किया गया है. कुछ शुभ योगों को राजयोग की श्रेणी में रखा गया है. कुण्डली (Kundli) में राजयोग होने पर व्यक्ति को सुख-सम्पत्ति मान-सम्मान एवं ख्याति मिलती है ऐसी ज्योतिषशास्त्र की मान्यता है. इन्हीं कारणों से लोगों में यह जानने की उत्सुकता रहती है कि क्या उनकी कुण्डली में राजयोग है. इस आलेख में कुछ ऐसे योगों के विषय में बताया जा रहा है जिन्हें राजयोग की श्रेणी में रखा गया है. इन योगों में से कोई भी योग जन्मपत्री में हो तो आप मान साकते हैं कि आपकी कुण्डली में राजयोग है. राजयोग का आपको क्या फल मिलेगा यह भी बताया जा रहा है
कलानिधि योग (Kalanidhi Yoga) 
जन्म कुण्डली (Kundli) में द्वितीय अथवा पंचम भाव में गुरू के साथ बुध या शुक्र की युति होने पर कलानिधि योग (Kalanidhi Yoga) बनता है. गुरू यदि द्वितीय अथवा पंचम में हो और शुक्र या बुध उसे देख रहे हों तब भी कलानिधि योग का निर्माण होता है. यह योग राजयोग की श्रेणी में आता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग बनता है वह कलाओं में निपुण होता है. अपनी योग्यता से धन-दौलत अर्जित करता है. वाहन सुख तथा समाज में इन्हें प्रतिष्ठित भी मिलती है. राजनीति में भी यह सफल हो सकते हैं. 

काहल योग (Kahal Yoga) 
गुरू एवं चतुर्थेश एक दूसरे से केन्द्र में हों और लग्नेश बलवान हों तो काहल योग (Kahal Yoga) बनता है. काहल योग तब भी बनता है जब चतुर्थेश एवं लग्नेश दोनों एक दूसरे से केन्द्र भाव में विराजमान हों. काहल राजयोग जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में होता है वह बहादुर एवं साहसी होता है. वह जहां भी कार्य करता है उसकी भूमिका नेता के समान होती है. यह राजनेता अथवा किसी संस्थान के प्रमुख हो सकते हैं. आर्थिक स्थिति मजबूत रहती है. 

अमारक योग (Amarak Yoga) 
सप्तमेश एवं नवमेश में गृह परिवर्तन योग होने पर अमारक योग (Amarak Yoga) बनता है. अमारक योग में सप्तमेश एवं नवमेश दोनों का बलवान होना जरूरी होता है. इस राजयोग वाले व्यक्ति को विवाह के पश्चात भाग्य का पूर्ण सहयोग मिलता है. इनका जीवनसाथी गुणवान होता है तथा वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है. धर्म-कर्म में इनकी गहरी आस्था होती है. विद्वान के रूप में इन्हें सम्मान मिलता है. वृद्धावस्था आन्नद एवं सुख से बिताते हैं. 

गजकेशरी योग (Gajakesari Yoga) 
गजकेशरी योग को केशरी योग के नाम से भी जाना जाता है. यह योग गुरू चन्द्र के एक दूसरे से केन्द्र में स्थित होने पर बनता है. यह उच्च कोटि का राजयोग होता है. जिनकी कुण्डली में यह राजयोग होता है वह सुखी जीवन जीते हैं. इनके सगे-सम्बन्धियों की संख्या अधिक होती है तथा उनसे पूरा सहयोग मिलता है. गजकेशरी योग से प्रभावित व्यक्ति अपने नेक एवं नम्र स्वभाव के कारण प्रतिष्ठित होते हैं तथा आत्मविश्वास एवं मजबूत इरादों से मुश्किल हालातों एवं चुनौतियो का सामना भी आसानी से कर पाते हैं. इनका यह गुण इन्हें कामयाबी दिलाता है. 

