स्वप्न --स्वप्नों का अर्थ:शुभाशुभ स्वप्नों के पुराणोक्त फल:क्या है स्वप्न का विज्ञान ?:स्वप्नफल एवं अचूक उपाय/Dreams
आग जलाते हुए देखना, अन्न दर्शन, अश्व, ऐनक देखना, कीड़े-मकोड़े बदन पर रेंगना, कड़वी चीज खाना, केला खाना या देखना, किसी को रोते हुए देखना, किसी का कत्ल करना, कुत्ते को मौत के घाट उतार देना, नमकीन/नमक खाना, चंदन लेप, गेहुं देखना, गो माता देखना, घोड़ा साज श्रृंगार किया हुआ देखना, घंटा की आवाज, मकान देखना, चंद्रकोट देखना, छाता खोलना, पहाड़ पर चढ़ना या घूमना, नयी तलवार देखना, घी पीना या मिलना, देवता, मूर्ती, धार्मिक कार्य, फुलवारी, फूल का पौधा देखना, भारद्वाज पक्षी देखना, पकोड़े खाना या देखना, प्रेत देखना, खुद रोते हुए देखना, रेस का घोड़ा, राजा, लड्डू खाना, बतक, बैल, युद्ध-लड़ाई में कत्ल होना, श्रीफल नारियल का प्रसाद मिलना देखना, सिगरेट पीना, जननेंद्रिय देखना, आसमान देखना।
विवाह/स्त्री प्राप्ति
विवाह सौख्य
खरगोश पर बैठना, तितली देखना, नवयौवना, पान खाना, बर्फ देखना, मछली देखना, लहंगा देखना, शिशु देखना, अंगूठी देखना, नारियल देना, मुर्गी देखना, गुलाबी चीजें देखना, गोल गोल देखना।
सत्ती प्राप्ति सौख्य
अंडा खाना, कैद होना, इमली खाना, तरबूज का खेत देखना, रस्सी से बांधना, जंजीर से बांधना, इंद्रिय देखना।
स्वास्थ्य लाभ - आयु वृद्धि/ रोग मुक्ति
अर्थी देखना, आंवला खाना, आत्म हत्या करना, ईमली का पेड़ देखना, चोट लगना, ज्वर पीड़ित, गड्ढ़े देखना, तैरते देखना, दवाई पीना, दरिया में नहाना, दाह संस्कार देखना, नाखून काटना, बादाम देखना, सेब देखना, बिस्तर बिछाना, आसमान में उड़ना, बाल सफेद होना, चांद देखना, पांव खाना, रोटी, ब्रेड खाना, टैंक में से पानी पीना या नहाना।
प्रवास - यात्रा
किरानी में बैठकर नदी पार करना, पैर देखना, समुद्र, दरिया देखना, स्कूटर चलाना, हरा रंग देखना, कन्या देखना, घड़ी देखना, घाट पर नहाना, धनुष खींचना, पूल देखना, बकरी देखना, स्वयं को भूखा देखना
रोग, मृत्यु, आपत्ति
- स्वप्नों का अर्थ
- शुभाशुभ स्वप्नों के पुराणोक्त फल
- क्या है स्वप्न का विज्ञान ?
- स्वप्न व शकुन से भविष्य में होने वाली घटनाओं का ज्...
- स्वप्नफल एवं अचूक उपाय
- स्वप्न : एक अध्ययन
- स्वप्न की प्रक्रिया और फलादेश
- स्वप्नेश्वरी देवी साधना
स्वप्नों का अर्थ
भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है।
व्यक्ति सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। सभी प्राणियों में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो स्वप्न देख सकता है। अर्थात् जो मनुष्य स्वप्न नहीं देखता, वह जीवित नहीं रह सकता। इसका अभिप्राय यह है कि जो जीवित और सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। केवल जन्म से अंधे व्यक्ति स्वप्न नहीं देख सकते लेकिन वे भी स्वप्न में ध्वनियां तो सुनते ही हैं। अर्थात स्वप्न तो उनको भी आते हैं। स्वप्न सोते हुए ही नहीं, जागते हुए भी देखे जा सकते हैं। इस प्रकार स्वप्न को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
जागृत अवस्था के स्वप्न
निद्रावस्था के स्वप्न
जागृत अवस्था के स्वप्न कवियों, दार्शनिकों, प्रेमी-प्रेमिकाओं, अविवाहित किशोर, युवक-युवतियों को अधिक आते हैं। ये स्वप्न कलात्मक होते हैं। भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है। जिस व्यक्ति विशेष की साधना इतनी प्रबल होती है कि वह जागृतावस्था में या ध्यानावस्था में इन भूत-भविष्य के सूक्ष्म आकारों से संपर्क कर लेता है, वही योगी और भविष्यदृष्टा कहलाता है।
अवचेतन मन की पहुंच हमारे शरीर तक ही सीमित नहीं, वरन् वह विश्व के किसी भी भाग में जब चाहे पहुंच सकता है। उसके द्वारा तीनों लोकों के कोने-कोने का समाचार प्राप्त हो सकता है। अतः भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों का ज्ञान अवचेतन मन से ही संभव है।
नीचे कुछ मुख्य-मुख्य स्वप्नों के भावों फलों का संक्षिप्त वर्णन किया जा रहा है। स्वप्न फलों के संबंध में निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। रात्रि में तीन बजे से सूर्योदय के पूर्व के स्वप्न सात दिन में, मध्य रात्रि के स्वप्न 1 माह में, मध्य रात्रि से पहले के स्वप्न 1 वर्ष में अपना फल प्रदान करते हैं। दिन के स्वप्न महत्वहीन होते हैं। एक रात में एक से अधिक स्वप्न आएं तो अंतिम स्वप्न ही फलदायक होगा।
शुभ स्वप्न फल विचार
स्वप्न में जिस पुरुष को अपने सिर पर घर जलता दिखाई दे, उसे राज्य पद मिलता है।
जो पुरुष स्वप्न में कानों में कुंडल, माथे पर मुकुट और गले में मोतियों का हार धारण करता है वह निश्चित ही राज्यपद को प्राप्त करता है।
स जो पुरुष स्वप्न में अपने शत्रुओं को पराजित होते हुए देखता है वह पुरुष पदोन्नति प्राप्त करता है।
जो पुरुष स्वप्न में गाय, बैल, पक्षी, हाथी पर चढ़कर अपने आपको समुद्र को पार करता हुआ देखता है वह
राजा है।
जो पुरुष स्वप्न में कमल के पत्ते पर बैठकर खीर खाता है वह राज्यपद को प्राप्त करता है।
यदि कोई स्त्री स्वप्न में अपनी योनि के क्षेत्र को विकसित देखती है तो उसे किसी पुरुष के धन की प्राप्ति होती है।
जिस पुरुष के स्वप्न में सारे बाल झड़ जाते हैं या वह अपने आपको केश विहीन देखता है तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है।
जो पुरुष स्वप्न में कुम्हार को घड़ा बनाते देखता है उसके शोक का नाश होता है और उसे बहुत धन की प्राप्ति होती है।
जो पुरुष स्वप्न में अपने आपको ऊंची दीवार पर बैठा देखे तो उसको सुख-संपत्ति प्राप्त होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने को अपनी आयु से बड़ा देखे तो उसको मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
अशुभ स्वप्न फल विचार :
यदि कोई स्त्री अपने आपको स्वप्न में गंजा देखे तो उसे गरीबी का सामना करना पड़ेगा।
यदि पुरुष स्वप्न में देखे कि उसके साथ दुर्घटना घट गयी है तो उसे शीघ्र ही बीमारी जकड़ लेती है।
यदि कोई स्वप्न में यात्रा के लिए वाहन द्वारा जाने की तैयारी में है तो उसे यात्रा छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि यात्रा में उसकी मृत्यु हो सकती है।
यदि कोई स्वप्न में अपने आपको शीशा तोड़ते हुए देखता है तो उसके परिवार में शीघ्र ही किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में चीटियों को मारे तो व्यापार का नाश होता है।
जो पुरुष अपनी नाव को तूफान में फंसते देखता है तो आने वाला समय दुर्भाग्य की सूचना देता है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में कड़वी दवा लेता है तो वह अनेक प्रकार की कठिनाईयों में पड़ जाता है।
स्वप्न में रोता बच्चा देखना बीमारी और निराशा की सूचना देता है।
प्रणय संबंधी स्वप्न फल विचार :
यदि कोई युवती स्वप्न में किसी रत्न जड़ी अंगूठी अथवा नैकलेस को देखती है तो उसका दांपत्य
जीवन सुखी व्यतीत होता है।
यदि युवती स्वप्न में किसी मित्र के दिये हुए कंगन पहनती है तो उसका शीघ्र ही विवाह हो जाता है।
यदि पुरुष स्वप्न में कोई सुंदर वस्त्र देखता है तो उसे मधुर स्वभाव वाली विदुषी पत्नी की प्राप्ति होती है।
यदि पुरुष स्वप्न में औरत को घूंघट निकालते देखता है तो उसका दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
जब कोई पुरुष स्वप्न में अपनी खोई हुई वस्तु प्राप्त करता है तो उसे आगामी जीवन में सुख मिलता है।
यदि कोई युवती स्वप्न में अपने आपको मेले अथवा नुमाइश में घूमती देखे तो उसे योग्य पति की प्राप्ति होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में इंद्र धनुष देखता है तो उसका वास्तविक जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
यदि अविवाहित युवती अपने प्रेमी को किसी अन्य युवती से विवाह करता देखे तो विवाह शीघ्र हो जाता है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में किसी सुंदर व स्वस्थ्य नवजात शिशु को देखता है तो उसको संतान प्राप्त होती है।
यदि किसी स्त्री को कोई पुरुष स्वप्न में अंगूठी भेंट में दे तो उसका पति उसे अत्यंत प्रेम करेगा।
मिश्रित स्वप्न फल विचार :
जो पुरुष स्वप्न में जीवित गिद्ध को देखता है उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि गिद्ध आकाश में ऊंचाई पर उड़ता दिखाई दे तो अत्यधिक सौभाग्यशाली होता है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में साफ-सुथरी श्मशान भूमि को देखे तो उसके व्यापार में वृद्धि होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने आपको पुस्तक पढ़ते देखता है तो उसका समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
स्वप्न में मशीन द्वारा घाकाटना सौभाग्य वृद्धि का प्रतीक है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में किसी युवती को कर्णफूल पहने देखे तो उसे कोई शुभ समाचार मिलता है।
जो पुरुष स्वप्न में अनाज का ढेर देखता है उसे अपने परिश्रम से सफलता प्राप्त होती है।
जो पुरुष स्वप्न में अनाज का ढेर देखता है उसे अपने परिश्रम से सफलता प्राप्त होती है।
जो पुरुष स्वप्न में कॉफी अथवा चाय पीता है, उसे जीवन में हर्षोल्लास और समृद्धि मिलती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने पैरों-हाथों में दर्द का अनुभव करे तो उसे धन की प्राप्ति होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में कारीगर बनकर मकान बनाता है तो उसको जीवन में अपार सफलता मिलती है।
व्यक्ति सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। सभी प्राणियों में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो स्वप्न देख सकता है। अर्थात् जो मनुष्य स्वप्न नहीं देखता, वह जीवित नहीं रह सकता। इसका अभिप्राय यह है कि जो जीवित और सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। केवल जन्म से अंधे व्यक्ति स्वप्न नहीं देख सकते लेकिन वे भी स्वप्न में ध्वनियां तो सुनते ही हैं। अर्थात स्वप्न तो उनको भी आते हैं। स्वप्न सोते हुए ही नहीं, जागते हुए भी देखे जा सकते हैं। इस प्रकार स्वप्न को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
जागृत अवस्था के स्वप्न
निद्रावस्था के स्वप्न
जागृत अवस्था के स्वप्न कवियों, दार्शनिकों, प्रेमी-प्रेमिकाओं, अविवाहित किशोर, युवक-युवतियों को अधिक आते हैं। ये स्वप्न कलात्मक होते हैं। भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है। जिस व्यक्ति विशेष की साधना इतनी प्रबल होती है कि वह जागृतावस्था में या ध्यानावस्था में इन भूत-भविष्य के सूक्ष्म आकारों से संपर्क कर लेता है, वही योगी और भविष्यदृष्टा कहलाता है।
अवचेतन मन की पहुंच हमारे शरीर तक ही सीमित नहीं, वरन् वह विश्व के किसी भी भाग में जब चाहे पहुंच सकता है। उसके द्वारा तीनों लोकों के कोने-कोने का समाचार प्राप्त हो सकता है। अतः भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों का ज्ञान अवचेतन मन से ही संभव है।
नीचे कुछ मुख्य-मुख्य स्वप्नों के भावों फलों का संक्षिप्त वर्णन किया जा रहा है। स्वप्न फलों के संबंध में निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। रात्रि में तीन बजे से सूर्योदय के पूर्व के स्वप्न सात दिन में, मध्य रात्रि के स्वप्न 1 माह में, मध्य रात्रि से पहले के स्वप्न 1 वर्ष में अपना फल प्रदान करते हैं। दिन के स्वप्न महत्वहीन होते हैं। एक रात में एक से अधिक स्वप्न आएं तो अंतिम स्वप्न ही फलदायक होगा।
शुभ स्वप्न फल विचार
स्वप्न में जिस पुरुष को अपने सिर पर घर जलता दिखाई दे, उसे राज्य पद मिलता है।
जो पुरुष स्वप्न में कानों में कुंडल, माथे पर मुकुट और गले में मोतियों का हार धारण करता है वह निश्चित ही राज्यपद को प्राप्त करता है।
स जो पुरुष स्वप्न में अपने शत्रुओं को पराजित होते हुए देखता है वह पुरुष पदोन्नति प्राप्त करता है।
जो पुरुष स्वप्न में गाय, बैल, पक्षी, हाथी पर चढ़कर अपने आपको समुद्र को पार करता हुआ देखता है वह
राजा है।
जो पुरुष स्वप्न में कमल के पत्ते पर बैठकर खीर खाता है वह राज्यपद को प्राप्त करता है।
यदि कोई स्त्री स्वप्न में अपनी योनि के क्षेत्र को विकसित देखती है तो उसे किसी पुरुष के धन की प्राप्ति होती है।
जिस पुरुष के स्वप्न में सारे बाल झड़ जाते हैं या वह अपने आपको केश विहीन देखता है तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है।
जो पुरुष स्वप्न में कुम्हार को घड़ा बनाते देखता है उसके शोक का नाश होता है और उसे बहुत धन की प्राप्ति होती है।
जो पुरुष स्वप्न में अपने आपको ऊंची दीवार पर बैठा देखे तो उसको सुख-संपत्ति प्राप्त होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने को अपनी आयु से बड़ा देखे तो उसको मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
अशुभ स्वप्न फल विचार :
यदि कोई स्त्री अपने आपको स्वप्न में गंजा देखे तो उसे गरीबी का सामना करना पड़ेगा।
यदि पुरुष स्वप्न में देखे कि उसके साथ दुर्घटना घट गयी है तो उसे शीघ्र ही बीमारी जकड़ लेती है।
यदि कोई स्वप्न में यात्रा के लिए वाहन द्वारा जाने की तैयारी में है तो उसे यात्रा छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि यात्रा में उसकी मृत्यु हो सकती है।
यदि कोई स्वप्न में अपने आपको शीशा तोड़ते हुए देखता है तो उसके परिवार में शीघ्र ही किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में चीटियों को मारे तो व्यापार का नाश होता है।
जो पुरुष अपनी नाव को तूफान में फंसते देखता है तो आने वाला समय दुर्भाग्य की सूचना देता है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में कड़वी दवा लेता है तो वह अनेक प्रकार की कठिनाईयों में पड़ जाता है।
स्वप्न में रोता बच्चा देखना बीमारी और निराशा की सूचना देता है।
प्रणय संबंधी स्वप्न फल विचार :
यदि कोई युवती स्वप्न में किसी रत्न जड़ी अंगूठी अथवा नैकलेस को देखती है तो उसका दांपत्य
जीवन सुखी व्यतीत होता है।
यदि युवती स्वप्न में किसी मित्र के दिये हुए कंगन पहनती है तो उसका शीघ्र ही विवाह हो जाता है।
यदि पुरुष स्वप्न में कोई सुंदर वस्त्र देखता है तो उसे मधुर स्वभाव वाली विदुषी पत्नी की प्राप्ति होती है।
यदि पुरुष स्वप्न में औरत को घूंघट निकालते देखता है तो उसका दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
जब कोई पुरुष स्वप्न में अपनी खोई हुई वस्तु प्राप्त करता है तो उसे आगामी जीवन में सुख मिलता है।
यदि कोई युवती स्वप्न में अपने आपको मेले अथवा नुमाइश में घूमती देखे तो उसे योग्य पति की प्राप्ति होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में इंद्र धनुष देखता है तो उसका वास्तविक जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
यदि अविवाहित युवती अपने प्रेमी को किसी अन्य युवती से विवाह करता देखे तो विवाह शीघ्र हो जाता है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में किसी सुंदर व स्वस्थ्य नवजात शिशु को देखता है तो उसको संतान प्राप्त होती है।
यदि किसी स्त्री को कोई पुरुष स्वप्न में अंगूठी भेंट में दे तो उसका पति उसे अत्यंत प्रेम करेगा।
मिश्रित स्वप्न फल विचार :
जो पुरुष स्वप्न में जीवित गिद्ध को देखता है उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि गिद्ध आकाश में ऊंचाई पर उड़ता दिखाई दे तो अत्यधिक सौभाग्यशाली होता है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में साफ-सुथरी श्मशान भूमि को देखे तो उसके व्यापार में वृद्धि होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने आपको पुस्तक पढ़ते देखता है तो उसका समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
स्वप्न में मशीन द्वारा घाकाटना सौभाग्य वृद्धि का प्रतीक है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में किसी युवती को कर्णफूल पहने देखे तो उसे कोई शुभ समाचार मिलता है।
जो पुरुष स्वप्न में अनाज का ढेर देखता है उसे अपने परिश्रम से सफलता प्राप्त होती है।
जो पुरुष स्वप्न में अनाज का ढेर देखता है उसे अपने परिश्रम से सफलता प्राप्त होती है।
जो पुरुष स्वप्न में कॉफी अथवा चाय पीता है, उसे जीवन में हर्षोल्लास और समृद्धि मिलती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने पैरों-हाथों में दर्द का अनुभव करे तो उसे धन की प्राप्ति होती है।
यदि कोई पुरुष स्वप्न में कारीगर बनकर मकान बनाता है तो उसको जीवन में अपार सफलता मिलती है।
स्वप्न व शकुन से भविष्य में होने वाली घटनाओं का ज्ञान
धन लाभ
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अग्नि हाथ में लेना, आग लगना, कीड़े-मकोड़े देखना, आम का पेड़ देखना, पके हुए आम देखना या खाना, चंदन देखना, अनार फल प्राप्ति, मंदिर पर चढ़ना, दूध पीना, दफन विधि, शौच का जाना या लगना देखना, हाथी दिखना या हाथी पर सवार होना।
व्यवसाय, नौकरी, भाग्योदय
व्यवसाय, नौकरी, भाग्योदय
आग जलाते हुए देखना, अन्न दर्शन, अश्व, ऐनक देखना, कीड़े-मकोड़े बदन पर रेंगना, कड़वी चीज खाना, केला खाना या देखना, किसी को रोते हुए देखना, किसी का कत्ल करना, कुत्ते को मौत के घाट उतार देना, नमकीन/नमक खाना, चंदन लेप, गेहुं देखना, गो माता देखना, घोड़ा साज श्रृंगार किया हुआ देखना, घंटा की आवाज, मकान देखना, चंद्रकोट देखना, छाता खोलना, पहाड़ पर चढ़ना या घूमना, नयी तलवार देखना, घी पीना या मिलना, देवता, मूर्ती, धार्मिक कार्य, फुलवारी, फूल का पौधा देखना, भारद्वाज पक्षी देखना, पकोड़े खाना या देखना, प्रेत देखना, खुद रोते हुए देखना, रेस का घोड़ा, राजा, लड्डू खाना, बतक, बैल, युद्ध-लड़ाई में कत्ल होना, श्रीफल नारियल का प्रसाद मिलना देखना, सिगरेट पीना, जननेंद्रिय देखना, आसमान देखना।
विवाह/स्त्री प्राप्ति
विवाह सौख्य
खरगोश पर बैठना, तितली देखना, नवयौवना, पान खाना, बर्फ देखना, मछली देखना, लहंगा देखना, शिशु देखना, अंगूठी देखना, नारियल देना, मुर्गी देखना, गुलाबी चीजें देखना, गोल गोल देखना।
सत्ती प्राप्ति सौख्य
अंडा खाना, कैद होना, इमली खाना, तरबूज का खेत देखना, रस्सी से बांधना, जंजीर से बांधना, इंद्रिय देखना।
स्वास्थ्य लाभ - आयु वृद्धि/ रोग मुक्ति
अर्थी देखना, आंवला खाना, आत्म हत्या करना, ईमली का पेड़ देखना, चोट लगना, ज्वर पीड़ित, गड्ढ़े देखना, तैरते देखना, दवाई पीना, दरिया में नहाना, दाह संस्कार देखना, नाखून काटना, बादाम देखना, सेब देखना, बिस्तर बिछाना, आसमान में उड़ना, बाल सफेद होना, चांद देखना, पांव खाना, रोटी, ब्रेड खाना, टैंक में से पानी पीना या नहाना।
प्रवास - यात्रा
किरानी में बैठकर नदी पार करना, पैर देखना, समुद्र, दरिया देखना, स्कूटर चलाना, हरा रंग देखना, कन्या देखना, घड़ी देखना, घाट पर नहाना, धनुष खींचना, पूल देखना, बकरी देखना, स्वयं को भूखा देखना
अशुभ स्वप्न
धन हानि, धन नाश, आसमान से गिरना, बाल काटना या गिरना, दांत का गिरना, नदी के पानी को बांध डालना, बाढ़ देखना, सूर्यास्त देखना, जूआ खेलना, जेब कटना, डाकू देखना, पेड़ काटना, झाड़ू लगाना, लाल रंग देखना।
व्यवसाय हानि
कबाब खाना, घोडे+ पर से गिरना, नाला बंद देखना, धुआं देखना, प्यासा होना, नाव में बैठना, पत्थर देखना, बिल्ली देखना, बारात देखना, यंत्र देखना, विवाह देखना, आसमान में धन देखना, सूखा जंगल, बाल गिरना, कपास रुई प्राप्ति, अंधेरा, उल्लू देखना, बादल देखना, लोहा देखना।
कबाब खाना, घोडे+ पर से गिरना, नाला बंद देखना, धुआं देखना, प्यासा होना, नाव में बैठना, पत्थर देखना, बिल्ली देखना, बारात देखना, यंत्र देखना, विवाह देखना, आसमान में धन देखना, सूखा जंगल, बाल गिरना, कपास रुई प्राप्ति, अंधेरा, उल्लू देखना, बादल देखना, लोहा देखना।
पत्नी से कलह, विरह, दुःख
कैंची चलना, कोयला देखना, छूरी मारना, टिकट लेना, तलाक होते देखना, घोड़ा गाड़ी देखना, थप्पड़ मारना, बूढ़ी औरत देखना, वर्षा देखना, मिर्च खाना, सेहरा देखना, शिकार करना, अंगूठी बेचना, बरतन मांजना, खून देखना, स्त्री का दूध पीना, चांदी के जेवर देखना।
रोग, मृत्यु, आपत्ति
अतिथि देखना, अंधेरा देखना, आलू देखना, ऑपरेशन देखना, उल्लू देखना, कोढ़ी देखना, ग्रहण देखना, गर्भपात, डॉक्टर देखना, तर्पण करते देखना, वर्षगांठ मनाना, सुंदर वस्त्र देखना, शीशा टूटना, जमीन खोदना, फिसल जाना, चंद्रास्त, भोजन करना, सूखा जंगल, आंख में काजल या सुरमा लगाना, तेल की मालिश करना, तारे/ग्रह गिरना, दीप बुझना, शराब पीना, पीपल के पेड़ पर चढ़ना।
बुरे स्वप्न देखने से मन बेचैन होता है, दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। उस समय किए जाने वाले कुछ उपाय निम्न हैं :
भगवान शंकर के मंदिर में ८ पान के बीड़े रखना और रुद्राभिषेक करना।
श्री दुर्गासप्तशती का पाठ करना।
रात्रि सूक्त का पुरश्चरण करना
वारणास्यों दक्षिणे भागे कुक्करोनाम वै द्विजेः यस्य स्मरण मात्रेण दुःस्वप्न सुस्वप्न भवेत्।
एक सफेद कागज पर स्वप्न का पूरा विवरण लिखकर उस कागज को आग लगाना।
बुरे स्वप्न देखने से मन बेचैन होता है, दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। उस समय किए जाने वाले कुछ उपाय निम्न हैं :
भगवान शंकर के मंदिर में ८ पान के बीड़े रखना और रुद्राभिषेक करना।
श्री दुर्गासप्तशती का पाठ करना।
रात्रि सूक्त का पुरश्चरण करना
वारणास्यों दक्षिणे भागे कुक्करोनाम वै द्विजेः यस्य स्मरण मात्रेण दुःस्वप्न सुस्वप्न भवेत्।
एक सफेद कागज पर स्वप्न का पूरा विवरण लिखकर उस कागज को आग लगाना।
शकुन और अपशकुन
कोई भी कार्य शुरू करते समय कुछ घटना या संकेत दिखना, सामने आना, आवाज सुनना, गिरना, अप्रिय घटना होना, किसी का आगमन, रास्ता काटना आदि घटना को शकुन और अपशकुन कहते हैं।
कार्य सिद्धि के शुभ शकुन
दो से ज्यादा ब्राह्मण आना, घोड़ा हाथी आना, लाल रंग का बैल रस्सी से बांधना, सफेद बैल, भेड़, बंदर, हिरण, गाय बछड़ा के साथ, शूद्र, वैश्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय, सुहागन कन्या का सामने आना।
पक्षी मोर, बोलने वाला, तोता, तीतर, हंस, कोकिला।
प्रेत यात्रा रूदन रहित, धोबी धुले हुए वस्त्र लेकर चलता हुआ, औरत पानी भरा कलश लेकर चलती हुई, प्रवासी बस, घोड़ागाड़ी सवार हुए, वेश्या, बारांगना का मिलना, फल, अन्न, दही, दूध, घी, मांस, सुरा, मद्य, गायन, वादन, मंगलवाद्य सुनना।
पक्षी मोर, बोलने वाला, तोता, तीतर, हंस, कोकिला।
प्रेत यात्रा रूदन रहित, धोबी धुले हुए वस्त्र लेकर चलता हुआ, औरत पानी भरा कलश लेकर चलती हुई, प्रवासी बस, घोड़ागाड़ी सवार हुए, वेश्या, बारांगना का मिलना, फल, अन्न, दही, दूध, घी, मांस, सुरा, मद्य, गायन, वादन, मंगलवाद्य सुनना।
अशुभ शकुन
गंजा आदमी, विधवा, हिजड़ा, गर्दभ, बिल्ली, तेली, हजाम, सुनार, मंदिर की पुजारिन मार्ग में मिलना, नंगा ब्राह्मण, सन्यासी मिलना।
अशुभ शकुन देखना, २० कदम पीछे हटना या पीछे मुड़कर दूसरे रास्ते से जाना।
भगवान श्रीकृष्ण जब मथुरा की तरफ जा रहे थे उनको शुभ शकुन हुआ और जब पैदा हुए तब कंस को अपशकुन का सामना करना पड़ा।
भगवान रामचंद्र को वनवास जाते समय कुछ अपशकुन हुए। जब भरत ननीहाल से अयोध्या की तरफ प्रस्थान कर रहे थे तो उनको अपशकुन का सामना करना पड़ा। जब रावण प्रभू रामचंद्र के साथ युद्ध करने निकले तब मंदोदरी को अपशकुन हुआ जिसके बारे में रामायण में लिखा है।
जब दुर्योधन पैदा हुआ तभी अपशकुन हुए। जब कोई कार्य का प्रारंभ करते समय शुभ शकुन हों तो कार्य संपन्न होते हैं। कोयल की आवाज, गाय और बछड़ा दिखाई देना। कुंवारी कन्या का झुंड नज+र आना। अशुभ शकुन- गर्दभ, कुत्ता, उल्लू लोमड़ी की आवाज, हिजड़े और गंजा आदमी, विधवा सामने आना। इन अपशकुनों से कार्य में विन बाधा आती है।
जब कोई कार्य संपन्न करने जा रहे हों तो भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। तुलसी पत्ते चबाना, इलायची खाते हुए श्री श्री श्री उच्चारण करना अपशकुन के प्रभाव को रोकता है। इसके अतिरिक्त उल्टे रास्ते चलना फिर मार्गस्थ होना भी एक उपाय बताया गया है।
निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
वारणास्यां दक्षिण भागे कुकुशे नाम वै द्विजः।
तस्य स्मरण मात्रेन भवेत दुःशकुनं शुभं शकुन भवेत्।
अशुभ शकुन देखना, २० कदम पीछे हटना या पीछे मुड़कर दूसरे रास्ते से जाना।
भगवान श्रीकृष्ण जब मथुरा की तरफ जा रहे थे उनको शुभ शकुन हुआ और जब पैदा हुए तब कंस को अपशकुन का सामना करना पड़ा।
भगवान रामचंद्र को वनवास जाते समय कुछ अपशकुन हुए। जब भरत ननीहाल से अयोध्या की तरफ प्रस्थान कर रहे थे तो उनको अपशकुन का सामना करना पड़ा। जब रावण प्रभू रामचंद्र के साथ युद्ध करने निकले तब मंदोदरी को अपशकुन हुआ जिसके बारे में रामायण में लिखा है।
जब दुर्योधन पैदा हुआ तभी अपशकुन हुए। जब कोई कार्य का प्रारंभ करते समय शुभ शकुन हों तो कार्य संपन्न होते हैं। कोयल की आवाज, गाय और बछड़ा दिखाई देना। कुंवारी कन्या का झुंड नज+र आना। अशुभ शकुन- गर्दभ, कुत्ता, उल्लू लोमड़ी की आवाज, हिजड़े और गंजा आदमी, विधवा सामने आना। इन अपशकुनों से कार्य में विन बाधा आती है।
जब कोई कार्य संपन्न करने जा रहे हों तो भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। तुलसी पत्ते चबाना, इलायची खाते हुए श्री श्री श्री उच्चारण करना अपशकुन के प्रभाव को रोकता है। इसके अतिरिक्त उल्टे रास्ते चलना फिर मार्गस्थ होना भी एक उपाय बताया गया है।
निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
वारणास्यां दक्षिण भागे कुकुशे नाम वै द्विजः।
तस्य स्मरण मात्रेन भवेत दुःशकुनं शुभं शकुन भवेत्।
स्वप्नफल एवं अचूक उपाय
मानव मन का स्वप्नों के साथ गहरा संबंध है निद्रा की अवस्था में भी मस्तिष्क सक्रिय रहता है। अवचेतन मन की इच्छाएँ, दिन प्रतिदिन के तनाव एवं चिन्ताएं स्वप्न के रूप में दिखाई देती हैं। मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि कभी-कभी स्वप्न भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देते हैं। स्वप्नों से भविष्य संकेत की पुष्टि कई प्राचीन ग्रंथों द्वारा होती है। ननिहाल में भरत ने एक स्वप्न देखा था जिसका परिणाम सामने आया। त्रिजटा ने भी लंका के विध्वंस होने का स्वप्न देखा था। स्वप्नों के शुभ व अशुभ फलों की अवधारणाएं प्रस्तुत हैं इस आलेख में
शुभ स्वप्न
जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में घोड़ा, हाथी, सफेद बैल, जूते, रथ में स्वयं को सवार देखता है-उसे ग्राम, नगर, राज्य अथवा देश से अवश्य ही सम्मान की प्राप्ति होती है।
किसी बड़े जलाशय, सरोवर, नदी अथवा सागर में स्वयं को तैरता देखने वाला मनुष्य सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाता है।
स्वप्न में उल्लू देखने से भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में तिल, चावल गेहूं, सरसों, जौ, अन्न का ढेर, पुष्प, छाता, ध्वज, दही, पान, कमल, कलश, शंख और सोने के गहने देखता है उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है।
स्वप्न में देवी लक्ष्मी की मूर्ति देखने से धन की प्राप्ति होती है।
गोरैया, नीलकंठ, कबूतर, सारस, तोता व तीतर दिखाई देने से गृहस्थ जीवन खुशहाल होता है।
स्वप्न में स्वयं को किसी महल के ऊँचे बुर्ज पर खड़े देखना भावी जीवन में उन्नति का संकेत है।
यदि कोई रोगी स्वप्न में दवाई की बोतल टूटी हुई देखता है तो वह शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाता है।
स्वप्न में फल देखना बहुत शुभ होता है।
यदि आप स्वयं को किसी ऊंचाई पर चढ़ता देखें तो यह भविष्य में उन्नति का संकेत है।
यदि आप स्वप्न में नए वस्त्र पहने दिखते हैं तो आपको कोई मांगलिक कार्य का संदेश मिलने वाला है।
यदि आप किसी वृद्ध व्यक्ति अथवा साधु को देखते हैं तो आपको बड़ा लाभ अथवा सम्मान मिलने वाला है।
किसी बड़े जलाशय, सरोवर, नदी अथवा सागर में स्वयं को तैरता देखने वाला मनुष्य सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाता है।
स्वप्न में उल्लू देखने से भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में तिल, चावल गेहूं, सरसों, जौ, अन्न का ढेर, पुष्प, छाता, ध्वज, दही, पान, कमल, कलश, शंख और सोने के गहने देखता है उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है।
स्वप्न में देवी लक्ष्मी की मूर्ति देखने से धन की प्राप्ति होती है।