लक्ष्मी योग (Laxmi Yoga) 
राजयोग की श्रेणी में लक्ष्मी योग का नाम भी लिया जाता है. नवमेश की युति लग्नेश अथवा पंचमेश के साथ होने पर यह योग (Gaja Kesari Yoga) बनता है. लक्ष्मी राज योग वाले व्यक्ति काफी धन अर्जित करता है. मान्यता है कि जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में यह योग होता है वह धन-सम्पत्ति एवं वैभव से परिपूर्ण सुखमय जीवन जीवन जीते हैं. समाज में इन्हें सम्मान मिलता है. परिवार में यह आदरणीय होते हैं.

अमला योग (Amala Yoga) 
चन्द्रमा जिस भाव में हो उससे दसवें घर में कोई शुभ ग्रह होने पर अमला योग बनता है. शुभ ग्रह पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव नहीं होना चाहिए. कुण्डली में यह स्थिति बन रही हो तो जीवन भर सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. ज्योतिषशास्त्र में इस योग के विषय में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस योग के साथ जन्म लेता है वह भले ही गरीब परिवार में जन्म ले परंतु गरीबी का साया उस पर नहीं रहता है. 

राजयोग (Raja Yoga) 
उपरोक्त योग राजयोग की श्रेणी में रखे गये हैं परंतु मूल रूप से जिसे राजयोग कहते हैं वह तब बनता है जब केन्द्र अथवा त्रिकोण के स्वामी एक दूसरे के घर में बैठें अथवा दो केन्द्र भाव के स्वामी गृह परिवर्तन करें और त्रिकोण भाव के स्वामी की उनपर दृष्टि हो. यह राजयोग जिस व्यक्ति की कुण्डली (Kundli) में होता है वह राजा के समान वैभवपू्र्ण जीवन जीता है. इनकी आयु लम्बी होती है. जबतक जीते हैं सम्मान से जीते हैं मृत्यु के पश्चात भी इनकी ख्याति व नाम बना रहता है

श्री कृष्ण कथा(वाराणसी की कथा)




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(वेदों सेः वेद हिंदुओं का प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ है। यह हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति के मूल्यवान भंडार हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने युगों तक चिंतन-मनन कर इस सृष्टि के रहस्यों की जानकारी इस ग्रंथ में संग्रहित की है। बहुत से देशों के विद्वान आज भी इस प्राचीन ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं।)

वाराणसी की कथा

यह कथा द्वापरयुग की है जब भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र ने काशी को जलाकर राख कर दिया था। बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह कथा इस प्रकार हैः

मगध का राजा जरासंध बहुत शक्तिशाली और क्रूर था। उसके पास अनगिनत सैनिक और दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे। यही कारण था कि आस-पास के सभी राजा उसके प्रति मित्रता का भाव रखते थे। जरासंध की अस्ति और प्रस्ति नामक दो पुत्रियाँ थीं। उनका विवाह मथुरा के राजा कंस के साथ हुआ था।

कंस अत्यंत पापी और दुष्ट राजा था। प्रजा को उसके अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। दामाद की मृत्यु की खबर सुनकर जरासंध क्रोधित हो उठा। प्रतिशोध की ज्वाला में जलते जरासंध ने कई बार मथुरा पर आक्रमण किया। किंतु हर बार श्रीकृष्ण उसे पराजित कर जीवित छोड़ देते थे।

एक बार उसने कलिंगराज पौंड्रक और काशीराज के साथ मिलकर मथुरा पर आक्रमण किया। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें भी पराजित कर दिया। जरासंध तो भाग निकला किंतु पौंड्रक और काशीराज भगवान के हाथों मारे गए। 

काशीराज के बाद उसका पुत्र काशीराज बना और श्रीकृष्ण से बदला लेने का निश्चय किया। वह श्रीकृष्ण की शक्ति जानता था। इसलिए उसने कठिन तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें समाप्त करने का वर माँगा। भगवान शिव ने उसे कोई अन्य वर माँगने को कहा। किंतु वह अपनी माँग पर अड़ा रहा। 