गोरैया, नीलकंठ, कबूतर, सारस, तोता व तीतर दिखाई देने से गृहस्थ जीवन खुशहाल होता है।
स्वप्न में स्वयं को किसी महल के ऊँचे बुर्ज पर खड़े देखना भावी जीवन में उन्नति का संकेत है।
यदि कोई रोगी स्वप्न में दवाई की बोतल टूटी हुई देखता है तो वह शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाता है।
स्वप्न में फल देखना बहुत शुभ होता है।
यदि आप स्वयं को किसी ऊंचाई पर चढ़ता देखें तो यह भविष्य में उन्नति का संकेत है।
यदि आप स्वप्न में नए वस्त्र पहने दिखते हैं तो आपको कोई मांगलिक कार्य का संदेश मिलने वाला है।
यदि आप किसी वृद्ध व्यक्ति अथवा साधु को देखते हैं तो आपको बड़ा लाभ अथवा सम्मान मिलने वाला है।
अशुभ स्वप्न
यदि स्वप्न में किसी बच्चे का जन्म होता दिखाई दे तो सावधान होना चाहिए क्योंकि यह आगामी दुर्घटना का संकेत है
यदि स्वप्न में किसी रोते बच्चे को देखें तो कोई संकट आने वाला है।
स्वप्न में जिस व्यक्ति को दक्षिण दिशा में खड़े पितर बुलाते हैं उसको अपना अंतिम समय आया हुआ जान लेना चाहिए।
स्वप्न में कोई खंडहर, सुनसान जगह देखना, भटक जाना और निकलने का कोई मार्ग न मिलना हानि कारक होता है।
स्वप्न में यदि कोई किसी के पांवों को कटा हुआ देखेगा तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की आर्थिक और व्यवसायिक बाधाएं आने वाली हैं।
स्वप्न में यदि कोई पानी में डूबता जा रहा है तो यह आने वाले संकटों का सूचक है।
यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को डोरी से बंधा हुआ देखता है तो उसे शीघ्र ही किसी अपराध में बंदी बनाया जा सकता है।
स्वप्न में यदि ऐसा प्रतीत हो कि कोई व्यक्ति स्वप्न देखने वाले की पत्नी का अपहरण करके ले जा रहा है तो शीघ्र ही उसके धन की हानि होती है।
स्वप्न में किसी बारात में शामिल होना अशुभ है।
स्वप्न में किसी की हत्या होते देखने का अर्थ है कि कोई आपके खिलाफ बगावत कर रहा है।
स्वप्न में यदि कोई सोना चांदी आदि धातुओं की चोरी करता है तो यह अशुभ है। इस का प्रभाव व्यवसाय पर पड़ सकता है।
यदि स्वप्न में किसी रोते बच्चे को देखें तो कोई संकट आने वाला है।
स्वप्न में जिस व्यक्ति को दक्षिण दिशा में खड़े पितर बुलाते हैं उसको अपना अंतिम समय आया हुआ जान लेना चाहिए।
स्वप्न में कोई खंडहर, सुनसान जगह देखना, भटक जाना और निकलने का कोई मार्ग न मिलना हानि कारक होता है।
स्वप्न में यदि कोई किसी के पांवों को कटा हुआ देखेगा तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की आर्थिक और व्यवसायिक बाधाएं आने वाली हैं।
स्वप्न में यदि कोई पानी में डूबता जा रहा है तो यह आने वाले संकटों का सूचक है।
यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को डोरी से बंधा हुआ देखता है तो उसे शीघ्र ही किसी अपराध में बंदी बनाया जा सकता है।
स्वप्न में यदि ऐसा प्रतीत हो कि कोई व्यक्ति स्वप्न देखने वाले की पत्नी का अपहरण करके ले जा रहा है तो शीघ्र ही उसके धन की हानि होती है।
स्वप्न में किसी बारात में शामिल होना अशुभ है।
स्वप्न में किसी की हत्या होते देखने का अर्थ है कि कोई आपके खिलाफ बगावत कर रहा है।
स्वप्न में यदि कोई सोना चांदी आदि धातुओं की चोरी करता है तो यह अशुभ है। इस का प्रभाव व्यवसाय पर पड़ सकता है।
अनिष्ट फल
नाशक उपाय
यदि मन यह स्वीकार करे कि देखे गए स्वप्न का परिणाम अनिष्टकारी हो सकता है तो उसके निवारण का उपाय अवश्य किया जाना चाहिए। चित्रकूट वास के समय श्री राम ने भी एक स्वप्न देखा था जिसके अनिष्ट फल के निवारण हेतु उन्होंने भगवान शंकर की पूजा की थी। उचित उपाय करने से बुरे स्वप्न से होने वाला दुष्प्रभाव अत्यन्त क्षीण अथवा समाप्त हो जाता है।
यदि स्वप्न अधिक भयानक और रात्रि १२ से २ बजे देखा जए तो तुरंत श्री शिव का नाम स्मरण करें। ÷ऊँ नमः शिवाय' का जप करते हुए सो जाएं। तत्पश्चात् ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करके शिवमंदिर में जाकर जल चढ़ाएं पूजा करें व पुजारी को कुछ दान करें। इससे संकट नष्ट हो जाता है।
यदि स्वप्न ४ बजे के बाद देखा गया है और स्वप्न बुरा है, तो प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। कोई दुष्परिणाम नहीं होगा। स्नान के बाद ÷ऊँ नमः शिवाय' का १०८ बार जप करें।
हनुमान जी सब प्रकार का अनिष्ट दूर करने वाले हैं। बुरे स्वप्न का अनिष्ट दूर करने के लिए सुंदरकांड, बजरंग बाण, संकटमोचन स्तोत्र अथवा हनुमान चालीसा का पाठ भी सांयकाल के समय किया जा सकता है।
यदि स्वप्न बहुत बुरा है और आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो सुबह उठकर सफेद कागज पर स्वप्न को लिखें फिर उसे जला दें। राख नाली में पानी डाल कर बहा दें। फिर स्नान करके एक माला शिव के मंत्र ÷ऊँ नमः शिवाय' का जप करें। दुष्प्रभाव नष्ट हो जाएगा।
यदि स्वप्न अधिक भयानक और रात्रि १२ से २ बजे देखा जए तो तुरंत श्री शिव का नाम स्मरण करें। ÷ऊँ नमः शिवाय' का जप करते हुए सो जाएं। तत्पश्चात् ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करके शिवमंदिर में जाकर जल चढ़ाएं पूजा करें व पुजारी को कुछ दान करें। इससे संकट नष्ट हो जाता है।
यदि स्वप्न ४ बजे के बाद देखा गया है और स्वप्न बुरा है, तो प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। कोई दुष्परिणाम नहीं होगा। स्नान के बाद ÷ऊँ नमः शिवाय' का १०८ बार जप करें।
हनुमान जी सब प्रकार का अनिष्ट दूर करने वाले हैं। बुरे स्वप्न का अनिष्ट दूर करने के लिए सुंदरकांड, बजरंग बाण, संकटमोचन स्तोत्र अथवा हनुमान चालीसा का पाठ भी सांयकाल के समय किया जा सकता है।
यदि स्वप्न बहुत बुरा है और आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो सुबह उठकर सफेद कागज पर स्वप्न को लिखें फिर उसे जला दें। राख नाली में पानी डाल कर बहा दें। फिर स्नान करके एक माला शिव के मंत्र ÷ऊँ नमः शिवाय' का जप करें। दुष्प्रभाव नष्ट हो जाएगा।
शब्द बहुत छोटा है स्वप्न। भौतिक और जगत के अध्यात्म का समन्वय ही स्वप्न है। भौतिक अर्थात जो कुछ आंखों से दिख रहा है, इंद्रियां जिसे अनुभव कर रही हैं और दूसरा आध्यात्मिक अर्थात जो हमें खुली आंखों और स्पर्श से नहीं अनुभूत हो रहा। ये दोनों अवस्थाएं जीवन के दो पहलू हैं। दोनों सत्य है। एक बार एक लकड़हारा रात में सोते समय सपने देखने लगा कि वह बहुत अमीर हो गया है। नींद खुलने पर बहुत प्रसन्न हुआ। उसकी पत्नी रूखा सूखा भोजन देने आई तो वह बोला कि अब हम अमीर हैं, ऐसा खाना नहीं खाता हूं। पत्नी समझ गई कि उसका पति कोई निकृष्ट स्वप्न देख कर जगा है। शाम तक उसने उसे कुछ नहीं दिया जब लकड़हारा भूख से व्याकुल हुआ तो उसे सपने के सत्य-असत्य का ज्ञान हुआ और पुनः वह अपनी वास्तविक स्थिति पर लौट आया। अब प्रश्न यह उठता है कि स्वप्न, सत्य-असत्य कैसे है? कुछ क्षण के लिए सत्य का भान कराता है बाद में असत्य हो जाता है, कभी सत्य हो जाता है।
ऋषि, महर्षि, आचार्यों ने इस भूमि पर रह कर संसार को असत्य अर्थात स्वप्निल कहा है, स्वप्न के समान। गृहस्थ भी समाज देश में रह कर अपना स्थान मात्र स्मारक, फोटो फ्रेम तक सीमित मान लें, तो यह आध्यात्मिक सत्य है। ईश्वर को देखा नहीं गया है, लेकिन विश्व का हर देश, समाज, संप्रदाय किसी न किसी रूप में इसे स्वीकारता है। अतः यह पूर्ण सत्य है। जगत का सत्य अर्थात स्वप्निल संसार से सपनों का अर्थ निकालने में इसे ÷भ्रम' कहा जा सकता है। ÷भ्रम' इस अर्थ में कि अभी इस पर बहुत कुछ आधुनिक विज्ञान से पाने की संभावना बनती है।
हर मनुष्य की दो अवस्थाएं होती हैं, पहला जाग्रत या अनिंद्रित, दूसरी पूर्ण निंद्रा में अर्थात सुषुप्त। इसमें पुनः दो बार संधि काल आता है पहला जब सोने जाते हैं -पूर्ण निंद्रा में जाने से पहले और दूसरा, सोकर उठने से कुछ काल पहले का समय होता है। जाग्रत और पूर्ण निद्रावस्था के बीच के समय प्रायः स्वप्न आते हैं। एक विचार से नींद में दिखने वाला सब कुछ असत्य होता है, तो दूसरी विचारधारा में स्वप्न, पूर्व का घटित सत्य होता है। आगे इस पर विचार करेंगे कि प्रायः दिखने वाले स्वप्नों के क्या कारण हो सकते हैं ? भौतिक शरीर नहीं रहने पर, मन बुद्धि और मस्तिष्क के विचारों का, क्या शव के साथ दहन-दफन हो जाता है? कदापि किसी भी उर्जा का क्षय नहीं होता, रूपांतरण होता है। यह सर्वसत्य तथा वैज्ञानिक, मनीषियों की विवेचना है। जन्म-जन्मांतर में ये संस्कारिक रूप में आते हैं। वैसे सुषुप्त अवस्था में, मन बुद्धि और मस्तिष्क का ज्ञान भंडारपूर्ण सुषुप्त नहीं होता। निद्रा देवी अर्थात नींद कैसे आती है और कहां चली जाती है। इसे कौन नियंत्रित करता है ? वह ÷मन' है। शांत भाव से सोचते हैं कि सोना है और धीरे धीरे सो जाते हैं। अगर मन में यह बात बैठी है कि प्रातःकाल अमुक समय उठना है तो नींद गायब भी, समय पर हो जाती है। जैसे बंद मोबाइल, कंप्यूटर जब भी चालू करेंगे, वह समय ठीक ही बताएगा। अर्थात उसमें कुछ बंद अवस्था में भी चल रहा है। मानव शरीर एक विलक्षण यंत्र है इसमें वैदिक ज्ञान से लेकर अकल्पनीय कार्य क्षमता का समावेश है। भगवान की इस रचना के लिए श्रीगीता का एक श्लोक है - न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥
श्रीगीता के इस श्लोक का यह भाव है कि सुषुप्त अवस्था में भी मन द्वारा मस्तिष्क के संचित ज्ञान भंडार से कुछ न कुछ कार्य होता रहता है। सुषुप्त अवस्था में भी क्षण मात्र को कोई भी प्राकृतिक गुण-धर्म से अलग नहीं होता। प्रथम प्रकृति ही ईश्वर है। वह सदा साथ रहता है, मानव शरीर से शीर्ष पर, अर्थात सबसे ऊपर जो हमारा मस्तिष्क है। दिमाग की थोड़ी सी चूक उसे प्रगति से दूर्गति तक पहुंचा देती है। मस्तिष्क का संचालक ÷मन' है, हमारी सोच है। कल्याणकारी सोच अच्छे सपनों को जन्म देती है, निकृष्ट सोच सदा बुरे सपनों को संजोता है। मनोवैज्ञानिक भी यही कहते हैं कि स्वप्न मन की उपज है।
मनुष्य मस्तिष्क में असंख्य तंतुओं का जाल या संग्रहालय है। जागृत अवस्था में मन से उसे संचालन करते हैं फिर भी बहुत से मस्तिष्क रूपी कंप्यूटर खोलने और बंद करने में दिन भर की बाधाएं आती रहती हैं। मस्तिष्क की व्यवस्था जब विधिवत् बंद नहीं होती तो दिमाग बोझिल होकर निंद्रा में, कार्य करने पर स्वप्नों का निर्माण करता है। जब जगते हैं तो उनका अपुष्ट स्वरूप ध्यान आता है, फिर विचार करते हैं कि यह शुभ फल देगा या अशुभ। स्वप्न का अर्थ हमेशा निरर्थक नहीं होता, क्योंकि पूर्वजन्म की मनोदशा और ज्ञान संस्कार पुनः आगे के जन्मों में परिलक्षित होते हैं। बाह्य चेतना जन्य बोध, वर्तमान चेतना के बोध को भले ही अस्वीकार करे, लेकिन सच्चा ज्ञान एवं घटित कार्य कलाप अंतरात्मा में निहित होते हैं। मन से मस्तिष्क के ज्ञान का उदय, दिवा या रात्रि स्वप्न होते हैं।
बार-बार एक ही तरह के स्वप्न को देखने वाले कई लोग एक ही प्रकार की उपलब्धि पाते हैं तो स्वप्न विचारक मनीषी इसे तालिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं। बहुत ही प्राचीन काल से यह धारणा चली आ रही है और प्रायः यह सत्य के करीब है। स्वर्ण, आभूषण, रत्न आदि की प्राप्ति का स्वप्न, आने वाले समय में इसका क्षय दर्शाते हैं। वैसे ही मल मूत्र और अशुद्धियों से युक्त वातावरण के सपने से सम्मान पाना तथा शुभ वातावरण में समय व्यतीत होना लिखा है। लेकिन मरे हुए पशु और सूखे ताल का दृश्य इसका विपरीत बोध नहीं कराता, बल्कि आने वाले समय में विभिषीका को दर्शाता है। स्वप्न में सूर्य, चंद्र, मंदिर और भगवान स्वरूपों के दर्शन अति शुभ लिखे गए हैं। ऐसी तालिकाएं प्रायः पंचांगों में विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने दे रखी हैं। ज्योतिषीय विवेचना में चंद्र को मन का कारक कहा गया है। अतः मन ही सपनों का जनक कहा जा सकता है। जिस जातक के लग्न में कमजोर ग्रह, दूषित चंद्र या दृष्टिगत शत्रु ग्रह होते हैं, वे जातक आसन के कमजोर माने जाते हैं। ऐसे लोगों को स्वप्न ज्यादा दिखते हैं तथा नजर दोष, डर, भय के ज्यादा शिकार होते हैं। मनोवैज्ञानिक भी इसके उपचार में यथासाध्य दिमागी रोग का इलाज करते हैं। ज्योतिष संभावनाओं और पूर्व सूचनाओं का संपूर्ण विज्ञान है। दिवा स्वप्न हो या रात्रि स्वप्न, डरावने सपने हों या निरर्थक स्वप्न, इन सबों से छूटकारा पाने का एक मंत्र, जो प्रख्यात आचार्यों
ऋषि, महर्षि, आचार्यों ने इस भूमि पर रह कर संसार को असत्य अर्थात स्वप्निल कहा है, स्वप्न के समान। गृहस्थ भी समाज देश में रह कर अपना स्थान मात्र स्मारक, फोटो फ्रेम तक सीमित मान लें, तो यह आध्यात्मिक सत्य है। ईश्वर को देखा नहीं गया है, लेकिन विश्व का हर देश, समाज, संप्रदाय किसी न किसी रूप में इसे स्वीकारता है। अतः यह पूर्ण सत्य है। जगत का सत्य अर्थात स्वप्निल संसार से सपनों का अर्थ निकालने में इसे ÷भ्रम' कहा जा सकता है। ÷भ्रम' इस अर्थ में कि अभी इस पर बहुत कुछ आधुनिक विज्ञान से पाने की संभावना बनती है।
हर मनुष्य की दो अवस्थाएं होती हैं, पहला जाग्रत या अनिंद्रित, दूसरी पूर्ण निंद्रा में अर्थात सुषुप्त। इसमें पुनः दो बार संधि काल आता है पहला जब सोने जाते हैं -पूर्ण निंद्रा में जाने से पहले और दूसरा, सोकर उठने से कुछ काल पहले का समय होता है। जाग्रत और पूर्ण निद्रावस्था के बीच के समय प्रायः स्वप्न आते हैं। एक विचार से नींद में दिखने वाला सब कुछ असत्य होता है, तो दूसरी विचारधारा में स्वप्न, पूर्व का घटित सत्य होता है। आगे इस पर विचार करेंगे कि प्रायः दिखने वाले स्वप्नों के क्या कारण हो सकते हैं ? भौतिक शरीर नहीं रहने पर, मन बुद्धि और मस्तिष्क के विचारों का, क्या शव के साथ दहन-दफन हो जाता है? कदापि किसी भी उर्जा का क्षय नहीं होता, रूपांतरण होता है। यह सर्वसत्य तथा वैज्ञानिक, मनीषियों की विवेचना है। जन्म-जन्मांतर में ये संस्कारिक रूप में आते हैं। वैसे सुषुप्त अवस्था में, मन बुद्धि और मस्तिष्क का ज्ञान भंडारपूर्ण सुषुप्त नहीं होता। निद्रा देवी अर्थात नींद कैसे आती है और कहां चली जाती है। इसे कौन नियंत्रित करता है ? वह ÷मन' है। शांत भाव से सोचते हैं कि सोना है और धीरे धीरे सो जाते हैं। अगर मन में यह बात बैठी है कि प्रातःकाल अमुक समय उठना है तो नींद गायब भी, समय पर हो जाती है। जैसे बंद मोबाइल, कंप्यूटर जब भी चालू करेंगे, वह समय ठीक ही बताएगा। अर्थात उसमें कुछ बंद अवस्था में भी चल रहा है। मानव शरीर एक विलक्षण यंत्र है इसमें वैदिक ज्ञान से लेकर अकल्पनीय कार्य क्षमता का समावेश है। भगवान की इस रचना के लिए श्रीगीता का एक श्लोक है - न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥
श्रीगीता के इस श्लोक का यह भाव है कि सुषुप्त अवस्था में भी मन द्वारा मस्तिष्क के संचित ज्ञान भंडार से कुछ न कुछ कार्य होता रहता है। सुषुप्त अवस्था में भी क्षण मात्र को कोई भी प्राकृतिक गुण-धर्म से अलग नहीं होता। प्रथम प्रकृति ही ईश्वर है। वह सदा साथ रहता है, मानव शरीर से शीर्ष पर, अर्थात सबसे ऊपर जो हमारा मस्तिष्क है। दिमाग की थोड़ी सी चूक उसे प्रगति से दूर्गति तक पहुंचा देती है। मस्तिष्क का संचालक ÷मन' है, हमारी सोच है। कल्याणकारी सोच अच्छे सपनों को जन्म देती है, निकृष्ट सोच सदा बुरे सपनों को संजोता है। मनोवैज्ञानिक भी यही कहते हैं कि स्वप्न मन की उपज है।
मनुष्य मस्तिष्क में असंख्य तंतुओं का जाल या संग्रहालय है। जागृत अवस्था में मन से उसे संचालन करते हैं फिर भी बहुत से मस्तिष्क रूपी कंप्यूटर खोलने और बंद करने में दिन भर की बाधाएं आती रहती हैं। मस्तिष्क की व्यवस्था जब विधिवत् बंद नहीं होती तो दिमाग बोझिल होकर निंद्रा में, कार्य करने पर स्वप्नों का निर्माण करता है। जब जगते हैं तो उनका अपुष्ट स्वरूप ध्यान आता है, फिर विचार करते हैं कि यह शुभ फल देगा या अशुभ। स्वप्न का अर्थ हमेशा निरर्थक नहीं होता, क्योंकि पूर्वजन्म की मनोदशा और ज्ञान संस्कार पुनः आगे के जन्मों में परिलक्षित होते हैं। बाह्य चेतना जन्य बोध, वर्तमान चेतना के बोध को भले ही अस्वीकार करे, लेकिन सच्चा ज्ञान एवं घटित कार्य कलाप अंतरात्मा में निहित होते हैं। मन से मस्तिष्क के ज्ञान का उदय, दिवा या रात्रि स्वप्न होते हैं।
बार-बार एक ही तरह के स्वप्न को देखने वाले कई लोग एक ही प्रकार की उपलब्धि पाते हैं तो स्वप्न विचारक मनीषी इसे तालिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं। बहुत ही प्राचीन काल से यह धारणा चली आ रही है और प्रायः यह सत्य के करीब है। स्वर्ण, आभूषण, रत्न आदि की प्राप्ति का स्वप्न, आने वाले समय में इसका क्षय दर्शाते हैं। वैसे ही मल मूत्र और अशुद्धियों से युक्त वातावरण के सपने से सम्मान पाना तथा शुभ वातावरण में समय व्यतीत होना लिखा है। लेकिन मरे हुए पशु और सूखे ताल का दृश्य इसका विपरीत बोध नहीं कराता, बल्कि आने वाले समय में विभिषीका को दर्शाता है। स्वप्न में सूर्य, चंद्र, मंदिर और भगवान स्वरूपों के दर्शन अति शुभ लिखे गए हैं। ऐसी तालिकाएं प्रायः पंचांगों में विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने दे रखी हैं। ज्योतिषीय विवेचना में चंद्र को मन का कारक कहा गया है। अतः मन ही सपनों का जनक कहा जा सकता है। जिस जातक के लग्न में कमजोर ग्रह, दूषित चंद्र या दृष्टिगत शत्रु ग्रह होते हैं, वे जातक आसन के कमजोर माने जाते हैं। ऐसे लोगों को स्वप्न ज्यादा दिखते हैं तथा नजर दोष, डर, भय के ज्यादा शिकार होते हैं। मनोवैज्ञानिक भी इसके उपचार में यथासाध्य दिमागी रोग का इलाज करते हैं। ज्योतिष संभावनाओं और पूर्व सूचनाओं का संपूर्ण विज्ञान है। दिवा स्वप्न हो या रात्रि स्वप्न, डरावने सपने हों या निरर्थक स्वप्न, इन सबों से छूटकारा पाने का एक मंत्र, जो प्रख्यात आचार्यों
रा प्रतिपादित है यहां दिया जा रहा है -
मंगलम् भगवान विष्णु मंगलम् गरुड़ोध्वजः।
मंगलम् पुण्डरीकाक्ष मंगलायस्तनोहरिः।
यः स्मरेत् पुण्डिरीकाक्षं सः बाह्याभ्यन्तरः शुचिः'॥
बुरे सपनों को दूर करने हेतु जातक या उसके माता पिता को श्रद्धा से पूजा-पाठ के समय इसका जप करना चाहिए। नियमित रूप से इष्ट/गुरु के सम्मुख इस मंत्र की प्रार्थना का प्रभाव देखा जा सकता है। कुछ ही दिनों में भय उत्पन्न करने वाले एवं निकृष्ट सपनों का निश्चित परिमार्जन होता देखा गया है। साथ ही साथ आनेवाले समय में देवी-देवताओं की आकृतियों का आभास होने लगता है। आंखें बंद कर पूजा करने वाले भी देवताओं की आकृति का स्मरण करते हैं, वैसे ही स्वप्नों में भी इनकी आकृति अतिशुभ है। जीवन के होते हुए भी मृत्यु सत्य है, वैसे ही जगत के स्वप्निल होते हुए भी स्वप्न का अस्तित्व है, चाहे वे इस जीवन के हों या जन्म जन्मांतरण के। अंतरात्मा का ज्ञान एक मूर्त सत्य है, यह पूर्ण श्रद्धा उदित करती है और यही इसका आधार है।
मंगलम् भगवान विष्णु मंगलम् गरुड़ोध्वजः।
मंगलम् पुण्डरीकाक्ष मंगलायस्तनोहरिः।
यः स्मरेत् पुण्डिरीकाक्षं सः बाह्याभ्यन्तरः शुचिः'॥
बुरे सपनों को दूर करने हेतु जातक या उसके माता पिता को श्रद्धा से पूजा-पाठ के समय इसका जप करना चाहिए। नियमित रूप से इष्ट/गुरु के सम्मुख इस मंत्र की प्रार्थना का प्रभाव देखा जा सकता है। कुछ ही दिनों में भय उत्पन्न करने वाले एवं निकृष्ट सपनों का निश्चित परिमार्जन होता देखा गया है। साथ ही साथ आनेवाले समय में देवी-देवताओं की आकृतियों का आभास होने लगता है। आंखें बंद कर पूजा करने वाले भी देवताओं की आकृति का स्मरण करते हैं, वैसे ही स्वप्नों में भी इनकी आकृति अतिशुभ है। जीवन के होते हुए भी मृत्यु सत्य है, वैसे ही जगत के स्वप्निल होते हुए भी स्वप्न का अस्तित्व है, चाहे वे इस जीवन के हों या जन्म जन्मांतरण के। अंतरात्मा का ज्ञान एक मूर्त सत्य है, यह पूर्ण श्रद्धा उदित करती है और यही इसका आधार है।
स्वप्न की प्रक्रिया और फलादेश
स्वप्न मुख्यतः ÷स्वप्न निद्रा' की अवस्था में आते हैं। सुषुप्ति अवस्था में देखे गये स्वप्न प्रायः सुबह तक याद नहीं रहते। यह आवश्यक नहीं कि स्वप्न में देखा गया सब कुछ अर्थपूर्ण हो। मानस और चिकित्सा शास्त्रियों के अनुसार जो व्यक्ति अनावश्यक इच्छाओं, चंचल भावनाओं, उच्च आकांक्षाओं और भूत-भविष्य की चिंता से अपने को मुक्त रखते हैं, वही गहरी निद्रा ले पाते हैं। गहरी निद्रा स्वस्थ जीवन के लिए परम आवश्यक है।
दू धर्म शास्त्रों-अथर्ववेद, योगसूत्र, पुराण, उपनिषदों इत्यादि में स्वप्नों का आध्यात्मिक विश्लेशण मिलता है, जिसके अनुसार स्वप्न की क्रिया मनुष्य की आत्मा से जुड़ी है और आत्मा परमात्मा से। मन की कल्पना शक्ति असीम है। महर्षि वेदव्यास ÷ब्रह्मसूत्र' में बताते हैं कि मस्तिष्क में पिछले जन्मों का ज्ञान सुषुप्त अवस्था में रहता है। शुद्ध आचरण वाले धार्मिक और शांत चित्त व्यक्ति के सपने, दैविक संदेशवाहक होने के कारण, सत्य होते हैं। परंतु चिंताग्रस्त, या रोगी व्यक्ति का मन अशांत होने के कारण उसके स्वप्न निष्फल होते हैं। स्वप्न भावी जीवन यात्रा से जुड़े शुभ और अशुभ प्रसंग, यहां तककि विपत्ति, बीमारी और मृत्यु की पूर्व सूचना देते हैं।
गौतम बुद्ध के जन्म से कुछ दिन पहले उनकी माता रानी माया ने स्वप्न में एक सूर्य सा चमकीला, ६ दांतों वाला सफेद हाथी देखा था, जिसका अर्थ राज्य के मनीषियों ने एक उच्च कोटि के जगत प्रसिद्ध राजकुमार के जन्म का सूचक बताया, जो सत्य हुआ।
पाश्चात्य देशों में स्वप्न पर शोध कार्य सर्वप्रथम शारीरिक और फिर मानसिक स्तर पर किया गया। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में चिकित्सकों के मतानुसार अप्रिय स्वप्नों का कारण अस्वस्थता, सोते समय सांस लेने में कठिनाई और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना था। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार तलाक, नौकरी छूटना, व्यापार में घाटा, या परिवार में किसी सदस्य की अचानक मृत्यु के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव बार-बार आने वाले स्वप्नों में परिलक्षित होते हैं।
पाश्चात्य शोध के अनुसार जाग्रत अवस्था में सांसारिक वस्तुओं और घटनाओं का मानव मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिससे अनेक विचारों और इच्छाओं का जन्म होता है। जो प्रसंग मन में अपूर्ण रहते हैं, वे निद्रा की अवस्था में, व्यवस्थित या अव्यवस्थित रूप में, अभिव्यक्त होते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रॉयड ने अपनी पुस्तक ÷थ्योरी ऑफ ड्रीम्स' में बताया कि मनुष्य की इच्छाएं (मुख्यतः काम वासनाएं) जो समाज के भय से जाग्रत अवस्था में पूर्ण नहीं हो पातीं, वे स्वप्न में चरितार्थ हो कर व्यक्ति को मानसिक तृप्ति देती हैं और उसको तनावमुक्त और संतुलित रहने में सहायता करती हैं। परंतु यह सिद्धांत अंधे व्यक्ति द्वारा देखे गये स्वप्नों को समझाने में असमर्थ था। कुछ समय बाद फ्रॉयड ने अपने विचारों में परिवर्तन किया।
ड्रीम टेलीपैथी' के लेखक डा. स्टैनली के अनुसार स्वप्नों की पुनरावृत्ति का संबंध वर्तमान में होने वाली समस्याओं और घबराहट से ही नहीं, अपितु अतीत से भी हो सकता है। बचपन में घटी कोई भयानक घटना का मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ने से उससे संबंधित स्वप्न अधिक दिखाई देते हैं।
स्वप्न की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए डा. स्टैनली ने बताया कि मनुष्य का मस्तिष्क छोटी-छोटी घटनाओं एवं जानकारियों को संगठित रूप दे कर एक ऐसे निष्कर्ष (स्वप्न) पर पहुंचता है, जो कभी-कभी बहुत सही होता है। रोम के सम्राट जूलियस सीज+र की पत्नी ने उनकी हत्या की पिछली रात सपने में देखा था कि वह अपने बाल बिखेरे पति का लहूलुहान शरीर उठाये फिर रही है। उसने सीज+र को सीनेट जाने से मना किया, पर वह नहीं माना और सीनेट पहुंचने पर ब्रूटस ने उसकी हत्या कर दी। इसी प्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपनी हत्या को कुछ दिन पहले स्वप्न में देखा था।
पाश्चात्य शोधकर्ता अब भारतीय विचारधारा से सहमत हो रहे हैं। फ्रॉयड ने नये अनुभवों के आधार पर अगली पुस्तक ÷इंटरप्रटेशन ऑंफ ड्रीम्स' में स्वीकार किया कि स्वप्न कभी-कभी मनुष्य की दबी इच्छाओं और मन की उड़ान से बहुत आगे की सूचना देने में सक्षम होते हैं। डॉ. हैवलॉक एलाईस अपनी पुस्तक ÷दि वर्ल्ड ऑफ ड्रीम्स' में मानते हैं कि स्वप्न में सुषुप्त मस्तिष्क और ÷एकस्ट्रा सेंसरी परसेप्शन' की बड़ी भूमिका होती है।
बुच सोसाईटी फॉर साईकिक रिसर्च' हॉलैंड, के शोधकार्य ने यह प्रमाणित किया है कि कुछ स्वप्न भविष्य की घटनाओं की सही-सही पूर्वसूचना देते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. हैफनर मोर्स के अनुसार सतत प्रयत्न द्वारा सुषुप्त मस्तिष्क को जगा कर सपनों द्वारा ÷दिव्य दृष्टि' प्राप्त की जा सकती है।
अत्यंत वृद्ध और काले शरीर वाली स्त्री का नाच देखना, अथवा नंगधडंग फकीर को नाचते, हंसते, अपनी ओर क्रूर दृष्टिपात करते देखना, काले वस्त्र पहने, हाथ में लौह का डंडा लिये किसी को देखना मृत्यु के सूचक होते हैं।
सपनों के शुभ-फल स्वप्न विषय शुभ फल स्वच्छ आकाश ऐश्वर्य वृद्धि आम का वृक्ष संतान प्राप्ति अपमान चिंताएं दूर होना अपनी मृत्यु आयु वृद्धि खड़ी फसल धन प्राप्ति अर्थी देखना रोग मुक्ति इमारत बनना धन लाभ, उन्नति हाथी, गाय, मोर धन लाभ, समृद्धि मधुमक्खी देखना लाभ ऊंचाई पर चढ़ना उन्नति कब्रिस्तान प्रतिष्ठा में वृद्धि काला नाग राज्य से सम्मान गंगा दर्शन सुखी जीवन किला देखना तरक्की होगी घोड़े पर चढ़+ना पदोन्नति छिपकली देखना अचानक धन लाभ डर कर भागना कष्ट से छुटकारा डोली देखना इच्छा पूरी होना तारे देखना मनोरथ पूरा होना तलवार देखना शत्रु पर विजय देवी-देवता खुशी की प्राप्ति धन एवं रत्न संतान सुख नाखून काटना रोग तथा दुख से मुक्ति न्यायालय झगड़े में सफलता मिठाई खाना मान-सम्मान हरा-भरा जंगल खुशी मिलेगी परीक्षा में असफल होना सफलता पत्र आना शुभ सूचक लहराता झंडा विजय की प्राप्ति भोजनयुक्त थाल शुभ सूचक तांबे का सिक्का मिलना धनदायक भोजन पकाना शुभ समाचार माला जपना भाग्योदय सीधी सड़क पर चलना सफलता खुला दरवाजा देखना नया काम बनना कौआ उड़ाना मुसीबत से छुटकारा सपनों के अशुभ फल स्वप्न विषय अशुभ फल अग्नि देखना पित्त संबंधी रोग अग्नि उठाना परेशानी होगी अपनी शादी संकट आना अतिथि आना आकस्मिक विपत्ति अंधेरा देखना दुख मिलेगा आंधी-तूफान मुसीबत में फंसना उल्लू देखना रोग-शोक होगा उल्टा लटकना अपमान होना कटा सिर देखना चिंता, परेशानी कुत्ते का काटना शत्रु भय घोड़े से गिरना परेशानी चोर देखना धन हानि जेब कटना धन हानि झाड़ू देखना नुकसान होना डूबते देखना अनिष्ट सूचक दीवार गिरना धन हानि नल देखना चिंता नंगा देखना कष्ट प्राप्ति ऊंचाई से गिरना हानि होना बंदूक देखना संकट आना बिल्ली देखना लड़ाई होना भाषण देना वाद-विवाद कौआ दर्शन अशुभ सूचक ताला लगा होना कार्य रुकना भोजनरहित थाली अशुभ सूचक खराब सड़क पर चलना परेशानी आना
दू धर्म शास्त्रों-अथर्ववेद, योगसूत्र, पुराण, उपनिषदों इत्यादि में स्वप्नों का आध्यात्मिक विश्लेशण मिलता है, जिसके अनुसार स्वप्न की क्रिया मनुष्य की आत्मा से जुड़ी है और आत्मा परमात्मा से। मन की कल्पना शक्ति असीम है। महर्षि वेदव्यास ÷ब्रह्मसूत्र' में बताते हैं कि मस्तिष्क में पिछले जन्मों का ज्ञान सुषुप्त अवस्था में रहता है। शुद्ध आचरण वाले धार्मिक और शांत चित्त व्यक्ति के सपने, दैविक संदेशवाहक होने के कारण, सत्य होते हैं। परंतु चिंताग्रस्त, या रोगी व्यक्ति का मन अशांत होने के कारण उसके स्वप्न निष्फल होते हैं। स्वप्न भावी जीवन यात्रा से जुड़े शुभ और अशुभ प्रसंग, यहां तककि विपत्ति, बीमारी और मृत्यु की पूर्व सूचना देते हैं।
गौतम बुद्ध के जन्म से कुछ दिन पहले उनकी माता रानी माया ने स्वप्न में एक सूर्य सा चमकीला, ६ दांतों वाला सफेद हाथी देखा था, जिसका अर्थ राज्य के मनीषियों ने एक उच्च कोटि के जगत प्रसिद्ध राजकुमार के जन्म का सूचक बताया, जो सत्य हुआ।
पाश्चात्य देशों में स्वप्न पर शोध कार्य सर्वप्रथम शारीरिक और फिर मानसिक स्तर पर किया गया। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में चिकित्सकों के मतानुसार अप्रिय स्वप्नों का कारण अस्वस्थता, सोते समय सांस लेने में कठिनाई और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना था। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार तलाक, नौकरी छूटना, व्यापार में घाटा, या परिवार में किसी सदस्य की अचानक मृत्यु के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव बार-बार आने वाले स्वप्नों में परिलक्षित होते हैं।