तब शिव ने मंत्रों से एक भयंकर कृत्या बनाई और उसे देते हुए बोले-“वत्स! तुम इसे जिस दिशा में जाने का आदेश दोगे यह उसी दिशा में स्थित राज्य को जलाकर राख कर देगी। लेकिन ध्यान रखना, इसका प्रयोग किसी ब्राह्मण भक्त पर मत करना। वरना इसका प्रभाव निष्फल हो जाएगा।” यह कहकर भगवान शिव अंतर्धान हो गए।

इधर, दुष्ट कालयवन का वध करने के बाद श्रीकृष्ण सभी मथुरावासियों को लेकर द्वारिका आ गए थे। काशीराज ने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए कृत्या को द्वारिका की ओर भेजा। काशीराज को यह ज्ञान नहीं था कि भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण भक्त हैं। इसलिए द्वारिका पहुँचकर भी कृत्या उनका कुछ अहित न कर पाई। उल्टे श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र उसकी ओर चला दिया। सुदर्शन भयंकर अग्नि उगलते हुए कृत्या की ओर झपटा। प्राण संकट में देख कृत्या भयभीत होकर काशी की ओर भागी। 

सुदर्शन चक्र भी उसका पीछा करने लगा। काशी पहुँचकर सुदर्शन ने कृत्या को भस्म कर दिया। किंतु फिर भी उसका क्रोध शांत नहीं हुआ और उसने काशी को भस्म कर दिया।

कालान्तर में वारा और असि नामक दो नदियों के मध्य यह नगर पुनः बसा। वारा और असि नदियों के मध्य बसे होने के कारण इस नगर का नाम वाराणसी पड़ गया। इस प्रकार काशी का वाराणसी के रूप में पुनर्जन्म हुआ।

प्रेम और परमात्मा


संतो की उपदेश देने की रीति-नीति भी अनूठी होती है. कई संत अपने पास आने वाले से ही प्रश्न करते है और उसकी जिज्ञासा को जगाते है; और सही-सही मार्गदर्शन कर देते है.

आचार्य रामानुजाचार्य एक महान संत एवं संप्रदाय-धर्म के आचार्य थे . दूर दूर से लोग उनके दर्शन एवं मार्गदर्शन के लिए आते थे. सहज तथा सरल रीति से वे उपदेश देते थे.

एक दिन एक युवक उनके पास आया और पैर में वंदना करके बोला :

“मुझे आपका शिष्य होना है. आप मुझे अपना शिष्य बना लीजिए.”

रामानुजाचार्यने कहा : “तुझे शिष्य क्यों बनना है ?” युवक ने कहा : “मेरा शिष्य होने का हेतु तो परमात्मा से प्रेम करना है.”

संत रामानुजाचार्य ने तब कहा : “इसका अर्थ है कि तुझे परमात्मा से प्रीति करनी है. परन्तु मुझे एक बात बता दे कि क्या तुझे तेरे घर के किसी व्यक्ति से प्रेम है ?”

युवक ने कहा : “ना, किसीसे भी मुझे प्रेम नहीं.” तब फिर संतश्री ने पूछा : “तुझे तेरे माता-पिता या भाई-बहन पर स्नेह आता है क्या ?”

युवक ने नकारते हुए कहा ,“मुझे किसी पर भी तनिकमात्र भी स्नेह नहीं आता. पूरी दुनिया स्वार्थपरायण है, ये सब मिथ्या मायाजाल है. इसीलिए तो मै आपकी शरण में आया हूँ.”

तब संत रामानुज ने कहा : “बेटा, मेरा और तेरा कोई मेल नहीं. तुझे जो चाहिए वह मै नहीं दे सकता.”

युवक यह सुन स्तब्ध हो गया.

उसने कहा : “संसार को मिथ्या मानकर मैने किसी से प्रीति नहीं की. परमात्मा के लिए मैं इधर-उधर भटका. सब कहते थे कि परमात्मा के साथ प्रीति जोड़ना हो तो संत रामानुजके पास जा; पर आप तो इन्कार कर रहे है.”

संत रामानुज ने कहा : “यदि तुझे तेरे परिवार से प्रेम होता, जिन्दगी में तूने तेरे निकट के लोगों में से किसी से भी स्नेह किया होता तो मै उसे विशाल स्वरुप दे सकता था . थोड़ा भी प्रेमभाव होता, तो मैं उसे ही विशाल बना के परमात्मा के चरणों तक पहोंचा सकता था .

छोटे से बीजमें से विशाल वटवृक्ष बनता है. परन्तु बीज तो होना चाहिए. जो पत्थर जैसा कठोर एवं शुष्क हो उस में से प्रेम का झरना कैसे बहा सकता हूँ ? यदि बीज ही नहीं तो वटवृक्ष कहाँ से बना सकता हूँ ? तूने किसी से प्रेम किया ही नहीं, तो तेरे भीतर परमात्मा के प्रति प्रेम की गंगा कैसे बहा सकता हूँ ?”

काहनी का सार ये है कि जिसे अपने निकट के भाई-बंधुओं से प्रेमभाव नहीं, उसे ईश्वर से प्रेम भाव नहीं हो सकता. हमें अपने आस पास के लोगों और कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ सकते। यदि हमें आध्यात्मिक कल्याण चाहिए तो अपने धर्म-कर्तव्यों का भी उत्तम रीति से पालन करना होगा।

मोबाइल के फिल्मी रिंगटोन से जानिए लोगों का स्वभाव

(निरूप त्रिपाठी) मोबाइल आज लोगों की जरूरत बन चुका है और इसी जरूरत के जरिये लोग अपने शौक पूरा करते है, अब आप पूछेगें कि ये कैसे, तो मोबाइल पर फिल्मी गाने सुनना या गेम खेलना शौक नहीं है तो क्या है?आपको यकीन नहीं होगा कि मोबाइल पर बजने वाली रिंगटोन या कॉलरट्यून से आप किसी व्यक्ति के नेचर को बड़ी अच्छी तरह से समझ सकते है। वनइंडिया से विशेष बातचीत में मुंबई की अंकशास्त्री ज्योतिमा शर्मा ने कई रोचक बाते बतायी, जिन्‍हें हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं-

ज्योतितमा शर्मा ने कहा कि जैसे कि अगर किसी के फोन की रिंगटोन कोई पुरानी रोमांटिक गीत की है तो वो इंसान प्यार को समझता है, लेकिन पारंपरिक रूप से अपने प्यार को महत्व देता है। और अगर कोई फास्ट रोमांटिंक सांग वाली रिंगटोन है तो समझिये वो इंसान अपने प्यार को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है, क्योंकि वो गति और वक्त के साथ चलने में भरोसा रखता है। अगर आपको कोई कॉमेडी धुन सुनायी दे तो ये समझ लीजिये वो इंसान काफी मस्त-मौला है और अगर किसी की रिंगटोन या कॉलर पर आपको किसी के चीखने, हंसने या कोई डॉयलॉग सुनायी पड़े तो समझ लीजिये वो इंसान काफी आक्रामक है।