पाश्चात्य शोध के अनुसार जाग्रत अवस्था में सांसारिक वस्तुओं और घटनाओं का मानव मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिससे अनेक विचारों और इच्छाओं का जन्म होता है। जो प्रसंग मन में अपूर्ण रहते हैं, वे निद्रा की अवस्था में, व्यवस्थित या अव्यवस्थित रूप में, अभिव्यक्त होते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रॉयड ने अपनी पुस्तक ÷थ्योरी ऑफ ड्रीम्स' में बताया कि मनुष्य की इच्छाएं (मुख्यतः काम वासनाएं) जो समाज के भय से जाग्रत अवस्था में पूर्ण नहीं हो पातीं, वे स्वप्न में चरितार्थ हो कर व्यक्ति को मानसिक तृप्ति देती हैं और उसको तनावमुक्त और संतुलित रहने में सहायता करती हैं। परंतु यह सिद्धांत अंधे व्यक्ति द्वारा देखे गये स्वप्नों को समझाने में असमर्थ था। कुछ समय बाद फ्रॉयड ने अपने विचारों में परिवर्तन किया।
ड्रीम टेलीपैथी' के लेखक डा. स्टैनली के अनुसार स्वप्नों की पुनरावृत्ति का संबंध वर्तमान में होने वाली समस्याओं और घबराहट से ही नहीं, अपितु अतीत से भी हो सकता है। बचपन में घटी कोई भयानक घटना का मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ने से उससे संबंधित स्वप्न अधिक दिखाई देते हैं।
स्वप्न की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए डा. स्टैनली ने बताया कि मनुष्य का मस्तिष्क छोटी-छोटी घटनाओं एवं जानकारियों को संगठित रूप दे कर एक ऐसे निष्कर्ष (स्वप्न) पर पहुंचता है, जो कभी-कभी बहुत सही होता है। रोम के सम्राट जूलियस सीज+र की पत्नी ने उनकी हत्या की पिछली रात सपने में देखा था कि वह अपने बाल बिखेरे पति का लहूलुहान शरीर उठाये फिर रही है। उसने सीज+र को सीनेट जाने से मना किया, पर वह नहीं माना और सीनेट पहुंचने पर ब्रूटस ने उसकी हत्या कर दी। इसी प्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपनी हत्या को कुछ दिन पहले स्वप्न में देखा था।
पाश्चात्य शोधकर्ता अब भारतीय विचारधारा से सहमत हो रहे हैं। फ्रॉयड ने नये अनुभवों के आधार पर अगली पुस्तक ÷इंटरप्रटेशन ऑंफ ड्रीम्स' में स्वीकार किया कि स्वप्न कभी-कभी मनुष्य की दबी इच्छाओं और मन की उड़ान से बहुत आगे की सूचना देने में सक्षम होते हैं। डॉ. हैवलॉक एलाईस अपनी पुस्तक ÷दि वर्ल्ड ऑफ ड्रीम्स' में मानते हैं कि स्वप्न में सुषुप्त मस्तिष्क और ÷एकस्ट्रा सेंसरी परसेप्शन' की बड़ी भूमिका होती है।
बुच सोसाईटी फॉर साईकिक रिसर्च' हॉलैंड, के शोधकार्य ने यह प्रमाणित किया है कि कुछ स्वप्न भविष्य की घटनाओं की सही-सही पूर्वसूचना देते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. हैफनर मोर्स के अनुसार सतत प्रयत्न द्वारा सुषुप्त मस्तिष्क को जगा कर सपनों द्वारा ÷दिव्य दृष्टि' प्राप्त की जा सकती है।
अत्यंत वृद्ध और काले शरीर वाली स्त्री का नाच देखना, अथवा नंगधडंग फकीर को नाचते, हंसते, अपनी ओर क्रूर दृष्टिपात करते देखना, काले वस्त्र पहने, हाथ में लौह का डंडा लिये किसी को देखना मृत्यु के सूचक होते हैं।
सपनों के शुभ-फल स्वप्न विषय शुभ फल स्वच्छ आकाश ऐश्वर्य वृद्धि आम का वृक्ष संतान प्राप्ति अपमान चिंताएं दूर होना अपनी मृत्यु आयु वृद्धि खड़ी फसल धन प्राप्ति अर्थी देखना रोग मुक्ति इमारत बनना धन लाभ, उन्नति हाथी, गाय, मोर धन लाभ, समृद्धि मधुमक्खी देखना लाभ ऊंचाई पर चढ़ना उन्नति कब्रिस्तान प्रतिष्ठा में वृद्धि काला नाग राज्य से सम्मान गंगा दर्शन सुखी जीवन किला देखना तरक्की होगी घोड़े पर चढ़+ना पदोन्नति छिपकली देखना अचानक धन लाभ डर कर भागना कष्ट से छुटकारा डोली देखना इच्छा पूरी होना तारे देखना मनोरथ पूरा होना तलवार देखना शत्रु पर विजय देवी-देवता खुशी की प्राप्ति धन एवं रत्न संतान सुख नाखून काटना रोग तथा दुख से मुक्ति न्यायालय झगड़े में सफलता मिठाई खाना मान-सम्मान हरा-भरा जंगल खुशी मिलेगी परीक्षा में असफल होना सफलता पत्र आना शुभ सूचक लहराता झंडा विजय की प्राप्ति भोजनयुक्त थाल शुभ सूचक तांबे का सिक्का मिलना धनदायक भोजन पकाना शुभ समाचार माला जपना भाग्योदय सीधी सड़क पर चलना सफलता खुला दरवाजा देखना नया काम बनना कौआ उड़ाना मुसीबत से छुटकारा सपनों के अशुभ फल स्वप्न विषय अशुभ फल अग्नि देखना पित्त संबंधी रोग अग्नि उठाना परेशानी होगी अपनी शादी संकट आना अतिथि आना आकस्मिक विपत्ति अंधेरा देखना दुख मिलेगा आंधी-तूफान मुसीबत में फंसना उल्लू देखना रोग-शोक होगा उल्टा लटकना अपमान होना कटा सिर देखना चिंता, परेशानी कुत्ते का काटना शत्रु भय घोड़े से गिरना परेशानी चोर देखना धन हानि जेब कटना धन हानि झाड़ू देखना नुकसान होना डूबते देखना अनिष्ट सूचक दीवार गिरना धन हानि नल देखना चिंता नंगा देखना कष्ट प्राप्ति ऊंचाई से गिरना हानि होना बंदूक देखना संकट आना बिल्ली देखना लड़ाई होना भाषण देना वाद-विवाद कौआ दर्शन अशुभ सूचक ताला लगा होना कार्य रुकना भोजनरहित थाली अशुभ सूचक खराब सड़क पर चलना परेशानी आना
शुभाशुभ स्वप्नों के पुराणोक्त फल
जागृतावस्था में देखे, सुने एवं अनुभूत प्रसंगों की पुनरावृत्ति, सुषुप्तावस्था में मनुष्य को किसी न किसी रूप में एवं कभी-कभी बिना किसी तारतम्य के, शुभ और अशुभ स्वप्न के रूप में, दिग्दर्शित होती है, जिससे स्वप्न दृष्टा स्वप्न में ही आह्लादित, भयभीत और विस्मित होता है।
ज्ञानिक, या चिकित्सकीय दृष्टि से मानसिक उद्विग्नता, पाचन विकार, थकान, चिंता एवं आह्लाद के आधिक्य पर भी स्वप्न आधारित होते हैं। बहरहाल, शुभ स्वप्नों से शुभ कार्यों के अधिकाधिक प्रयास से कार्यसिद्धि में संलग्न होने का संकेत मिलता है और अशुभ स्वप्नों में आगामी संभावित दुखद स्थिति के प्रति सचेत रहने की नसीहत लेना विद्वानों द्वारा श्रेयष्कर बताया गया है। तदनुसार -
लक्षण स्वप्न शुभाशुभ, कह्यो, मत्स्य भगवान।
शुभ प्रयासरत, अशुभ से होंहि सचेत सुजान॥
श्री मत्स्य पुराण के २४२ वें अध्याय में बताया गया है कि सतयुग में जब भगवान अनंत जगदीश्वर ने मत्स्यावतार लिया था, तो मनु महाराज ने उनसे मनुष्य द्वारा देखे गये शुभाशुभ स्वप्न फल का वृत्तांत बताने का आग्रह किया था।
मनु महराज ने, अपनी जिज्ञासा शांत करने हेतु, मत्स्य भगवान से पूछा कि हे भगवान! यात्रा, या अनुष्ठान के पूर्व, या वैसे भी सामान्यतया जो अनेक प्रकार के स्वप्न मनुष्य को समय-समय पर दिखायी देते हैं, उनके शुभाशुभ फल क्या होते हैं, बताने की कृपा करें, यथा-
स्वप्नाख्यानं कथं देव गमने प्रत्युपस्थिते। दृश्यंते विविधाकाराः कशं तेषां फलं भवेत्॥
मत्स्य भगवान ने स्वप्नों के फलीभूत होने की अवधि के विषय में बताते हुये कहा :
कल्कस्नानं तिलैर्होमो ब्राह्मणानां च पूजनम्। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथा तस्यैव पूजनम्॥६॥
नागेंद्रमोक्षश्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्। स्वप्नास्तु प्रथमे यामे संवस्तरविपाकिनः॥७॥
षड्भिर्भासैर्द्वितीये तु त्रिभिर्मासैस्तृतीयके। चतुर्थे मासमात्रेण पश्यतो नात्र संशयः॥८॥
अरुणोदयवेलायां दशाहेन फलं भवेत्। एकस्यां यदि वा रात्रौशुभंवा यदि वाशुभम्॥९।
पश्र्चाद् दृषृस्तु यस्तत्र तस्य पाकं विनिर्दिशेत्। तस्माच्छोभनके स्वप्ने पश्र्चात् स्वप्नोनशस्यते॥२०॥
अर्थात, रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल एक संवत्सर में अवश्य मिलता है। दूसरे प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल ६ माह में प्राप्त होता है। तीसरे पहर में देखे गये स्वप्न का फल ३ माह में प्राप्त होता है। चौथे पहर में जो स्वप्न दिखायी देता है, उसका फल 1 माह में निश्चित ही प्राप्त होता है। अरुणोदय, अर्थात सूर्योदय की बेला में देखे गये स्वप्न का फल १० दिन में प्राप्त होता है। यदि एक ही रात में शुभ स्वप्न और दुःस्वप्न दोनों ही देखे जाएं, तो उनमें बाद वाला स्वप्न ही फलदायी माना जाना चाहिए, अर्थात् बाद वाले स्वप्न फल के आधार पर मार्गदर्शन करना चाहिए। क्योंकि बाद वाला स्वप्न फलीभूत होता है, अतः यदि रात्रि में शुभ स्वप्न दिखायी दे, तो उसके बाद सोना नहीं चाहिए।
शैलप्रासादनागाश्र्ववृषभारोहणं हितम्। द्रुमाणां श्वेतपुष्पाणां गमने च तथा द्विज॥२॥
द्रुमतृणारवो नाभौ तथैव बहुबाहुता। तथैव बहुशीर्षत्वं फलितोद्भव एवं च॥२२॥
सुशुक्लमाल्यधारित्वं सुशुक्लांबरधारिता। चंद्रार्कताराग्रहणं परिमार्जनमेव च॥२३॥
सक्रध्वजालिंग्नं च तदुच्छ्रायक्रिया तथा। भूंयंबुधीनां ग्रसनं शत्रुणां च वधक्रिया॥२४॥
अर्थात, शुभ स्वप्नों के फल बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने मनु महाराज को बताया कि पर्वत, राजप्रासाद, हाथी, घोड़ा, बैल आदि पर आरोहण हितकारी होता है तथा जिन वृक्षों के पुष्प श्वेत, या शुभ हों, उनपर चढ़ना शुभकारी है। नाभि में वृक्ष एवं घास-फूस उगना तथा अपने शरीर में बहुत सी भुजाएं देखना, या अनेक शिर, या मस्तक देखना, फलों को दान करते देखना, उद्भिजों के दर्शन, सुंदर, शुभ अर्थात् श्वेत माला धारण करना, श्वेत वस्त्र पहनना, चंद्रमा, सूर्य और ताराओं को हाथ से पकड़ना, या उनके परिमार्जन का स्वप्न दिखायी देना, इंद्र धनुष को हृदय से लगाना, या उसे ऊपर उठाने का स्वप्न दिखायी देना और पृथ्वी, या समुद्र को निगल लेना एवं शत्रुओं का वध करना, ऐसे स्वप्न देखना सर्वथा शुभ होता है। इसके अतिरिक्त भी जो स्वप्न शुभ होते हैं, वे निम्न हैं :
जयो विवादे द्यूते व संग्रामे च तथा द्विज। भक्षणं चार्द्रमांसानां मत्स्यानां पायसस्य च॥२५॥
दर्शनं रुधिरस्यापि स्नानं वा रुधिरेण च। सुरारुधिरमद्यानां पानं क्षीरस्य चाथ वा॥२६॥
अन्त्रैर्वा वेषृनं भूमौ निर्मलं गगनं तथा। मुखेन दोहनं शस्तं महिषीणां तथा गवाम्॥२७॥
सिंहीनां हस्तिनीनां च वडवानां तथैव च। प्रसादो देवविप्रेभ्यो गुरुभ्यश्र्च तथा शुभः॥२८॥
मत्स्य भगवान ने, मनु महाराज से उक्त तारतम्य में स्वप्नों के शुभ फलों की चर्चा करते हुए, बताया कि स्वप्न में संग्राम, वाद-विवाद में विजय, जुए के खेल में जीतना, कच्चा मांस खाना, मछली खाना, खून दिखाई देना, या रुधिर से नहाते हुए दिखाई देना, सुरापान, रक्तपान, अथवा दुग्धपान, अपनी आंतों से पृथ्वी को बांधते हुए देखना, निर्मल नभ देखना, भैंस, गाय, सिंहनी, हथिनी, या घोड़ी के थन में मुंह लगा कर दूध पीना, देवता, गुरु और ब्राह्मण को प्रसन्न देखना सभी शुभ फलदायी एवं शुभ सूचक होते हैं। मत्स्य भगवान ने और भी शुभ स्वप्नों की चर्चा करते हुए मनु महाराज को बताया :
अंभसा त्वभिषेकस्तु गवां श्रृग्सुतेन वा। चंद्राद् भ्रष्टेना वाराज४ाशेयोसज्यप्रदो हि सः॥२९॥
राज्याभिषेकश्र्च तथा छेदनं शिरसस्तथा। मरणं चह्निदाहश्र्च वह्निदाहो गृहादिषु॥३०।
लब्धिश्र्च राज्यलिग्नां तंत्रीवाद्याभिवादनम्। तथोदकानां तरणं तथा विषमलड़घनम्॥३१॥
हस्तिनीवडवानां च गवां च प्रसवों गृहे। आरोहणमथाश्र्वानां रोदनं च तथा शुभम्॥३२।
वरस्रीणां तथा लाभस्तथालिग्नमेव च। निगडैर्बंधनं धन्यं तथा विष्ठानुलेपनम्॥३२॥
जीवतां भूमिपालानां सुह्दामपि दर्शनम्। दर्शनं देवतानां च विमलानां तथांभसाम्॥३४॥
शुभांयथैतानि नरस्तु हष्ट्वा प्राप्नोत्ययत्वाद् ध्रुवमर्थलाभम्।
स्वप्नानि वै धर्मभृतां वरिष्ठ व्याधेर्विमोक्षं च तथातुरोऽपि॥३५॥
और भी अधिक शुभ स्वप्नों के फल मनु महाराज को बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने कहा कि राजन ! गौवों के सींग से स्रवित जल, या चंद्रमा से गिरते हुए जल से स्नान का स्वप्न सर्वथा शुभ एवं राज्य की प्राप्ति कराने वाला होता है। राज्यारोहण का स्वप्न, मस्तक कटने का स्वप्न, अपनी मृत्यु, प्रज्ज्वलित अग्नि देखना, घर में लगी आग का स्वप्न देखना, राज्य चिह्नों की प्राप्ति, वीणा वादन, या श्रवण, जल में तैरना, दुरूह स्थानों को पार करना, घर में हस्तिनी, घोड़ी तथा गौ का प्रसव देखना, घोड़े की सवारी करते देखना, स्वयं को रोते देखना आदि स्वप्न शुभ और मंगल शकुन के द्योतक होते हैं। इसके अतिरिक्त सुंदरियों की प्राप्ति तथा उनका आलिंगन, जंजीर में स्वयं को बंधा देखना, शरीर में मल का लेप देखना, जो राजा मौजूद हैं, उन्हें स्वप्न में देखना, मित्रों को स्वप्न में देखना, देवताओं का दर्शन, निर्मल जल देखने के स्वप्न भी सर्वथा शुभकारी होते हैं, जिससे बिना प्रयास के धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा रुग्ण व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। अशुभ स्वप्नों एवं उनके फलों के विषय में श्री मत्स्य भगवान मनु महाराज को बताते हुए कहते हैं :
इदानीं कथयिष्यामि निमित्तं स्वप्नदर्शने। नाभिं विनान्यगात्रेषु तृणवृक्षसमुरवः॥२।
चूर्णनं मूध्निं कांस्यानां मुण्डनं नग्नता तथा। मलिनांबरधारित्त्वमभ्यग्ः पटदिग्धता॥३॥
उच्चात् प्रपतनं चैव दोलारोहणमेव च। अर्जनं पटलोहानां हयानामपि मारणम्॥४॥
रक्तपुष्पद्रुमाणां च मंडलस्य तथैव च। वराहर्क्षखरोष्ट्राणां तथा चारोहणक्रिया॥५॥
भक्षणं पक्षिमत्स्यानां तैलस्य कृसरस्य च। नर्तनं हसनं चैव विवाहो गीतमेव च॥६॥
तंत्रीवाद्यविहीनानां वाद्यानामभिवादनम्। स्रोतोऽवगाहगमनं स्नानं गोमयवारिणा॥७॥
पटोदकेन च तथा महीतोयेन चाप्यथ। मातुः प्रवेशा जठरे चितारोहणमेव च॥८॥
शक्रध्वजाभिपतनं पतनं शशिसूर्ययोः। दिव्यांतरिक्षभौमानामुत्पातानां च दर्शनम्॥९॥
अर्थात, मत्स्य भगवान ने विभिन्न स्वप्नों के अशुभ फलों की ओर इंगित करते हुए मनु महाराज से कहा कि हे राजन! स्वप्न में नाभि के अतिरिक्त, शरीर के अन्य अंगों में घास, फूस, पेड़-पौधे उगे हुए देखना, सिर पर कांसे को कुटता देखना, मुंडन देखना, अपने को नग्न देखना, स्वयं को मैले कपड़े पहने हुए देखना, तेल लगाना, कीचड़ में धंसना, या कीचड़ लिपटा देखना, ऊंचे स्थान से गिरना, झूला झूलना, कीचड़ और लोहा आदि एकत्रित करना, घोड़ों को मारना, लाल फूलों के पेड़ पर चढ़ना, या लाल पुष्पों के पेड़ों का मंडल, सूअर, भालू, गधे और ऊंटों की सवारी करना, पक्षियों का भोजन करना, मछली, तेल और खिचड़ी खाना, नृत्य करना, हंसना, विवाह एवं गाना-बजाना देखना, बीणा के अलावा अन्य वाद्यों को बजाना, जल स्रोत में नहाने जाना, गोबर लगा कर जल स्नान, कीचड़युक्त उथले जल में नहाना, माता के उदर में प्रवेश करना, चिता पर चढ़ना, इंद्र पताका का गिरना, चंद्रमा एवं सूर्य को गिरते देखना, अंतरिक्ष में उल्का पिंडों के उत्पात आदि स्वप्न में देखना सर्वथा अशुभ है।