ज्योतिमा शर्मा ने अपनी गणना के आधार पर बताया कि वो मूलांको के हिसाब से बता सकती है कि किस मूलांक वालों को कैसी फिल्मी रिंगटोन लगाने चाहिए क्योंकि मूलांक के हिसाब से व्यक्तित्व परिभाषित होता है और रिंगटोन उसके स्वभाव को दर्शाती है। यहां आपको हम मूलांक 1 से लेकर मूलांक 9 तक के लोगों के बारे में बताते है कि वो किस तरह की फिल्मी धुन अपने मोबाइल पर बजाते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं मूलांक 1 वालों की जो कि काफी 'तर्कशाली' होते हैं, ये जिंदगी में हर चीज अपने दम पर पाने की तमन्ना रखते हैं इसलिए इनकी रिंगटोन अगर फिल्मी होती है तो वो गाने ऐसे होगें जो जिंदगी में आगे बढ़ने की बात करते हैं। इनके मोबाइल पर आपको खुश होने वाले, मस्ती वाले और दुनिया जीतने वाले गाने मिलेगें। ये हर पल जीना चाहते हैं इसलिए अगर कल से आपको किसी की रिंग टोन पर फिल्म कल हो ना हो .. का गाना हर पल यहां जियो..सुनायी पड़े तो समझ लीजिये वो इंसान पॉजिटीव सोच का मालिक है।

अब बात करते हैं मूलांक 2 वालों की जो कि बेहद 'सॉफ्ट-सॉफ्ट'होते हैं। इसलिए इनकी रिंगटोन काफी मस्ती भरी और खुशनुमा गानों वाली होती है। लोगों का दिल जीतने वाले इन नंबर के लोग रोमांटिंक और कॉमेडी सांग सुनना पसंद करते हैं। आप को इनके पास से हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को मिलेगा, इसलिए इनके पसंद के गानों में नयापन होता है। उदाहरण के लिए अगर आप को किसी की कॉलर ट्यून और रिंग टोन पर कोई कॉमेडी सांग सुनायी पड़े तो आप समझ लीजिये वो इंसान बेहद ही प्यारा और हंसमुख है।

अब बारी मूलांक 3 वालों की जो कि काफी रिजर्व टाइप होते है, उनके पास से आपको हमेशा कुछ यूनिक सांग सुनने को मिलेगें। हो सकता है इन मूलांक वालों की रिंगटोन पर आपको के एल सहगल और अपाची इंडियन दोनों के गानों का रीमिक्स मिले। अपने आपको हमेशा अलग और बढ़िया साबित करने में जुटे इन लोगों की पसंद काफी हटकर होती है। इसलिए अगर आपको किसी की रिंगटोन पर कव्वाली, ठुमरी, गजल या कजरी टाइप के गाने सुनने को मिले तो समझिये वो इंसान थोड़ा रिजर्व टाइप का और इगोस्टिक है।

अब नंबर आता है मूलांक 4 का, जिनका स्वभाव ही होता है अपनी मस्ती में चूर रहना, देश-दुनिया की परवाह ना करने वाले इन लोगों को मस्ती और रोमांटिक गाने पसंद होते हैं। अक्सर इनकी रिंगटोन दिल को छू लेने वाले गाने की होती है, लेकिन इन नंबर वालों की एक खासियत होती है कि ये अपनी रिंगटोन हमेशा बदलते रहते हैं क्योंकि एक जगह टिकना इनकी फितरत नहीं होती।

मूलांक 4 के बाद नंबर आता है मूलांक 5 का, जो कि काफी बुद्दिमान होते हैं। इसलिए इनके पास गीतों का कलेक्शन काफी अच्छा होता है। आपको रोमाटिंक से लेकर भजन तक सब कुछ इनके पास मिलेगा। इसलिए अक्सर इनकी रिंगटोन बेहद खूबसूरत गीतों से शुरू होती है, ये गीत ऐसे होते हैं जो अक्सर काफी लोगों को पसंद आते हैं। इन्हें पता है कि कौन सा काम करने से इनका शौक भी पूरा हो जायेगा और दूसरों को बुरा भी नहीं लगेगा, इसलिए अगर आपको कोई विरला लेकिन प्यारा गीत किसी के मोबाइल पर सुनायी दे तो समझ लीजिये उस इंसान को अपने से ज्यादा दूसरों की परवाह है।

अब बारी आती है मूलांक 6 की, जिनका मिजाज ही काफी शायराना होता है इसलिए ऐसे लोगों की रिंगटोन में आपको वो गाने सुनायी देगें जिनमें शब्दों का वजन हो। जैसे अगर किसी की रिंगटोन..फिल्म कभी-कभी की शायरी 'कभी-कभी' या 'जगजीत सिंह' की कोई पुरानी गजल से शुरू हो तो जान लीजिये वो इंसान हर काम दिल से करने वाला मस्त आदमी है।

मूलांक 7 वाले तुनक मिजाजी होते हैं इसलिए इनकी पसंद के गीतों ऐसे होंगे जो जल्द ही किसी को पसंद नहीं आते हैं। हो सकता है इनकी रिंगटोन किसी फिल्म का ऐसा डॉयलाग हो जिसमें कोई खलनायक किसी हीरो को जबरदस्त गालिय़ां दे रहा हो, या फिर किसी फिल्म का कोई डराने वाला संवाद हो जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाये। अगर ऐसा कहीं आपको सुनायी दे तो समझ लीजिये जनाब काफी जिद्दी है।

मूलांक 8 वाले सबको साथ लेकर चलने वाले होते हैं, इसलिए इनकी पसंद भी बड़ी साधारण सी होती है, आपको इनके पास से ऐसे गाने सुनने को मिलेगें जो सुनने में काफी अच्छे और लोकप्रिय होगें। इनके पास स्लो गाने भी होंगे तो फास्ट ट्रैक जिन्हें सुनते ही आप थिरकने लगें। इनकी रिंगटोन भी कॉमन सांग की होती है, जो वक्त-वक्त पर बदलती रहती है।

अब नंबर आया मूलांक 9 का, जो कि शैतान प्रवृत्ति के होते हैं, इसलिए इनकी रिंगटोन ऐसी होगी की जिसे सुनकर इंसान हंसे बिना ना रह पाये। हो सकता है वो कोई 'असरानी' का डॉयलाग हो या फिर कोई 'कॉमेडी सांग' जिसे सुनकर आप पेट पकड़े बिना नहीं रह पायेगें।

है ना, मजेदार जानकारी..तो चलिए आप भी उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखकर, हर उस व्यक्ति के बारे में जान लीजिये जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं लेकिन कोई कुछ बताता नहीं हैं। उम्मीद हैं आप सफल होगें।

नोट : जिन्हें मूंलाक निकालना नहीं आता है वो अपने जन्म तिथी का योग फल निकाल लें जैसे कि यदि किसी व्यक्ति का जन्मदिन 10 तारीख को है तो उसका मूलांक 1+0=1 होगा।

भाग्य के लिए बांस के पौधे

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भाग्य के लिए रखें बांस के पौधे: 
फेंगशुई में लम्बी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं। बांस प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भरपूर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी भी प्रकार के तूफानी मौसम का सामना करने का सामर्थ्य रखने के प्रतीक हैं। यह पौधा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है, इसलिए आप बांस के पौधों का चित्र लगाकर उन्हें शक्तिशाली बना सकते हैं।

दरवाजे के पास पानी रखिए:
दरवाजे के पास पानी होना बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। विशेष रूप से यह उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर के दरवाजों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। पानी का पात्र अत्यंत सावधानी के साथ रखना चाहिए। इस पात्र को दरवाजे के पास बाईं ओर रखना चाहिए। जब आप घर में खडे हों और बाहर की ओर देख रहे हों, तो आपके बाईं ओर पानी हो, दरवाजे के दाईं ओर भूल कर भी पानी का पात्र मत रखिए, क्योंकि इसका उल्टा असर हो सकता है । इसके कारण घर का पुरूष किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित हो सकता है अथवा वैवाहिक जीवन में किसी तीसरे का प्रवेश हो सकता है ।