देवद्विजातिभूपालगुरूणं क्रोध एवं च। आलिग्नं कुमारीणां पुरुषाणां च मैथुनम्॥१०॥
हानिश्चैव स्वगात्राणां विरेकवमनक्रिया। दक्षिणाशाभिगमनंव्याधिनाभिभवस्तथा॥११॥
फलापहानिश्र्च तथा पुष्पहानिस्तथैव च। गृहाणां चैव पातश्च गृहसम्मार्जनं तथा॥२॥
क्रीड़ा पिशाचक्रव्याद्वानरर्क्षनररैपि। परादभिभवश्चैव तस्मांच व्यसनारवः॥३॥
काषायवस्रधारित्वं तद्वत् स्त्रीक्रीडनं तथा। स्नेहपानवगाहौ च रक्तमाल्यानुलेपनम्॥४॥
एवमादीनि चान्यानि दुःस्वप्नानि विनिर्दिशेत्। एषा। संकथनं धन्यं भूयः प्रस्वापनं तथा॥५॥
अर्थात, श्री मत्स्य भगवान्, स्वप्नों के अशुभ फलों के विषय में मनु महाराज को बताते हुए पुनः कहते हैं कि देवता! राजा और गुरुजनों को क्रोध करते देखना, स्वप्न में कुमारी कन्याओं का आलिंगन करना, पुरुषों का मैथुन करना, अपने शरीर का नाश, कै-दस्त करते स्वयं को देखना, स्वप्न में दक्षिण दिशा की यात्रा करना, अपने को किसी व्याधि से ग्रस्त देखना, फलों और पुष्पों को नष्ट होते देखना, घरों को गिरते देखना, घरों में लिपाई, पुताई, सफाई होते देखना, पिशाच, मांसाहारी पशुओं, बानर, भालू एवं मनुष्यों के साथ क्रीड़ा करना, शत्रु से पराजित होना, या शत्रु की ओर से प्रस्तुत किसी विपत्ति से ग्रस्त होना, स्वयं को मलिन वस्त्र स्वयं पहने देखना, या वैसे ही वस्त्र पहने स्त्री के साथ क्रीड़ा करना, तेल पीना, या तेल से स्नान करना, लाल पुष्प, या लाल चंदन धारण करने का स्वप्न देखना आदि सब दुःस्वप्न हैं। ऐसे दुःस्वप्नों को देखने के बाद तुरंत सो जाने से, या अन्य लोगों को ऐसे दुःस्वप्न बता देने से उनका दुष्प्रभाव कम हो जाता है।
दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव के शमन का उपाय बताते हुये मत्स्य भगवान मनु महाराज से कहते है :
कलकस्नानं तिलैर्होमो ब्रह्मणानां च पूजनम्। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथातस्यैव पूजनम्॥
नागेंद्रमोक्ष श्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्॥
अर्थात, ऐसे दुःस्वप्न देखने पर कल्क स्नान करना चाहिए, तिल की समिधा से हवन कर के ब्राह्मणों का पूजन, सत्कार करना चाहिए। भगवान वासुदेव की स्तुति (पूजन द्वादश अक्षरमंत्र ÷ त्त् नमो भगवते वासुदेवाय' का जप) करनी चाहिए और गजेंद्र मोक्ष कथा का पाठ, या श्रवण करना चाहिए। इनसे दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव का शमन होता है।
ज्ञानिक, या चिकित्सकीय दृष्टि से मानसिक उद्विग्नता, पाचन विकार, थकान, चिंता एवं आह्लाद के आधिक्य पर भी स्वप्न आधारित होते हैं। बहरहाल, शुभ स्वप्नों से शुभ कार्यों के अधिकाधिक प्रयास से कार्यसिद्धि में संलग्न होने का संकेत मिलता है और अशुभ स्वप्नों में आगामी संभावित दुखद स्थिति के प्रति सचेत रहने की नसीहत लेना विद्वानों द्वारा श्रेयष्कर बताया गया है। तदनुसार -
लक्षण स्वप्न शुभाशुभ, कह्यो, मत्स्य भगवान।
शुभ प्रयासरत, अशुभ से होंहि सचेत सुजान॥
श्री मत्स्य पुराण के २४२ वें अध्याय में बताया गया है कि सतयुग में जब भगवान अनंत जगदीश्वर ने मत्स्यावतार लिया था, तो मनु महाराज ने उनसे मनुष्य द्वारा देखे गये शुभाशुभ स्वप्न फल का वृत्तांत बताने का आग्रह किया था।
मनु महराज ने, अपनी जिज्ञासा शांत करने हेतु, मत्स्य भगवान से पूछा कि हे भगवान! यात्रा, या अनुष्ठान के पूर्व, या वैसे भी सामान्यतया जो अनेक प्रकार के स्वप्न मनुष्य को समय-समय पर दिखायी देते हैं, उनके शुभाशुभ फल क्या होते हैं, बताने की कृपा करें, यथा-
स्वप्नाख्यानं कथं देव गमने प्रत्युपस्थिते। दृश्यंते विविधाकाराः कशं तेषां फलं भवेत्॥
मत्स्य भगवान ने स्वप्नों के फलीभूत होने की अवधि के विषय में बताते हुये कहा :
कल्कस्नानं तिलैर्होमो ब्राह्मणानां च पूजनम्। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथा तस्यैव पूजनम्॥६॥
नागेंद्रमोक्षश्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्। स्वप्नास्तु प्रथमे यामे संवस्तरविपाकिनः॥७॥
षड्भिर्भासैर्द्वितीये तु त्रिभिर्मासैस्तृतीयके। चतुर्थे मासमात्रेण पश्यतो नात्र संशयः॥८॥
अरुणोदयवेलायां दशाहेन फलं भवेत्। एकस्यां यदि वा रात्रौशुभंवा यदि वाशुभम्॥९।
पश्र्चाद् दृषृस्तु यस्तत्र तस्य पाकं विनिर्दिशेत्। तस्माच्छोभनके स्वप्ने पश्र्चात् स्वप्नोनशस्यते॥२०॥
अर्थात, रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल एक संवत्सर में अवश्य मिलता है। दूसरे प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल ६ माह में प्राप्त होता है। तीसरे पहर में देखे गये स्वप्न का फल ३ माह में प्राप्त होता है। चौथे पहर में जो स्वप्न दिखायी देता है, उसका फल 1 माह में निश्चित ही प्राप्त होता है। अरुणोदय, अर्थात सूर्योदय की बेला में देखे गये स्वप्न का फल १० दिन में प्राप्त होता है। यदि एक ही रात में शुभ स्वप्न और दुःस्वप्न दोनों ही देखे जाएं, तो उनमें बाद वाला स्वप्न ही फलदायी माना जाना चाहिए, अर्थात् बाद वाले स्वप्न फल के आधार पर मार्गदर्शन करना चाहिए। क्योंकि बाद वाला स्वप्न फलीभूत होता है, अतः यदि रात्रि में शुभ स्वप्न दिखायी दे, तो उसके बाद सोना नहीं चाहिए।
शैलप्रासादनागाश्र्ववृषभारोहणं हितम्। द्रुमाणां श्वेतपुष्पाणां गमने च तथा द्विज॥२॥
द्रुमतृणारवो नाभौ तथैव बहुबाहुता। तथैव बहुशीर्षत्वं फलितोद्भव एवं च॥२२॥
सुशुक्लमाल्यधारित्वं सुशुक्लांबरधारिता। चंद्रार्कताराग्रहणं परिमार्जनमेव च॥२३॥
सक्रध्वजालिंग्नं च तदुच्छ्रायक्रिया तथा। भूंयंबुधीनां ग्रसनं शत्रुणां च वधक्रिया॥२४॥
अर्थात, शुभ स्वप्नों के फल बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने मनु महाराज को बताया कि पर्वत, राजप्रासाद, हाथी, घोड़ा, बैल आदि पर आरोहण हितकारी होता है तथा जिन वृक्षों के पुष्प श्वेत, या शुभ हों, उनपर चढ़ना शुभकारी है। नाभि में वृक्ष एवं घास-फूस उगना तथा अपने शरीर में बहुत सी भुजाएं देखना, या अनेक शिर, या मस्तक देखना, फलों को दान करते देखना, उद्भिजों के दर्शन, सुंदर, शुभ अर्थात् श्वेत माला धारण करना, श्वेत वस्त्र पहनना, चंद्रमा, सूर्य और ताराओं को हाथ से पकड़ना, या उनके परिमार्जन का स्वप्न दिखायी देना, इंद्र धनुष को हृदय से लगाना, या उसे ऊपर उठाने का स्वप्न दिखायी देना और पृथ्वी, या समुद्र को निगल लेना एवं शत्रुओं का वध करना, ऐसे स्वप्न देखना सर्वथा शुभ होता है। इसके अतिरिक्त भी जो स्वप्न शुभ होते हैं, वे निम्न हैं :
जयो विवादे द्यूते व संग्रामे च तथा द्विज। भक्षणं चार्द्रमांसानां मत्स्यानां पायसस्य च॥२५॥
दर्शनं रुधिरस्यापि स्नानं वा रुधिरेण च। सुरारुधिरमद्यानां पानं क्षीरस्य चाथ वा॥२६॥
अन्त्रैर्वा वेषृनं भूमौ निर्मलं गगनं तथा। मुखेन दोहनं शस्तं महिषीणां तथा गवाम्॥२७॥
सिंहीनां हस्तिनीनां च वडवानां तथैव च। प्रसादो देवविप्रेभ्यो गुरुभ्यश्र्च तथा शुभः॥२८॥
मत्स्य भगवान ने, मनु महाराज से उक्त तारतम्य में स्वप्नों के शुभ फलों की चर्चा करते हुए, बताया कि स्वप्न में संग्राम, वाद-विवाद में विजय, जुए के खेल में जीतना, कच्चा मांस खाना, मछली खाना, खून दिखाई देना, या रुधिर से नहाते हुए दिखाई देना, सुरापान, रक्तपान, अथवा दुग्धपान, अपनी आंतों से पृथ्वी को बांधते हुए देखना, निर्मल नभ देखना, भैंस, गाय, सिंहनी, हथिनी, या घोड़ी के थन में मुंह लगा कर दूध पीना, देवता, गुरु और ब्राह्मण को प्रसन्न देखना सभी शुभ फलदायी एवं शुभ सूचक होते हैं। मत्स्य भगवान ने और भी शुभ स्वप्नों की चर्चा करते हुए मनु महाराज को बताया :
अंभसा त्वभिषेकस्तु गवां श्रृग्सुतेन वा। चंद्राद् भ्रष्टेना वाराज४ाशेयोसज्यप्रदो हि सः॥२९॥
राज्याभिषेकश्र्च तथा छेदनं शिरसस्तथा। मरणं चह्निदाहश्र्च वह्निदाहो गृहादिषु॥३०।
लब्धिश्र्च राज्यलिग्नां तंत्रीवाद्याभिवादनम्। तथोदकानां तरणं तथा विषमलड़घनम्॥३१॥
हस्तिनीवडवानां च गवां च प्रसवों गृहे। आरोहणमथाश्र्वानां रोदनं च तथा शुभम्॥३२।
वरस्रीणां तथा लाभस्तथालिग्नमेव च। निगडैर्बंधनं धन्यं तथा विष्ठानुलेपनम्॥३२॥
जीवतां भूमिपालानां सुह्दामपि दर्शनम्। दर्शनं देवतानां च विमलानां तथांभसाम्॥३४॥
शुभांयथैतानि नरस्तु हष्ट्वा प्राप्नोत्ययत्वाद् ध्रुवमर्थलाभम्।
स्वप्नानि वै धर्मभृतां वरिष्ठ व्याधेर्विमोक्षं च तथातुरोऽपि॥३५॥
और भी अधिक शुभ स्वप्नों के फल मनु महाराज को बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने कहा कि राजन ! गौवों के सींग से स्रवित जल, या चंद्रमा से गिरते हुए जल से स्नान का स्वप्न सर्वथा शुभ एवं राज्य की प्राप्ति कराने वाला होता है। राज्यारोहण का स्वप्न, मस्तक कटने का स्वप्न, अपनी मृत्यु, प्रज्ज्वलित अग्नि देखना, घर में लगी आग का स्वप्न देखना, राज्य चिह्नों की प्राप्ति, वीणा वादन, या श्रवण, जल में तैरना, दुरूह स्थानों को पार करना, घर में हस्तिनी, घोड़ी तथा गौ का प्रसव देखना, घोड़े की सवारी करते देखना, स्वयं को रोते देखना आदि स्वप्न शुभ और मंगल शकुन के द्योतक होते हैं। इसके अतिरिक्त सुंदरियों की प्राप्ति तथा उनका आलिंगन, जंजीर में स्वयं को बंधा देखना, शरीर में मल का लेप देखना, जो राजा मौजूद हैं, उन्हें स्वप्न में देखना, मित्रों को स्वप्न में देखना, देवताओं का दर्शन, निर्मल जल देखने के स्वप्न भी सर्वथा शुभकारी होते हैं, जिससे बिना प्रयास के धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा रुग्ण व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। अशुभ स्वप्नों एवं उनके फलों के विषय में श्री मत्स्य भगवान मनु महाराज को बताते हुए कहते हैं :
इदानीं कथयिष्यामि निमित्तं स्वप्नदर्शने। नाभिं विनान्यगात्रेषु तृणवृक्षसमुरवः॥२।
चूर्णनं मूध्निं कांस्यानां मुण्डनं नग्नता तथा। मलिनांबरधारित्त्वमभ्यग्ः पटदिग्धता॥३॥
उच्चात् प्रपतनं चैव दोलारोहणमेव च। अर्जनं पटलोहानां हयानामपि मारणम्॥४॥
रक्तपुष्पद्रुमाणां च मंडलस्य तथैव च। वराहर्क्षखरोष्ट्राणां तथा चारोहणक्रिया॥५॥
भक्षणं पक्षिमत्स्यानां तैलस्य कृसरस्य च। नर्तनं हसनं चैव विवाहो गीतमेव च॥६॥
तंत्रीवाद्यविहीनानां वाद्यानामभिवादनम्। स्रोतोऽवगाहगमनं स्नानं गोमयवारिणा॥७॥
पटोदकेन च तथा महीतोयेन चाप्यथ। मातुः प्रवेशा जठरे चितारोहणमेव च॥८॥
शक्रध्वजाभिपतनं पतनं शशिसूर्ययोः। दिव्यांतरिक्षभौमानामुत्पातानां च दर्शनम्॥९॥
अर्थात, मत्स्य भगवान ने विभिन्न स्वप्नों के अशुभ फलों की ओर इंगित करते हुए मनु महाराज से कहा कि हे राजन! स्वप्न में नाभि के अतिरिक्त, शरीर के अन्य अंगों में घास, फूस, पेड़-पौधे उगे हुए देखना, सिर पर कांसे को कुटता देखना, मुंडन देखना, अपने को नग्न देखना, स्वयं को मैले कपड़े पहने हुए देखना, तेल लगाना, कीचड़ में धंसना, या कीचड़ लिपटा देखना, ऊंचे स्थान से गिरना, झूला झूलना, कीचड़ और लोहा आदि एकत्रित करना, घोड़ों को मारना, लाल फूलों के पेड़ पर चढ़ना, या लाल पुष्पों के पेड़ों का मंडल, सूअर, भालू, गधे और ऊंटों की सवारी करना, पक्षियों का भोजन करना, मछली, तेल और खिचड़ी खाना, नृत्य करना, हंसना, विवाह एवं गाना-बजाना देखना, बीणा के अलावा अन्य वाद्यों को बजाना, जल स्रोत में नहाने जाना, गोबर लगा कर जल स्नान, कीचड़युक्त उथले जल में नहाना, माता के उदर में प्रवेश करना, चिता पर चढ़ना, इंद्र पताका का गिरना, चंद्रमा एवं सूर्य को गिरते देखना, अंतरिक्ष में उल्का पिंडों के उत्पात आदि स्वप्न में देखना सर्वथा अशुभ है।
देवद्विजातिभूपालगुरूणं क्रोध एवं च। आलिग्नं कुमारीणां पुरुषाणां च मैथुनम्॥१०॥
हानिश्चैव स्वगात्राणां विरेकवमनक्रिया। दक्षिणाशाभिगमनंव्याधिनाभिभवस्तथा॥११॥
फलापहानिश्र्च तथा पुष्पहानिस्तथैव च। गृहाणां चैव पातश्च गृहसम्मार्जनं तथा॥२॥
क्रीड़ा पिशाचक्रव्याद्वानरर्क्षनररैपि। परादभिभवश्चैव तस्मांच व्यसनारवः॥३॥
काषायवस्रधारित्वं तद्वत् स्त्रीक्रीडनं तथा। स्नेहपानवगाहौ च रक्तमाल्यानुलेपनम्॥४॥
एवमादीनि चान्यानि दुःस्वप्नानि विनिर्दिशेत्। एषा। संकथनं धन्यं भूयः प्रस्वापनं तथा॥५॥
अर्थात, श्री मत्स्य भगवान्, स्वप्नों के अशुभ फलों के विषय में मनु महाराज को बताते हुए पुनः कहते हैं कि देवता! राजा और गुरुजनों को क्रोध करते देखना, स्वप्न में कुमारी कन्याओं का आलिंगन करना, पुरुषों का मैथुन करना, अपने शरीर का नाश, कै-दस्त करते स्वयं को देखना, स्वप्न में दक्षिण दिशा की यात्रा करना, अपने को किसी व्याधि से ग्रस्त देखना, फलों और पुष्पों को नष्ट होते देखना, घरों को गिरते देखना, घरों में लिपाई, पुताई, सफाई होते देखना, पिशाच, मांसाहारी पशुओं, बानर, भालू एवं मनुष्यों के साथ क्रीड़ा करना, शत्रु से पराजित होना, या शत्रु की ओर से प्रस्तुत किसी विपत्ति से ग्रस्त होना, स्वयं को मलिन वस्त्र स्वयं पहने देखना, या वैसे ही वस्त्र पहने स्त्री के साथ क्रीड़ा करना, तेल पीना, या तेल से स्नान करना, लाल पुष्प, या लाल चंदन धारण करने का स्वप्न देखना आदि सब दुःस्वप्न हैं। ऐसे दुःस्वप्नों को देखने के बाद तुरंत सो जाने से, या अन्य लोगों को ऐसे दुःस्वप्न बता देने से उनका दुष्प्रभाव कम हो जाता है।
दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव के शमन का उपाय बताते हुये मत्स्य भगवान मनु महाराज से कहते है :
कलकस्नानं तिलैर्होमो ब्रह्मणानां च पूजनम्। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथातस्यैव पूजनम्॥
नागेंद्रमोक्ष श्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्॥
अर्थात, ऐसे दुःस्वप्न देखने पर कल्क स्नान करना चाहिए, तिल की समिधा से हवन कर के ब्राह्मणों का पूजन, सत्कार करना चाहिए। भगवान वासुदेव की स्तुति (पूजन द्वादश अक्षरमंत्र ÷ त्त् नमो भगवते वासुदेवाय' का जप) करनी चाहिए और गजेंद्र मोक्ष कथा का पाठ, या श्रवण करना चाहिए। इनसे दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव का शमन होता है।
क्या है स्वप्न का विज्ञान ?
आदि काल से ही मानव मस्तिष्क अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के प्रयत्नों में सक्रिय है। परंतु जब किसी भी कारण इसकी कुछ अधूरी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती (जो कि मस्तिष्क के किसी कोने में जाग्रत अवस्था में रहती है) तो वह स्वप्न का रूप ले लती हैं।
आधुनिक विज्ञान में पाश्चात्य विचारक सिगमंड फ्रायड ने इस विषय में कहा है कि स्वप्न'' मानव की दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन करते हैं जिनको हमने अपनी जाग्रत अवस्था में कभी-कभी विचारा होता है। अर्थात स्वप्न हमारी वो इच्छाएं हैं जो किसी भी प्रकार के भय से जाग्रत् अवस्था में पूर्ण नहीं हो पाती हैं व स्वप्नों में साकार होकर हमें मानसिक संतुष्टि व तृप्ति देती है।
सपने या स्वप्न आते क्यों है? इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है। प्रायः यह माना जाता है कि स्वप्न या सपने आने का एक कारण ÷नींद' भी हो सकता है। विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है, जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांस पेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। इस नींद की ही अवस्था में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) पुनः सक्रिय हो जाती हैं।
वैज्ञानिकों ने नींद को दो भागों में बांटा है पहला भाग आर ई एम अर्थात् रैपिड आई मुवमेंट है। (जिसमें अधिकतर सपने आते हैं) इसमें शरीर शिथिल परंतु आंखें तेजी से घूमती रहती हैं और मस्तिष्क जाग्रत अवस्था से भी ज्यादा गतिशील होता है। इस आर ई एम की अवधि १० से २० मिनट की होती है तथा प्रत्येक व्यक्ति एक रात में चार से छह बार आर ई एम नींद लेता है। यह स्थिति नींद आने के लगभग १.३० घंटे अर्थात ९० मिनट बाद आती है। इस आधार पर गणना करें तो रात्रि का अंतिम प्रहर आर ई एम का ही समय होता है (यदि व्यक्ति समान्यतः १० बजे रात सोता है तो ) जिससे सपनों के आने की संभावना बढ़ जाती है।
सपने बनते कैसे हैं : दिन भर विभिन्न स्रोतों से हमारे मस्तिष्क को स्फुरण (सिगनल) मिलते रहते हैं। प्राथमिकता के आधार पर हमारा मस्तिष्क हमसे पहले उधर ध्यान दिलवाता है जिसे करना अति जरूरी होता है, और जिन स्फुरण संदेशों की आवश्यकता तुरंत नहीं होती उन्हें वह अपने में दर्ज कर लेता है। इसके अलावा प्रतिदिन बहुत सी भावनाओं का भी हम पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। जो भावनाएं हम किसी कारण वश दबा लेते हैं (गुस्सा आदि) वह भी हमारे अवचेतन मस्तिष्क में दर्ज हो जाती हैं। रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है मस्तिष्क अपना काम कर रहा होता है। (इस दौरान हमें चेतनावस्था में कोई स्कुरण संकेत भावनाएं आदि नहीं मिल रही होती) उस समय मस्तिष्क दिन भर मिले संकेतों को लेकर सक्रिय होता है जिनसे स्वप्न प्रदर्शित होते हैं। यह वह स्वप्न होते हैं जो मस्तिष्क को दिनभर मिले स्फुरण, भावनाओं को दर्शाते हैं जिन्हें दिनमें हमने किसी कारण वश रोक लिया था। जब तक यह प्रदर्शित नहीं हो पाता तब तक बार-बार नजर आता रहता है तथा इन पर नियंत्रण चाहकर भी नहीं किया जा सकता।
आधुनिक विज्ञान में पाश्चात्य विचारक सिगमंड फ्रायड ने इस विषय में कहा है कि स्वप्न'' मानव की दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन करते हैं जिनको हमने अपनी जाग्रत अवस्था में कभी-कभी विचारा होता है। अर्थात स्वप्न हमारी वो इच्छाएं हैं जो किसी भी प्रकार के भय से जाग्रत् अवस्था में पूर्ण नहीं हो पाती हैं व स्वप्नों में साकार होकर हमें मानसिक संतुष्टि व तृप्ति देती है।
सपने या स्वप्न आते क्यों है? इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है। प्रायः यह माना जाता है कि स्वप्न या सपने आने का एक कारण ÷नींद' भी हो सकता है। विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है, जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांस पेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। इस नींद की ही अवस्था में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) पुनः सक्रिय हो जाती हैं।
वैज्ञानिकों ने नींद को दो भागों में बांटा है पहला भाग आर ई एम अर्थात् रैपिड आई मुवमेंट है। (जिसमें अधिकतर सपने आते हैं) इसमें शरीर शिथिल परंतु आंखें तेजी से घूमती रहती हैं और मस्तिष्क जाग्रत अवस्था से भी ज्यादा गतिशील होता है। इस आर ई एम की अवधि १० से २० मिनट की होती है तथा प्रत्येक व्यक्ति एक रात में चार से छह बार आर ई एम नींद लेता है। यह स्थिति नींद आने के लगभग १.३० घंटे अर्थात ९० मिनट बाद आती है। इस आधार पर गणना करें तो रात्रि का अंतिम प्रहर आर ई एम का ही समय होता है (यदि व्यक्ति समान्यतः १० बजे रात सोता है तो ) जिससे सपनों के आने की संभावना बढ़ जाती है।
सपने बनते कैसे हैं : दिन भर विभिन्न स्रोतों से हमारे मस्तिष्क को स्फुरण (सिगनल) मिलते रहते हैं। प्राथमिकता के आधार पर हमारा मस्तिष्क हमसे पहले उधर ध्यान दिलवाता है जिसे करना अति जरूरी होता है, और जिन स्फुरण संदेशों की आवश्यकता तुरंत नहीं होती उन्हें वह अपने में दर्ज कर लेता है। इसके अलावा प्रतिदिन बहुत सी भावनाओं का भी हम पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। जो भावनाएं हम किसी कारण वश दबा लेते हैं (गुस्सा आदि) वह भी हमारे अवचेतन मस्तिष्क में दर्ज हो जाती हैं। रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है मस्तिष्क अपना काम कर रहा होता है। (इस दौरान हमें चेतनावस्था में कोई स्कुरण संकेत भावनाएं आदि नहीं मिल रही होती) उस समय मस्तिष्क दिन भर मिले संकेतों को लेकर सक्रिय होता है जिनसे स्वप्न प्रदर्शित होते हैं। यह वह स्वप्न होते हैं जो मस्तिष्क को दिनभर मिले स्फुरण, भावनाओं को दर्शाते हैं जिन्हें दिनमें हमने किसी कारण वश रोक लिया था। जब तक यह प्रदर्शित नहीं हो पाता तब तक बार-बार नजर आता रहता है तथा इन पर नियंत्रण चाहकर भी नहीं किया जा सकता।
स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में
स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। वन में कई बार आकस्मिक व ठोस निर्णय लेने पड़ते हैं। कभी ऑफिस से संबंधित, निर्णय लेने होते हैं, कभी व्यवसाय से, कभी घर परिवार से, तो कभी रिश्तेदारों से संबंधित। एक असमंजस की स्थिति होती है। एक मन कहता है कि हमें यह कार्य कर लेना चाहिये तो एक मन कहता है नहीं। किसी कार्य को करें या नहीं करें, आज करें या कल करें, यह काम लाभदायक होगा या हानिकारक, कुछ समझ में नहीं आता। ऐसे समय में स्वप्न हमारे लिये समाधान का माध्यम बन सकते हैं। जी हां, स्वप्नों के माध्यम से हमें संकेत मिल सकता है कि अमुक कार्य हमें करना चाहिये या नहीं, यदि वह कार्य हमारे लिये लाभदायक होगा तो कार्य करने के संकेत मिल जायेंगे। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उस संबंध में स्वप्न द्वारा निश्चित उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। स्वप्नेश्वरी देवी साधना की विधि इस प्रकार है-
जिस समय निर्णय लेने की समस्या की स्थिति उत्पन्न हो, उस समय स्नान करके शुद्ध धुले हुए वस्त्र पहन लें। यदि आप स्नान न कर पाने की स्थिति में हैं तो हाथ-मुंह धो कर, सफेद धुले वस्त्र पहन कर एक स्वच्छ सफेद कागज पर अपने प्रश्न को स्पष्ट अक्षरों में लिख कर रख लें। फिर सांय काल पुनः शुद्ध जल से स्नान कर, शुद्ध धुले वस्त्र धारण कर, श्रेष्ठ कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र को तब तक जपते रहें जब तक कि नींद न आ जाए-
मंत्र -
स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय॥
अर्थात्-
हे फल और वरदान को देने वाली स्वप्नेश्वरी देवी ! आपको नमस्कार है। मेरी सिद्धि अथवा असिद्धि के विषय में सब बात दिखाइए। इस प्रकार जप करते-करते जब सोने की इच्छा हो, तब प्रश्न लिखे हुए कागज को सिरहाने रखकर सो जायें तो स्वप्न में उसका सही उत्तर प्राप्त हो जायेगा। यदि सांयकाल के समय ही समस्या उत्पन्न हो तो स्नान करना आवश्यक होगा, कपड़े बदलना भी आवश्यक होगा।
सांयकाल स्नान के बाद धुले वस्त्र पहन कर आसन पर बैठकर कागज पर लिखकर आगे रख लें तथा स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करके जप करें।
मंत्र -
शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं श्रीं अवतर स्वाहा।
विधि : इस मंत्र को १००८ बार जप कर के, फिर सोते समय १०८ बार जप कर के सोने पर स्वप्न में शुभाशुभ ज्ञात होता है।
उपर्युक्त यंत्र को भोज पत्र पर लिख कर सिरहाने रख कर सोऐं, तो स्वप्न नहीं आते हैं।
विशेष : अशुभ स्वप्न आने पर, तुरंत क्या-क्या कार्य करने से उनकी अशुभता धूमिल अथवा नष्ट हो जाती है, इसका संक्षेप में वर्णन किया है पर इसके साथ यदि शुभ स्वप्न आ जाए और शुभ स्वप्न देखने के बाद तुरंत आंखें खुल जायें, तो उस व्यक्ति को चाहिए कि वह पुनः शयन न करे, अपितु शेष रात्रि जाग कर व्यतीत कर देनी चाहिए तथा जागते हुए भगवान का ध्यान करना चाहिए।
सपनों का मतलब /Dreams interpretation
हर सपना कुछ-न कुछ कहता है। कुछ सपने निराशा देते हैं, तो कुछ जीवन में खुशियों की लहरभर देते हैं। सपनों का संबंध आत्मा से होता है। जब व्यक्ति नींद में होता है, तब उसका शरीर आत्मा से अलग होता है, क्योंकि आत्मा कभी सोती नहीं। जब मानव निद्रावस्था में होता है तो उसकी पाँचों ज्ञानेंद्रियाँ उसका मन और उसकी पाँचों कर्मेंद्रियाँ अपनी-अपनी क्रियाएँ करनी बंद कर देती हैं और व्यक्ति का मस्तिष्क पूरी तरह शांत रहता है। उस अवस्था में व्यक्ति को एक अनुभव होता है, जो उसके जीवन से संबंधित होता है। उसी अनुभव को स्वप्न कहा जाता है। सपने में चौंकाने वाली खोजें और आविष्कार हुए हैं। यहां तक कि लोगों के भाग्य बदल गए हैं। हमें भी कई बार सपने में कोई संकेत मिलता है, लेकिन हम उसे समझ नहीं पाते। सपने हमारी भाषा नहीं बोलते। वह संकेतों में बात करते हैं।
इन्हीं स्वप्नों के माध्यम से भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी हासिल की जा सकती है। आइए देखते हैं क्या कहते हैं आपके सपने।
बादाम- सपने में बादाम देखने का अर्थ है आपका भविष्य सुरक्षित है। यह सुखी जीवन का संकेत है।
क्रोध- अगर आप सपने में देखते हैं कि आप किसी पर क्रोध कर रहे हैं तो इसका मतलब है आप उस व्यक्ति से बेहद प्यार करते है। अगर कोई आप पर नाराज हो रहा है तो इसका भी मतलब यही है कि वो व्यक्ति आपसे प्यार करता है।
गंजा- सपने में गंजापन देखना आने वाली बीमारी का सूचक है।
बिस्तर- सपने में बिस्तर बिछाते हुए स्वयं को देखना स्थान परिवर्तन का सूचक है।
मक्खन- यह प्रसन्नता का सूचक है।
कॉफी- यह खुशहाल विवाहित जीवन का प्रतीक है।
हीरे- सपने में हीरे दिखाई देना अपार संपत्ति का सूचक है।
परीक्षा से जुड़े स्वप्न
पढ़ाई में हम चाहे कितने भी मेधावी या औसत हों, परीक्षा के समय आने वाले डरावने सपनों से इंकार नहीं कर सकते। उस समय अकसर ऐसे स्वप्न आते हैं कि हम परीक्षा हॉल तक नहीं पहुंच पाए, पेन ने चलना बंद कर दिया, सवालों के उत्तर याद नहीं आ रहे। ये स्वप्न बताते हैं कि हमें अपने जीवन में सुधार करने की जरूरत है। यह आत्मविश्वास की कमी भी बताते हैं।
कोई पीछा कर रहा है
हर किसी को ऐसे स्वप्न आते हैं कि जैसे कोई हत्यारा या कोई और उसका पीछा कर रहा है और सपने में ही लोग पसीना-पसीना हो जाते हैं। हम चाहे जितना भी तेज दौड़ें ऐसा लगता है कि पीछा करने वाला हमें दबोच लेगा। जब वह हमें पकड़ने ही वाला होता है कि हमारी नींद खुल जाती है।
ऐसे सपने सचमुच आक्रमण के भय से आ सकते हैं, लेकिन प्राय: इनका कारण जागृत अवस्था में हमारी चिंताएं होती हैं। ये स्वप्न बताते हैं कि हमें किसी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए, बल्कि उसका सामना करना चाहिए। ऐसे स्वप्न स्त्रियों को ज्यादा आते हैं क्योंकि वह शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं।
ऊंचाई से गिरना
अक्सर सपने में हम किसी ऊंची सी जगह पर खड़े होकर नीचे गहराई को देखकर डरते हैं। हमें नीचे गिर जाने का भय होता है।
जब तक हमारी आंख न खुल जाए, कोई भी चीज हमारे इस भय को नहीं कम कर पाती कि हम मरेंगे नहीं। ऐसे स्वप्न, जिसमें हम खुद को गिरता हुआ देखते हैं, के भी कई अर्थ और व्याख्याएं हो सकती हैं।
इस तरह के स्वप्न आमतौर पर व्यक्ति की आंतरिक असुरक्षा, अस्थिरता और चिंताओं को दर्शाते हैं। इस तरह के स्वप्न तब घटित होते हैं, जब हम बिल्कुल घिरे हुए होते हैं और वास्तविक जीवन में कुछ स्थितियों पर से हमारा नियंत्रण बिल्कुल छूट जाता है।
स्वप्न में दांतों का गिरना
यह एक सामान्य स्वप्न है, जो अक्सर लोगों को दिखाई देता है। ऐसा लगता जैसे दांत हथेलियों में नाच रहे हैं या एक-एक करके गिरते जा रहे हैं। इस तरह के स्वप्न बहुत भयभीत करने वाले होते हैं। बहुत से मामलों में ऐसे सपने कुपोषण की ओर इशारा करते हैं। लेकिन इनका अर्थ यह भी है कि व्यक्ति अपने रूपरंग को लेकर चिंतित है। ऐसे स्वप्न शक्तिहीनता को भी दर्शाते हैं।
मछली देखना- घर में शुभ कार्य होना
माँस खाते हुए देखना- चोट लगना
अपने आपको मार खाते हुए देखना- फेल हो जाना
हवा में उड़ते देखना- यात्रा होना
हाथ-पैर धोते हुए देखना- सारी चिंताएँ मिटना
किसी दुल्हन का चुंबन लेता हुआ देखना- शत्रुओं के साथ समझौता होना
सर्प पकड़ना- सफलता प्राप्त होना
ऊँट देखना- राज्य से भय होना
स्वप्न में दाढ़ी बनाते हुए देखना- दाम्पत्य जीवन की सा री कठिनाई समाप्त हो जाना।
बड़े-बूढ़े का आशीर्वाद मिलना- मान सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त होना
गर्दन अकड़ जाना- धन की प्राप्ति होना
अपने को दूध पीता देखना- इज्जत मिलना
अपने को पानी पीते हुए देखना- भाग्य उदय
कुत्ता काटना, कुत्ता पालना- संकट आना
उड़ता हुआ पक्षी देखना- इज्जत होना
मोर देखना- शोक होना
अपना विवाह होता देखना- परेशानी आना
मांग भरते देखना- कोई शुभ कार्य होना
दर्पण देखना- मन विचलित रहना
रेल में चढ़ना देखना- यात्रा होना
पैर फिसल कर गिर जाना- अवनति होना
गऊ मिलना- भूमि लाभ होना
घोड़े से गिरता हुआ देखना- पद छूटना
घोड़े पर चढ़ता हुआ देखना- पद लाभ होना
अपने आपको मरता हुआ देखना- सारी चिंताएँ मिट जाना।
इइसी प्रकार समुद्र, खिलता हुआ फूल देखना, युवती मिलना या दिखना, प्रसाद मिलना, आशीर्वाद लेना, पुस्तक पढ़ना, साँप ड़सना, मंदिर देखना, जेवर मिलना, हाथी पर चढ़ना, फल आदि प्राप्त होना, शरीर पर गोबर लगते देखने से धन लाभ होता है।
खून देखना, स्तनपान करना, शराब पीना, तेल पीना, मिठाई खाना, विवाह होना, पुलिस को देखना, अपना मुंडना करवाते देखने से मृत्युतुल्य कष्ट होता है। विधवा के दाढ़ी उगती देखना उसके पुनर्विवाह का संकेत है। विवाहित व्यक्ति या महिला अपने बाल सफेद होते हुए देखने से जीवनसाथी से वियोग या संबंध विच्छेद का योग बताता है।