टेलिफोन और फैक्स उचित स्थान पर रखें:
टेलिफोन और फैक्स मशीनें सम्पर्क स्थापित करने के साधन हैं। वे आपके पास आने वाले व्यवसाय की सूचना देने के साधन हैं। जब जब आपकी घंटी बजती है तब तब आप यह सोचकर उत्तेजित हो उठते हैं कि कोई ग्राहक आना चाहता है आपके बारे में पूछताछ करना चाहता है अथवा उसे आपकी सेवाओं की जरूरत है। ऐसे ग्राहकों की उपस्थिति जो आपके प्रति सहानुभूति रखते हैं और आपके पथप्रदर्शक हैं आपके लिए स्वागतयोग हैं। टेलीफोन व फैक्स की मशीनें धातु की बनी होती हैं। इसलिए जहां तक हो सके, इन्हें उ.-प. कोने में रखना चाहिए। क्योंकि उ.-प. दिशा सहायक व्यक्तियों का क्षेत्र है और इस क्षेत्र का तत्व धातु है ।

किसी भी दरवाजे पर अथवा दरवाजे के ऊपर कैलेंडर न लटकाएं:
किसी भी दरवाजे पर आगे या पीछे की ओर अथवा दरवाजे के मार्ग में कैलेन्डर कभी न लटकाएं, क्योंकि दरवाजे के ऊपर विशेष रूप से मुख्य दरवाजे के ऊपर कैलेन्डर या घड़ी लटकाना घर के सदस्यों की दीर्घ आयु के लिए बुरा है। प्रतीकात्मक रूप से इसका यह मतलब होता है कि आपकी ज़िन्दगी के कितने दिन शेष बचे हैं ।

दक्षिण-पूर्व दिशा में धातु की वस्तुएं और कैंचियां न रखें:
दक्षिण-पूर्व दिशा का तत्व काष्ठ है। पांच तत्वों के विध्वंसक चक्र के अनुसार धातु काष्ठ को काट डालती है, इसलिए इस क्षेत्र में कैंची या चाकू जैसी धारदार वस्तु रखना इस क्षेत्र की ऊर्जा के लिए हानिकारक है। इन वसतुओं का नकारात्मक प्रभाव संपन्नता के मार्ग में बाधक बनता है, क्योंकि इस क्षेत्र से जुड़ी हुई जीवन की अभिलाषा सम्पत्ति है ।

नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए अगरबत्तियां:
प्रत्येक घर में भगवान की पूजा करने के लिए धूप व अगबत्तियों का प्रयोग करते हैं। अगरबत्तियों की मोहक सुगंध से आसपास का वातावरण सुगंधित हो उठता है। ये बहुत ही उपयोगी होती हैं। क्योंकि, इनसे नकारात्मक ऊर्जाओं वाली वायु शुद्ध हो जाती है। धूप जलाने से ऊर्जा का सृजन होता है, स्थान पवित्र हो जाता है व मन को शान्ति मिलती है। इसलिए, प्रतिदिन अगरबत्तियां और धूप जलाना अति उत्तम और बहुत ही शुभ है।

भूमि परीक्षण और वास्तु


एक हाथ गहरा गड्ढा खोदकर उसे चारों और अच्छी तरह लीप - पोतकर स्वच्छ करदें  फिर एक मिट्टी के चौ मुखे दिप में घी भरकरउसमें चारों दिशाओंकी ओर मुख करके चार बत्तियाँ जला दें और उसी गड्ढे में दिये को रख दें 

यदि पूर्व दिशाकी बत्ती अधिक समयतक जलती रहे तो वह भूमि ब्राह्मणके लिये शुभ होती हैं।
यदि उत्तर दिशाकी बत्ती अधिक समयतक जलती रहे तो वह भूमि क्षत्रियके लिये शुभ होती हैं।
यदि पश्चिम दिशाकी बत्ती अधिक समयतक जलती रहे तो वह भूमि वैश्यके लिये शुभ होती हैं।
यदि दक्षिण दिशाकी बत्ती अधिक समयतक जलती रहे तो वह भूमि शूद्रके लिये शुभ होती हैं।