जलजल अर्थात् पानी का धन-दौलत से बहुत करीब का संबंध माना गया है। दोनों ही समान गुणधर्मी होते हैं। दोनों की प्रकृति है बहना। यदि कद्र न की जाए, सहेज कर न रखा जाए तो दोनों बह जाते हैं।इसलिए सपने में वर्षा होती दिखे। व्यक्ति स्वयं कुएँ से पानी भरे तो यथाशीघ्र धन लाभ की संभावना है। सपने में तैरना मात्र ही असीमित धन-आगमन का सूचक है। सपने में नदी अथवा समुद्र-दर्शन भी अकस्मात धन प्राप्ति का संकेत है।
श्वेत रंग
स्वप्न विज्ञानियों की मान्यता है कि सपने में सफेद रंग का विशेष महत्व होता है। इस रंग को सुख-समृद्धि, शांति एवं सौजन्य का प्रतीक माना गया है। इसलिए सपने में सफेद वस्त्र देखना, सफेद वस्त्र धारण करना, श्वेत फूलों की माला देखना, सफेद बर्फ से ढँका पर्वत देखना, सफेद समुद्र, सफेद मंदिर का शिखर, सफेद ध्वजा, शंख और श्वेत सूर्य-चंद्र आदि समृद्धि एवं प्रचुर मात्रा में धनागमन का संकेत हैं।
फल
स्वप्नशास्त्री के. मिलर के अनुसार सपने में स्वयं के हाथों में फल टपके, फल वाले वृक्षों का दर्शन करें, आँवला, अनार, सेब, नारियल, सुपारी एवं काजू आदि को देखें तो धन आने की प्रबल संभावना है। फल का सेवन अलग-अलग स्वप्न विशेषज्ञों की राय में शुभ-अशुभ दोनों माना गया है जबकि केले के संबंध में अधिकांश विशेषज्ञ एकमत हैं कि वह अशुभ है और कई मामलों में मृत्युसूचक या मृत्युतुल्य कष्ट सूचक भी।
सफेद कमल, लाल कमल, केतकी, मालती, नागकेसर, चमेली, चाँदनी एवं गुलमोहर के फूल सपने में देखने वाला निश्चित ही भविष्य में अपार धन-संपत्ति का स्वामी बनता है।
पशुओं का सपने में दिखाई पड़ना भी विशेष रूप से धनागमन का संकेत माना गया है। मस्त हाथी, गाय, अश्व, बैल, बिच्छू, बड़ी मछली, श्वेत सर्प, बंदर कछुआ एवं कस्तूरी मृग जहाँ अचानक विशेष धन प्राप्ति के प्रतीक माने गए हैं।
वहीं मधुमक्खी के विषय में कहा गया है कि सका स्वप्न देखने वाले व्यक्ति का बैंक के खाते में दिन दूना, रात चौगुना धन बढ़ता है। जबकि सपने में चूहे देखने वाले व्यक्ति का बैंक में छोटा-मोटा खाता खुलना तय है।
अनाज
सपने में व्यक्ति अनाज के ढेर पर स्वयं को चढ़ता देखे और उसी समय उसकी नींद खुल जाए तो धन लाभ, निश्चित समझे। उसी तरह चावल, मूँग, जौ, सरसों आदि भी धन प्राप्ति का संकेत देते हैं।
पात्र
कलश, पानी से भरा घड़ा और बड़े पात्रों को धन आगमन का सुनिश्चित प्रतीक माना गया है। एक सपने के विषय में दुनिया भर के स्वप्नशास्त्री एकमत है। उनके अनुसार मिट्टी का पात्र देखना सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसे व्यक्ति को शीघ्र ही अपार धन संपदा की प्राप्ति होती है। साथ ही भूमि लाभ भी मिलता है।
दैवीय प्रतीक
भारतीय स्वप्न विशेषज्ञों के अनुसार सपने में िपतृ अथवा दिवंगत पूर्वजों का दर्शन एवं उनके आशीर्वाद विशेष सफलतादायक है। मंदिर, शंख, गुरु, शिवलिंग, दीपक, घंटी, द्वार, राजा, रथ, पालकी, उजला आकाश एवं पूनम का चंद्र आदि भी विशेष समृद्धिदायक एवं भाग्योदय का प्रतीक माने गए हैं।
स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। वन में कई बार आकस्मिक व ठोस निर्णय लेने पड़ते हैं। कभी ऑफिस से संबंधित, निर्णय लेने होते हैं, कभी व्यवसाय से, कभी घर परिवार से, तो कभी रिश्तेदारों से संबंधित। एक असमंजस की स्थिति होती है। एक मन कहता है कि हमें यह कार्य कर लेना चाहिये तो एक मन कहता है नहीं। किसी कार्य को करें या नहीं करें, आज करें या कल करें, यह काम लाभदायक होगा या हानिकारक, कुछ समझ में नहीं आता। ऐसे समय में स्वप्न हमारे लिये समाधान का माध्यम बन सकते हैं। जी हां, स्वप्नों के माध्यम से हमें संकेत मिल सकता है कि अमुक कार्य हमें करना चाहिये या नहीं, यदि वह कार्य हमारे लिये लाभदायक होगा तो कार्य करने के संकेत मिल जायेंगे। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उस संबंध में स्वप्न द्वारा निश्चित उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। स्वप्नेश्वरी देवी साधना की विधि इस प्रकार है-
जिस समय निर्णय लेने की समस्या की स्थिति उत्पन्न हो, उस समय स्नान करके शुद्ध धुले हुए वस्त्र पहन लें। यदि आप स्नान न कर पाने की स्थिति में हैं तो हाथ-मुंह धो कर, सफेद धुले वस्त्र पहन कर एक स्वच्छ सफेद कागज पर अपने प्रश्न को स्पष्ट अक्षरों में लिख कर रख लें। फिर सांय काल पुनः शुद्ध जल से स्नान कर, शुद्ध धुले वस्त्र धारण कर, श्रेष्ठ कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र को तब तक जपते रहें जब तक कि नींद न आ जाए-
मंत्र -
स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय॥
अर्थात्-
हे फल और वरदान को देने वाली स्वप्नेश्वरी देवी ! आपको नमस्कार है। मेरी सिद्धि अथवा असिद्धि के विषय में सब बात दिखाइए। इस प्रकार जप करते-करते जब सोने की इच्छा हो, तब प्रश्न लिखे हुए कागज को सिरहाने रखकर सो जायें तो स्वप्न में उसका सही उत्तर प्राप्त हो जायेगा। यदि सांयकाल के समय ही समस्या उत्पन्न हो तो स्नान करना आवश्यक होगा, कपड़े बदलना भी आवश्यक होगा।
सांयकाल स्नान के बाद धुले वस्त्र पहन कर आसन पर बैठकर कागज पर लिखकर आगे रख लें तथा स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करके जप करें।
मंत्र -
शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं श्रीं अवतर स्वाहा।
विधि : इस मंत्र को १००८ बार जप कर के, फिर सोते समय १०८ बार जप कर के सोने पर स्वप्न में शुभाशुभ ज्ञात होता है।
उपर्युक्त यंत्र को भोज पत्र पर लिख कर सिरहाने रख कर सोऐं, तो स्वप्न नहीं आते हैं।
विशेष : अशुभ स्वप्न आने पर, तुरंत क्या-क्या कार्य करने से उनकी अशुभता धूमिल अथवा नष्ट हो जाती है, इसका संक्षेप में वर्णन किया है पर इसके साथ यदि शुभ स्वप्न आ जाए और शुभ स्वप्न देखने के बाद तुरंत आंखें खुल जायें, तो उस व्यक्ति को चाहिए कि वह पुनः शयन न करे, अपितु शेष रात्रि जाग कर व्यतीत कर देनी चाहिए तथा जागते हुए भगवान का ध्यान करना चाहिए।
सपनों का मतलब /Dreams interpretation
हर सपना कुछ-न कुछ कहता है। कुछ सपने निराशा देते हैं, तो कुछ जीवन में खुशियों की लहरभर देते हैं। सपनों का संबंध आत्मा से होता है। जब व्यक्ति नींद में होता है, तब उसका शरीर आत्मा से अलग होता है, क्योंकि आत्मा कभी सोती नहीं। जब मानव निद्रावस्था में होता है तो उसकी पाँचों ज्ञानेंद्रियाँ उसका मन और उसकी पाँचों कर्मेंद्रियाँ अपनी-अपनी क्रियाएँ करनी बंद कर देती हैं और व्यक्ति का मस्तिष्क पूरी तरह शांत रहता है। उस अवस्था में व्यक्ति को एक अनुभव होता है, जो उसके जीवन से संबंधित होता है। उसी अनुभव को स्वप्न कहा जाता है। सपने में चौंकाने वाली खोजें और आविष्कार हुए हैं। यहां तक कि लोगों के भाग्य बदल गए हैं। हमें भी कई बार सपने में कोई संकेत मिलता है, लेकिन हम उसे समझ नहीं पाते। सपने हमारी भाषा नहीं बोलते। वह संकेतों में बात करते हैं।
इन्हीं स्वप्नों के माध्यम से भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी हासिल की जा सकती है। आइए देखते हैं क्या कहते हैं आपके सपने।
बादाम- सपने में बादाम देखने का अर्थ है आपका भविष्य सुरक्षित है। यह सुखी जीवन का संकेत है।
क्रोध- अगर आप सपने में देखते हैं कि आप किसी पर क्रोध कर रहे हैं तो इसका मतलब है आप उस व्यक्ति से बेहद प्यार करते है। अगर कोई आप पर नाराज हो रहा है तो इसका भी मतलब यही है कि वो व्यक्ति आपसे प्यार करता है।
गंजा- सपने में गंजापन देखना आने वाली बीमारी का सूचक है।
बिस्तर- सपने में बिस्तर बिछाते हुए स्वयं को देखना स्थान परिवर्तन का सूचक है।
मक्खन- यह प्रसन्नता का सूचक है।
कॉफी- यह खुशहाल विवाहित जीवन का प्रतीक है।
हीरे- सपने में हीरे दिखाई देना अपार संपत्ति का सूचक है।
परीक्षा से जुड़े स्वप्न
पढ़ाई में हम चाहे कितने भी मेधावी या औसत हों, परीक्षा के समय आने वाले डरावने सपनों से इंकार नहीं कर सकते। उस समय अकसर ऐसे स्वप्न आते हैं कि हम परीक्षा हॉल तक नहीं पहुंच पाए, पेन ने चलना बंद कर दिया, सवालों के उत्तर याद नहीं आ रहे। ये स्वप्न बताते हैं कि हमें अपने जीवन में सुधार करने की जरूरत है। यह आत्मविश्वास की कमी भी बताते हैं।
कोई पीछा कर रहा है
हर किसी को ऐसे स्वप्न आते हैं कि जैसे कोई हत्यारा या कोई और उसका पीछा कर रहा है और सपने में ही लोग पसीना-पसीना हो जाते हैं। हम चाहे जितना भी तेज दौड़ें ऐसा लगता है कि पीछा करने वाला हमें दबोच लेगा। जब वह हमें पकड़ने ही वाला होता है कि हमारी नींद खुल जाती है।
ऐसे सपने सचमुच आक्रमण के भय से आ सकते हैं, लेकिन प्राय: इनका कारण जागृत अवस्था में हमारी चिंताएं होती हैं। ये स्वप्न बताते हैं कि हमें किसी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए, बल्कि उसका सामना करना चाहिए। ऐसे स्वप्न स्त्रियों को ज्यादा आते हैं क्योंकि वह शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं।
ऊंचाई से गिरना
अक्सर सपने में हम किसी ऊंची सी जगह पर खड़े होकर नीचे गहराई को देखकर डरते हैं। हमें नीचे गिर जाने का भय होता है।
जब तक हमारी आंख न खुल जाए, कोई भी चीज हमारे इस भय को नहीं कम कर पाती कि हम मरेंगे नहीं। ऐसे स्वप्न, जिसमें हम खुद को गिरता हुआ देखते हैं, के भी कई अर्थ और व्याख्याएं हो सकती हैं।
इस तरह के स्वप्न आमतौर पर व्यक्ति की आंतरिक असुरक्षा, अस्थिरता और चिंताओं को दर्शाते हैं। इस तरह के स्वप्न तब घटित होते हैं, जब हम बिल्कुल घिरे हुए होते हैं और वास्तविक जीवन में कुछ स्थितियों पर से हमारा नियंत्रण बिल्कुल छूट जाता है।
स्वप्न में दांतों का गिरना
यह एक सामान्य स्वप्न है, जो अक्सर लोगों को दिखाई देता है। ऐसा लगता जैसे दांत हथेलियों में नाच रहे हैं या एक-एक करके गिरते जा रहे हैं। इस तरह के स्वप्न बहुत भयभीत करने वाले होते हैं। बहुत से मामलों में ऐसे सपने कुपोषण की ओर इशारा करते हैं। लेकिन इनका अर्थ यह भी है कि व्यक्ति अपने रूपरंग को लेकर चिंतित है। ऐसे स्वप्न शक्तिहीनता को भी दर्शाते हैं।
मछली देखना- घर में शुभ कार्य होना
माँस खाते हुए देखना- चोट लगना
अपने आपको मार खाते हुए देखना- फेल हो जाना
हवा में उड़ते देखना- यात्रा होना
हाथ-पैर धोते हुए देखना- सारी चिंताएँ मिटना
किसी दुल्हन का चुंबन लेता हुआ देखना- शत्रुओं के साथ समझौता होना
सर्प पकड़ना- सफलता प्राप्त होना
ऊँट देखना- राज्य से भय होना
स्वप्न में दाढ़ी बनाते हुए देखना- दाम्पत्य जीवन की सा री कठिनाई समाप्त हो जाना।
बड़े-बूढ़े का आशीर्वाद मिलना- मान सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त होना
गर्दन अकड़ जाना- धन की प्राप्ति होना
अपने को दूध पीता देखना- इज्जत मिलना
अपने को पानी पीते हुए देखना- भाग्य उदय
कुत्ता काटना, कुत्ता पालना- संकट आना
उड़ता हुआ पक्षी देखना- इज्जत होना
मोर देखना- शोक होना
अपना विवाह होता देखना- परेशानी आना
मांग भरते देखना- कोई शुभ कार्य होना
दर्पण देखना- मन विचलित रहना
रेल में चढ़ना देखना- यात्रा होना
पैर फिसल कर गिर जाना- अवनति होना
गऊ मिलना- भूमि लाभ होना
घोड़े से गिरता हुआ देखना- पद छूटना
घोड़े पर चढ़ता हुआ देखना- पद लाभ होना
अपने आपको मरता हुआ देखना- सारी चिंताएँ मिट जाना।
इइसी प्रकार समुद्र, खिलता हुआ फूल देखना, युवती मिलना या दिखना, प्रसाद मिलना, आशीर्वाद लेना, पुस्तक पढ़ना, साँप ड़सना, मंदिर देखना, जेवर मिलना, हाथी पर चढ़ना, फल आदि प्राप्त होना, शरीर पर गोबर लगते देखने से धन लाभ होता है।
खून देखना, स्तनपान करना, शराब पीना, तेल पीना, मिठाई खाना, विवाह होना, पुलिस को देखना, अपना मुंडना करवाते देखने से मृत्युतुल्य कष्ट होता है। विधवा के दाढ़ी उगती देखना उसके पुनर्विवाह का संकेत है। विवाहित व्यक्ति या महिला अपने बाल सफेद होते हुए देखने से जीवनसाथी से वियोग या संबंध विच्छेद का योग बताता है।
जलजल अर्थात् पानी का धन-दौलत से बहुत करीब का संबंध माना गया है। दोनों ही समान गुणधर्मी होते हैं। दोनों की प्रकृति है बहना। यदि कद्र न की जाए, सहेज कर न रखा जाए तो दोनों बह जाते हैं।इसलिए सपने में वर्षा होती दिखे। व्यक्ति स्वयं कुएँ से पानी भरे तो यथाशीघ्र धन लाभ की संभावना है। सपने में तैरना मात्र ही असीमित धन-आगमन का सूचक है। सपने में नदी अथवा समुद्र-दर्शन भी अकस्मात धन प्राप्ति का संकेत है।
श्वेत रंग
स्वप्न विज्ञानियों की मान्यता है कि सपने में सफेद रंग का विशेष महत्व होता है। इस रंग को सुख-समृद्धि, शांति एवं सौजन्य का प्रतीक माना गया है। इसलिए सपने में सफेद वस्त्र देखना, सफेद वस्त्र धारण करना, श्वेत फूलों की माला देखना, सफेद बर्फ से ढँका पर्वत देखना, सफेद समुद्र, सफेद मंदिर का शिखर, सफेद ध्वजा, शंख और श्वेत सूर्य-चंद्र आदि समृद्धि एवं प्रचुर मात्रा में धनागमन का संकेत हैं।
फल
स्वप्नशास्त्री के. मिलर के अनुसार सपने में स्वयं के हाथों में फल टपके, फल वाले वृक्षों का दर्शन करें, आँवला, अनार, सेब, नारियल, सुपारी एवं काजू आदि को देखें तो धन आने की प्रबल संभावना है। फल का सेवन अलग-अलग स्वप्न विशेषज्ञों की राय में शुभ-अशुभ दोनों माना गया है जबकि केले के संबंध में अधिकांश विशेषज्ञ एकमत हैं कि वह अशुभ है और कई मामलों में मृत्युसूचक या मृत्युतुल्य कष्ट सूचक भी।
सफेद कमल, लाल कमल, केतकी, मालती, नागकेसर, चमेली, चाँदनी एवं गुलमोहर के फूल सपने में देखने वाला निश्चित ही भविष्य में अपार धन-संपत्ति का स्वामी बनता है।
पशुओं का सपने में दिखाई पड़ना भी विशेष रूप से धनागमन का संकेत माना गया है। मस्त हाथी, गाय, अश्व, बैल, बिच्छू, बड़ी मछली, श्वेत सर्प, बंदर कछुआ एवं कस्तूरी मृग जहाँ अचानक विशेष धन प्राप्ति के प्रतीक माने गए हैं।
वहीं मधुमक्खी के विषय में कहा गया है कि सका स्वप्न देखने वाले व्यक्ति का बैंक के खाते में दिन दूना, रात चौगुना धन बढ़ता है। जबकि सपने में चूहे देखने वाले व्यक्ति का बैंक में छोटा-मोटा खाता खुलना तय है।
अनाज
सपने में व्यक्ति अनाज के ढेर पर स्वयं को चढ़ता देखे और उसी समय उसकी नींद खुल जाए तो धन लाभ, निश्चित समझे। उसी तरह चावल, मूँग, जौ, सरसों आदि भी धन प्राप्ति का संकेत देते हैं।
पात्र
कलश, पानी से भरा घड़ा और बड़े पात्रों को धन आगमन का सुनिश्चित प्रतीक माना गया है। एक सपने के विषय में दुनिया भर के स्वप्नशास्त्री एकमत है। उनके अनुसार मिट्टी का पात्र देखना सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसे व्यक्ति को शीघ्र ही अपार धन संपदा की प्राप्ति होती है। साथ ही भूमि लाभ भी मिलता है।
दैवीय प्रतीक
भारतीय स्वप्न विशेषज्ञों के अनुसार सपने में िपतृ अथवा दिवंगत पूर्वजों का दर्शन एवं उनके आशीर्वाद विशेष सफलतादायक है। मंदिर, शंख, गुरु, शिवलिंग, दीपक, घंटी, द्वार, राजा, रथ, पालकी, उजला आकाश एवं पूनम का चंद्र आदि भी विशेष समृद्धिदायक एवं भाग्योदय का प्रतीक माने गए हैं।
Note-यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है वह मेरी अपनी नहीं है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें।मैं हर इंसान के लिए ज्योतिष के ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ।
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